खतरों से भरी शिक्षा की डगर
उदयपुरPublished: Aug 11, 2019 02:08:35 am
(Contact is cut in the rain)
जान जोखिम में डाल पढऩे जाते हैं नौनिहालझामरी नदी पर पुल के अभाव में लालावतों का गुड़ा के ग्रामीणों की पीड़ाबारिश में कट जाता है सम्पर्क
खतरों से भरी शिक्षा की डगर
उदयपुर. गींगला . सलूम्बर ब्लॉक की गुड़ेल ग्राम पंचायत के लालावतों का गुड़ा गांव के ग्रामीणों को बारिश (rain)के साथ ही चिंता (worry )सताने लगती है कि झामरी नदी (river)में पानी आने के बाद नदी पर पुल (The bridge)के अभाव में पार करना खतरे (danger)से खाली नहीं है। ऐसे में या तो चार माह तक सम्पर्क कटा रहता है या फिर उन्हें करीब 15 किमी दूर घूमकर गुड़ेल पहुंचना मजबूरी है। कुछ ऐसा ही हाल शनिवार को देखने को मिला।
लालावतों का गुड़ा गांव के बच्चों को नदी पार कर गुड़ेल स्थित राउमावि व राप्रावि में पढऩे जाना पड़ता है। शनिवार अलसुबह को झामरी नदी में तेज पानी आने से उनका रास्ता बंद(road closed) हो गया, लेकिन आखिर स्कूल जाना भी जरूरी है। कई अभिभावकों ने बच्चों को पानी में उतार कर नदी पार करवाई (Got the river crossed)तो कुछ बच्चों ने जान जोखिम (At risk) में डाल नदी पार करते हुए स्कूल पहुंचे, वही छोटे बच्चे स्कूल ही नहीं पहुंच पाए और नदी से वापस बैग लेकर मायूस घर की ओर लौटे। जो बच्चे नदी पार कर गये वे भी वापस उतरने की हिम्मत नहीं करने वाले। ऐसे में अगर जरा सी असावधानी या निगरानी नहीं रखी तो बच्चों की जिद या कारस्तानी भारी पड़ सकती है।
ग्रामीणों ने बताया कि लंबे समय से इस पुल की मांग करते आ रहे है लेकिन आज तक सिवाय आश्वासन के कुछ नहीं मिला। पूर्व उपसरपंच किशोर सिंह, माधु सिंह आदि ने बताया कि 26 साल से पुल या रपट की मांग कर रहे है।ं पूर्व गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया, पूर्व सार्वजनिक निर्माण मंत्री युनूस खान, धनसिंह रावत, पूर्व सांसद रघुवीर सिंह मीणा, सांसद अर्जुन लाल, विधायक अमृत लाल सहित विभाग को भी अवगत कराया गया था।
कट जाएगा सम्पर्क: ग्रामीणों ने बताया कि नदी में बजरी खनन के बाद मूल स्वरूप से हटकर बड़े बड़े गहरे खाई व गड्ढे हो जाने से बच्चों को नदी पार करवाना खतरे से खाली नहीं है। ऐसे में पानी अधिक आने पर हादसे की हर समय आशंका रहती है। बच्चों के अभिभावक भी अब चिंतित नजर आने लगे हंै। जब बच्चों को स्कूल भेज देते हैं तो वापस आने का इंतजार ही रहता है। ऐसे में अधिक पानी आने पर चोमासे में बच्चे स्कूल नहीं जा पाएंगे और सम्पर्क भी कटा रहेगा। दूसरी ओर 15 किमी घूम कर आने में हर बच्चे के अभिभावक सक्षम नहीं है।