संगठन के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. एसएल बामनिया ने आरोप लगाया कि सरकार दमनात्मक रवैया दिखाते हुए यह कार्रवाई कर रही है। संगठन ने सरकार से पदाधिकारियों के तबादले निरस्त करने की मांग की गई है। उन्होंने चेतावनी दी कि सरकार ने अडिय़ल रवैया अपनाया तो आंदोलन फिर से तूल पकड़ेगा और मरीजों को होने वाली परेशानी के लिए सरकार स्वयं जवाबदार रहेगी। इधर, हड़ताल के दौरान जिले की 27 सीएचसी, 10 शहरी डिस्पेंसरी एवं 98 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर मरीजों को घंटों तक परामर्श के लिए कतार में खड़ा रहना पड़ा। हिरणमगरी एवं चांदपोल स्थित सेटेलाइट हॉस्पिटल के अलावा एमबी हॉस्पिटल में सेवारत करीब 40 चिकित्सकों सहित 300 चिकित्सक हड़ताल पर रहे।
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एफआईआर भी कटाई
चिकित्सकों में नाराजगी इस बात को लेकर भी है कि सीकर निवासी गर्भवती महिला चिकित्सक डॉ. आशा लता के साथ चिकित्सा विभाग के प्रशासनिक अधिकारी ने अभ्रदता की। वह बेसुध होकर गिर पड़ी और उन्हें रोगी वाहन से चिकित्सालय जयपुर में भर्ती करवाना पड़ा। महिला आयोग में चिकित्सक ने तो शिकायत नहीं की, लेकिन 18 नवम्बर को आरएएस अधिकारी ने डॉक्टर के खिलाफ अशोकनगर थाने में मुकदमा दर्ज करा दिया।
एफआईआर भी कटाई
चिकित्सकों में नाराजगी इस बात को लेकर भी है कि सीकर निवासी गर्भवती महिला चिकित्सक डॉ. आशा लता के साथ चिकित्सा विभाग के प्रशासनिक अधिकारी ने अभ्रदता की। वह बेसुध होकर गिर पड़ी और उन्हें रोगी वाहन से चिकित्सालय जयपुर में भर्ती करवाना पड़ा। महिला आयोग में चिकित्सक ने तो शिकायत नहीं की, लेकिन 18 नवम्बर को आरएएस अधिकारी ने डॉक्टर के खिलाफ अशोकनगर थाने में मुकदमा दर्ज करा दिया।
यूं परवान चढ़ा था आंदोलन
– जुलाई में ज्ञापन व काली पट्टी बांधकर सरकार से 33 सूत्रीय मांग पूरी करने में जुटा संगठन।
– 18 अक्टूबर को एक साथ सीएल अवकाश पर उतरे चिकित्सक। सरकार को दी चेतावनी।
– 6 नवम्बर को पूरे राजस्थान में सामूहिक त्यागपत्र सौंपते हुए हड़ताल पर उतरे प्रदेश के 10 हजार चिकित्सक।
– संगठन के समर्थन 8 नवम्बर को पूरे प्रदेश के रेजिडेंट चिकित्सक हड़ताल पर उतरे।
– 12 नवम्बर को चिकित्सक संघ और सरकार के बीच समझौता हुआ।
– 33 में 22 मांगें सरकार ने मानी, सरकार ने समयबद्ध तरीके से मामला निपटाने का आश्वासन दिया।
– 7 दिवसीय चिकित्सकों की हड़ताल को अवकाश में मर्ज करने का आदेश भी जारी नहीं हुआ।