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जिला उपभोक्ता प्रतितोष फोरम के निर्णय…बिना सेवा इंटरनेट चार्ज को माना गलत

locationउदयपुरPublished: Dec 06, 2017 02:17:25 am

Submitted by:

Mohammed illiyas

इंटरनेट सेवा नहीं होने तथा सिम बदलने के बावजूद बिल जारी करने पर जिला उपभोक्ता प्रतितोष फोरम ने वोडा कंपनी की सेवा को दोषपूर्ण मानते हुए परिवादी के बिल

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उदयपुर . इंटरनेट सेवा नहीं होने तथा सिम बदलने के बावजूद बिल जारी करने पर जिला उपभोक्ता प्रतितोष फोरम ने वोडा कंपनी की सेवा को दोषपूर्ण मानते हुए परिवादी के बिल निरस्त कर उसे राशि दिलाई।
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वैशाली अपार्टमेंट सेक्टर-4 निवासी अधिवक्ता अरविंद त्यागी ने यूआईटी सर्कल पर स्थित वोडाफोन कार्यालय के ब्रांच मैनेजर व क्षेत्रीय कार्यालय जयपुर के खिलाफ परिवाद पेश किया। बताया कि विपक्षी कंपनी ने बार एसोसिएशन के लिए एक सीयूजी प्लान निकाला था। सभी अधिवक्ताओं को पोस्ट पेड कनेक्शन 124 माह के रेन्टल पर दिए गए। कंपनी ने प्लान का नाम बार एसोसिएशन स्पेशल प्लान दिया। अधिवक्ता त्यागी का कहना है कि जब से सिम मिली, तब से वह परेशान है। कस्टमर केयर पर शिकायत करते हुए इंटरनेट सेवा चालू करने के लिए कहा, आवेदन करने पर भी कंपनी ने ध्यान नहीं दिया। इंटरनेट कनेक्शन चालू नहीं करने के बावजूद कंपनी ने जनवरी २०१५ के बिल में २५६ रुपए थ्रीजी नेट के जोड़ दिए। शिकायत करने पर कंपनी ने यह राशि बिल में कम कर दी। अधिवक्ता ने कंपनी से पोस्ट पेड सिम बंद कर प्री-पेड सिम की मांग की। कंपनी ने प्री-पेड सिम तो दे दी लेकिन उसे चालू नहीं किया। फरवरी 2015 में फिर थ्री जी नेट चार्ज जोडक़र बिल दे दिया।

परिवादी का कहना है कि प्री पेड सिम के लिए पोस्ट पेड सिम को उसने ब्रांच मैनेजर के सामने तोड़ दी। इसके बावजूद पोस्ट पेड सिम का बिल जारी कर दिया। फोरम के अध्यक्ष रणधीरसिंह नरुका, सदस्य अनुभा शर्मा ने सुनवाई के बाद कंपनी की सेवा को दोषपूर्ण मानते हुए समस्त बिल को निरस्त किए तथा मानसिक परेशानी व परिवाद व्यय के ५ हजार रुपए देने के आदेश दिए।
बीमा राशि के भुगतान का आदेश
आसना खेमली निवासी भैरूलाल डांगी बनाम भारतीय जीवन बीमा शाखा नाथद्वारा व क्षेत्रीय प्रबंधक कार्यालय उदयपुर के मामले में भी परिवादी को बीमा राशि के 25 हजार रुपए मय ब्याज व मानसिक परेशानी व वाद व्यय के 15 हजार रुपए दिलाए। परिवादी ने बीमा कंपनी से वर्ष 1997 में पॉलिसी ली थी। 2006 में अंतिम किस्त का भुगतान करने पर भी कंपनी ने राशि नहीं दी। तर्क दिया कि घटना घटित होने पर ही राशि का भुगतान किया जाएगा।
इसी तरह बुथेल (गिर्वा) निवासी पुष्करलाल नागदा बनाम बगरू स्थित एम.के.ट्रेडर्स जरिए मालिक मुकेश कुमावत के मामले में परिवादी को मशीन व रॉ मेटेरियल की 1.16 लाख रुपए दिलाए। परिवादी ने विपक्षी कंपनी से पत्तल दोने की मशीन खरीदी थी, न तो मशीन चली न ही कंपनी की ओर से तकनीकी प्रशिक्षण दिया गया था।
इधर, ऋण लिया नहीं और काटा प्रोसेसिंग चार्ज, दिलाए 4.49 लाख
उदयपुर. दो करोड़ के व्यावसायिक ऋण के महज आवेदन पर ही बैंक की ओर से प्रोसेसिंग फीस के नाम पर काटी गई 4.49 लाख रुपए की राशि स्थायी लोक अदालत ने मय ब्याज से दिलाते हुए 15 हजार का जुर्माना भी लगाया। स्थायी लोक अदालत के अध्यक्ष के.बी.कट्टा, सदस्य सुशील कोठारी व बृजेन्द्र सेठ ने यह आदेश पारस अपार्टमेंट बेदला रोड निवासी एशिया पेसिफिक रॉक्स प्राइवेट लिमिटेड जरिये पार्टनर हिमांशु पुत्र राजेन्द्र दुग्गड़ बनाम इंडसइंड बैंक लिमिटेड शाखा पंचवटी जरिए शाखा प्रबंधक के मामले में दिया। प्रोसेस फीस के नाम पर कटौती गई राशि 4.49 लाख रुपए कटौती दिनांक से अब तक 10 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज एक माह में सहित अदा करें। बैंक की ओर से बरती गई सेवादोष के कारण परिवादी को हुई मानसिक, शारीरिक व आर्थिक क्षति एवं वाद व्यय के 10 हजार रुपए अलग से अदा करे। इसके अलावा 15 हजार रुपए एक माह में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा करवाए।

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