गुणवत्ता में होता है अन्तर
हृदय रोग विशेषज्ञ व विभागाध्यक्ष डॉ मुकेश शर्मा का कहना है कि बाजार में 12,300 से लेकर 30 हजार तक के स्टेंट उपलब्ध हैं। जो महंगा होता है उसकी गुणवत्ता अच्छी होती है। कई बार मरीज को पूछने पर वह स्वयं ही बेहतर स्टेंट लगाने की कहते हैं। हालांकि योजना में जिसकी स्वीकृति है, वही लगाना होता है।
हृदय रोग विशेषज्ञ व विभागाध्यक्ष डॉ मुकेश शर्मा का कहना है कि बाजार में 12,300 से लेकर 30 हजार तक के स्टेंट उपलब्ध हैं। जो महंगा होता है उसकी गुणवत्ता अच्छी होती है। कई बार मरीज को पूछने पर वह स्वयं ही बेहतर स्टेंट लगाने की कहते हैं। हालांकि योजना में जिसकी स्वीकृति है, वही लगाना होता है।
यह है लाइफ लाइन में रखने का तरीका
लाइफ लाइन में जो महंगे स्टेंट या अन्य साधन मंगवाए जाते हैं, उन्हें सीधे तौर पर किसी कंपनी से खरीदा नहीं जाता, बल्कि इसे कंपनी से शर्तों पर लिया जाता है कि मरीज आने पर उसका इस्तेमाल किया जाएगा, यदि मरीज नहीं आता है तो उसे कंपनी को एक्सपायर होने से पहले वापस लेना होगा। स्टेंट शरीर में जीवन भर चलता है, लेकिन शरीर में लगने से पहले निर्माण तिथि से तीन या चार साल की अवधि निकल जाती है।
लाइफ लाइन में जो महंगे स्टेंट या अन्य साधन मंगवाए जाते हैं, उन्हें सीधे तौर पर किसी कंपनी से खरीदा नहीं जाता, बल्कि इसे कंपनी से शर्तों पर लिया जाता है कि मरीज आने पर उसका इस्तेमाल किया जाएगा, यदि मरीज नहीं आता है तो उसे कंपनी को एक्सपायर होने से पहले वापस लेना होगा। स्टेंट शरीर में जीवन भर चलता है, लेकिन शरीर में लगने से पहले निर्माण तिथि से तीन या चार साल की अवधि निकल जाती है।
हमें योजना में जो स्वीकृति मिली है, उसके आधार पर ही काम किया जा सकता है। योजना में तय मापदंडों के अनुरूप ही चला जा सकता है। बाजार के अन्य महंगे साधन मरीज अपने स्तर पर लगा सकता है। लाइफ लाइन के लिए मंगवाए जाने वाले साधन खरीदे नहीं जाते हैं, ताकि सरकारी राशि का नुकसान नहीं हो। – डॉ लाखन पोसवाल, अधीक्षक महाराणा भूपाल हॉस्पिटल उदयपुर