scriptडीएसडब्ल्यू ने शिक्षक संघों और यूनियन पर लगाई रोक, सूटा और रुक्टा ने जताया विरोध | dispute in Mohanlal Sukhaadia University | Patrika News

डीएसडब्ल्यू ने शिक्षक संघों और यूनियन पर लगाई रोक, सूटा और रुक्टा ने जताया विरोध

locationउदयपुरPublished: Aug 06, 2019 07:48:18 pm

Submitted by:

Krishna

सुविवि में इनका वैधानिक वजूद नहीं- प्रो ढाका

mlsu udaipur

डीएसडब्ल्यू ने शिक्षक संघों और यूनियन पर लगाई रोक, सूटा और रुक्टा ने जताया विरोध

चंदन सिंह देवड़ा/उदयपुर . मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय के अधिष्ठाता छात्र कल्याण (डीएसडब्ल्यू) प्रो एमएस ढाका इन दिनों में अपने आदेशों और पत्रों से विश्वविद्यालय में खलबली मचाए हुए हैं। ढाका ने सोमवार को शिक्षक संगठनों को निशाने पर लेते हुए आदेश जारी किया कि विश्वविद्यालय में संचालित शिक्षक संघों और यूनियन का कोई वजूद नहीं दिख रहा है। ऐसे में इन की गतिविधियों पर रोक लगाई जाती है।ढाका ने आदेश में लिखा कि संविधान के अनुसार संघों, यूनियनों का गठन या पंजीयन ट्रेड यूनियन एक्ट-1926 के तहत किया जा सकता है जिसमें श्रमिक होना अनिवार्य है। ऐसे में शिक्षक को श्रमिक कहना न्यायोचित नहीं है। ढाका ने विश्वविद्यालय एक्ट-1962 के भाग 14/4 में वर्णित दायित्वों के निर्वहन के तहत यह रोक संबंधी आदेश जारी किया।
सूटा-रुक्टा पर पहले भी लगी थी रोक

पूर्व में जब भाजपा सरकार थी, तब सुविवि में पहले भी शिक्षक संगठन सूटा (कांग्रेस विचारधारा) पर कुलपति ने रजिस्ट्रार के जरिये एक आदेश जारी कर रोक लगाई थी। बाद में विश्वविद्यालय में सुखाडिय़ा विवि शैक्षिक यानी रुक्टा (संघ विचारधारा) का गठन हो गया। इसके बाद सरकार बदली तो रुक्टा पर रोक के आदेश जारी हुए लेकिन सब मान्यता संबंधी कागजात पेश किए और दबाव बनाया तो फिर से इस पर रोक हटा दी। सूटा की गतिविधियों को तवज्जो मिलनी शुरू हो गई। सोमवार को जब विश्वविद्यालय में इन दोनों संगठनों पर रोक संबंधी आदेश जारी किए तो उनके पदाधिकारियों में हडक़ंप मच गया।
यह बोले संगठन…

हम काम करते रहेंगे
संगठन बनाना नागरिकों का संविधान प्रदत मौलिक अधिकार है जिस पर रोक लगाना संविधान का उल्लंघन होगा। सुविवि शैक्षिक संघ राष्ट्रीय स्तर पर अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक संघ व राज्य स्तर पर रुक्टा (राष्ट्रीय) से सम्बद्ध है। डीएसडब्ल्यू की आज्ञा की कोई वैधता नहीं है। शैक्षिक संघ शिक्षक हितों के लिए कार्य करता रहेगा।
डॉ बालूदान बारहठ, महामंत्री, सुखाडिय़ा विवि शैक्षिक संघ

अधजल गगरी छलकत जाय
डीएसडब्ल्यू कौन होते हैं सूटा को बैन करने वाले। वह सिर्फ बेतुके आदेश निकालकर सुर्खियों में रहना चाहते हैं। वे यह भूल रहे हैं कि इनके खिलाफ एक गंभीर मामले में जांच कमेटी बैठी थी। तब सूटा से मदद की गुहार लगा रहे थे। तब इन्हें सूटा सूट कर रही थी और आज इन्हें सूटा अवैधानिक लग रही है।
डॉ देवेन्द्र सिंह राठौड़, अध्यक्ष, सूटा

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो