उदयपुर में सूखने लगे जलाशय, गांवो में गहराने लगा जलसंकट , 40 डिग्री पहुंचा तापमान
उदयपुरPublished: Apr 02, 2019 07:00:46 pm
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Water crisis after summer begins
उमेश मेनारिया/मेनार. आमतौर पर गर्मी अप्रैल के अंतिम दिनों से शुरू होती है लेकिन इस साल मार्च से ही ये सितम ढा रही है। अप्रैल को छोड़िए मार्च में ही मई वाली गर्मी का सामना करना पड़ रहा है। नतीजा है पिछले साल हुई कम बारिश से जलाशयों का जलस्तर घटने लगा है। मार्च के अंत तक तो पारा भी 40 डिग्री तक पहुंच गया। अब जैसे जैसे गर्मी बढ़ रही है वैसे वैसे नदी, नालों, तालाबों का जलस्तर घटने लगा है। कई गावों में अभी मार्च महीने में ही बुरा हाल है। मई और जून में स्थिति भयावह हो सकती है। क्षेत्र में धण्ड तालाब 90 प्रतिशत तक सुख चुका है जिससे निचले इलाकों के कुओं का जलस्तर तेजी से घट रहा है। वही ब्रह्म सागर तालाब का पानी कम हुआ है। ये दोनों तालाब मेनार से सटे निचले क्षेत्र मेनार, वाना, बामणिया, बाँसड़ा, अमरपुरा खालसा, खेड़ली सहित क्षेत्र के कई गावों के लिए जीवनदायिनी है। वही मार्च महीने में एनीकट सूख रहे हैं। मई जून में लोगों को पानी के लिए तरसना पड़ सकता है। अब इन एनीकटों में पानी नहीं होने के बराबर है। क्षेत्र के गांवों में इस वर्ष कम बारिश के चलते मार्च महीने से ही तालाब और हैंडपंप जवाब देने लगे हैं। भू-जल स्तर घटने के कारण गांवों के हैंडपंप सूखने लगे हैं। लिहाजा अब लोगों पानी की चिंता सताने लगी है। इस वर्ष बारिश कम होने के कारण तालाबों में पानी नहीं भर पाया और मई-जून महीने तक साथ देने वाले तालाब भी मार्च महीने में ही पूरी तरह सूख गए हैं। ग्रामीण अंचल के लोगों का तालाब ही प्रमुख साधन होता है। तालाबों के समय से पूर्व सूख जाने से गांवों में अभी से हाहाकार मचने लगा है। परिंदो सहित जीव जन्तुओं के लिए अभी से संकट पैदा हो गया है। मछलियों के लिए मामूली पानी बचा है। मवेशियों के लिए संकट पैदा होने वाला है। गर्मी आते ही क्षेत्र में पानी की समस्या हर साल होने लगती है। ज्यादातर जानवरों के पीने के लिए पानी, निस्तारण में समस्या आती है। नल, बोरिंग, कुंआ इत्यादि सूख जाते हैं। समय रहते ध्यान नहीं दिया गया। तो गांवों में जल संकट उत्पन्न हो सकता है। वल्लभनगर उपखण्ड क्षेत्र में ऐसे सेकड़ो गाँव है जो जलाशयो पर ही निर्भर रहते हैं। धण्ड तालाब सूखने से जानवरों के पीने के योग्य पानी की समस्या होने वाली है। रबी की फसल में अंतिम सिचाई प्रभावित, उत्पादन घटेगा तालाब तो सुख चुके है। मेनार सहित आस पास के कई इलाकों में भूजल की चिंता गहराने लगी है। घटते जल स्तर से कुओं, ट्यूवेल में पानी टूटना शुरू हो गया है। ऐसे में गेंहु की फसल में चल रही अंतिम सिंचाई पर संकट खड़ा हो गया है। अमुमन रबी की फसल को तैयार हो चुकी है लेकिन कई इलाकों में इसकी अंतिम पिलाई चल रही है वहीं सब्जियों, घास, पपीता आदि नकदी फसलों का क्या होगा इसकी चिंता अब किसानों को सताने लगी है। मेनार में जलदाय के तीनों कुओं का जलस्तर घटा मेनार में जलदाय विभाग के तीनो कुओं में जल स्तर नीचे चला गया है। नल पानी सप्लाई की टँकी में भराव एवम जलापूर्ति के लिए पर्याप्त पानी नही है। पिछले दो सप्ताह से इन कुओं में अचानक जल स्तर नीचे चला गया जिसे आपूर्ति समय करना सम्भव नही हो पा रहा है। जलापूर्ति के लिए पानी टुटने लगा है। ऐसे में नल से जलापूर्ति के लिया बड़ा संकट होने वाला है। मेनार के मेला ग्राउंड, धण्ड तालाब, आमलिया कुआं में जलस्तर नीचे जा चुका है। सप्लाई के लिए पानी नही बचा है। अभी 72 घण्टों के अंतराल से नल से जलापूर्ति की जा रही है।