सूटा-रुक्टा पर पहले भी लगी थी रोक पूर्व में जब भाजपा सरकार थी, तब सुविवि में पहले भी शिक्षक संगठन सूटा (कांग्रेस विचारधारा) पर कुलपति ने रजिस्ट्रार के जरिये एक आदेश जारी कर रोक लगाई थी। बाद में विश्वविद्यालय में सुखाडिय़ा विवि शैक्षिक यानी रुक्टा (संघ विचारधारा) का गठन हो गया। इसके बाद सरकार बदली तो रुक्टा पर रोक के आदेश जारी हुए लेकिन सब मान्यता संबंधी कागजात पेश किए और दबाव बनाया तो फिर से इस पर रोक हटा दी। सूटा की गतिविधियों को तवज्जो मिलनी शुरू हो गई। सोमवार को जब विश्वविद्यालय में इन दोनों संगठनों पर रोक संबंधी आदेश जारी किए तो उनके पदाधिकारियों में हडक़ंप मच गया।
यह बोले संगठन… हम काम करते रहेंगे
संगठन बनाना नागरिकों का संविधान प्रदत मौलिक अधिकार है जिस पर रोक लगाना संविधान का उल्लंघन होगा। सुविवि शैक्षिक संघ राष्ट्रीय स्तर पर अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक संघ व राज्य स्तर पर रुक्टा (राष्ट्रीय) से सम्बद्ध है। डीएसडब्ल्यू की आज्ञा की कोई वैधता नहीं है। शैक्षिक संघ शिक्षक हितों के लिए कार्य करता रहेगा।
संगठन बनाना नागरिकों का संविधान प्रदत मौलिक अधिकार है जिस पर रोक लगाना संविधान का उल्लंघन होगा। सुविवि शैक्षिक संघ राष्ट्रीय स्तर पर अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक संघ व राज्य स्तर पर रुक्टा (राष्ट्रीय) से सम्बद्ध है। डीएसडब्ल्यू की आज्ञा की कोई वैधता नहीं है। शैक्षिक संघ शिक्षक हितों के लिए कार्य करता रहेगा।
डॉ बालूदान बारहठ, महामंत्री, सुखाडिय़ा विवि शैक्षिक संघ अधजल गगरी छलकत जाय
डीएसडब्ल्यू कौन होते हैं सूटा को बैन करने वाले। वह सिर्फ बेतुके आदेश निकालकर सुर्खियों में रहना चाहते हैं। वे यह भूल रहे हैं कि इनके खिलाफ एक गंभीर मामले में जांच कमेटी बैठी थी। तब सूटा से मदद की गुहार लगा रहे थे। तब इन्हें सूटा सूट कर रही थी और आज इन्हें सूटा अवैधानिक लग रही है।
डीएसडब्ल्यू कौन होते हैं सूटा को बैन करने वाले। वह सिर्फ बेतुके आदेश निकालकर सुर्खियों में रहना चाहते हैं। वे यह भूल रहे हैं कि इनके खिलाफ एक गंभीर मामले में जांच कमेटी बैठी थी। तब सूटा से मदद की गुहार लगा रहे थे। तब इन्हें सूटा सूट कर रही थी और आज इन्हें सूटा अवैधानिक लग रही है।
डॉ देवेन्द्र सिंह राठौड़, अध्यक्ष, सूटा