scriptभयावह कोरोना के आगे बौनी व्यवस्था | Dwarf arrangement in front of the dreaded Corona | Patrika News

भयावह कोरोना के आगे बौनी व्यवस्था

locationउदयपुरPublished: Apr 08, 2021 09:03:32 am

Submitted by:

bhuvanesh pandya

– ना कांटेक्ट ट्रेसिंग, ना होम आइसोलेशन उपचार, ना नियमों का पहरा – कोरोना को नियंत्रित करने में नाकाम जिला प्रशासन, मरीजों की सार संभाल में चिकित्सा विभाग का भी फूला दम

भयावह कोरोना के आगे बौनी व्यवस्था

भयावह कोरोना के आगे बौनी व्यवस्था

भुवनेश पंड्या

र्उदयपुर जिला जो संभागीय मुख्यालयों में शामिल होते हुए भी संक्रमित मामलों में अन्य के मुकाबले सामान्य गति की घात सहन कर रहा था, पिछले कुछ दिनों से तो जैसे कोरोना वायरस को पंख ही लग गए है। पिछले एक पखवाड़े में आई संक्रमण में तेजी बेकाबू हो गई है। ऐसा लग रहा है मानो इस भयावह कोरोना के आगे जिला प्रशासन की व्यवस्थाएं बौनी साबित हो रही है तो चिकित्सा विभाग का भी कोरोना उपचार करते-करते दम फूल गया है। खास बात ये है कि ज्यादातर समय जिला प्रशासन से लेकर चिकित्सा विभाग के अधिकारी बैठकों में ही व्यस्त रहते हैं तो धरातल पर क्या स्थिति चल रही किसी को मालूम नहीं। जहां तक पूरा लवाजना कोरोना को लेकर काम कर रहा है तो आखिर बढ़ते मामलों पर लगाम क्यों नहीं लग रही, ये एक बड़ा सवाल है।
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कांटेक्ट ट्रेसिंग के हाल- उदयपुर में कांटेक्ट ट्रेसिंग के लिए चिकित्सा विभाग ने 11 लोगों की टीम लगा रखी है, लेकिन संक्रमित होने वाले लोगों की इन दिनों ना तो कांटेक्ट ट्रेसिंग हो रही है और ना ही कोई पूछ परख। हालात ऐसे है कि मरीजों को जांच के बाद रिपोर्ट पोजिटिव आने के बाद भी चिकित्सा विभाग की ओर से एक फोन तक करने वाला कोई नहीं है। कांटेक्ट ट्रेसिंग यदि हो तो उसके समीपस्थ क्षेत्रों में सख्ती बढ़ाकर मामलों को रोका जा सकता है, लेकिन इन दिनों तो किसी मरीज को कोई पूछने वाला तक नहीं है। ये तो शहर के हाल है, ऐसे में गांवों में आ रहे संक्रमितों की पूछ-परख की तो उम्मीद ही बेकार है। शहर में 1820 एक्टिव मामले हैं। इन लोगों से नियमित संपर्क में रहने के लिए जिला प्रशासन से लेकर चिकित्सा विभाग के पास कोइ्र प्लान नहीं है।
केस- 1: गत 4 अप्रेल को सवीना से संक्रमित राजेश (बदला हुआ नाम) की अभी तक किसी ने सार संभाल ही नहीं की है। हालात ये है कि उसकी रिपोर्ट आने के बाद किसी का ना तो फोन गया है और ना ही किसी ने उससे व्यक्तिगत संपर्क किया है।
केस- 2: गत 3 अप्रेल को शंाति नगर से संक्रमित मोहन (बदला हुआ नाम) के पास कोई फोन नहीं गया। किसी ने उससे नहीं पूछा कि उसके क्या हाल है।

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होम आइसोलेशन के हाल- जिले में 1397 लोगों को होम आइसोलेशन में रखा गया है। इसमें से करीब 75 फीसदी लोग ऐसे है, जिनको किसी ने नहीं संभाला है। हालात ये है कि पहले जब होम आइसोलेशन में कम मरीज थे, तो शुरुआत में एक बार विभाग की ओर से उन्हें संक्रमित होने व दवाई की जरूरत है या नहीं उसका फोन चला जाता था, लेकिन अब तो सैंकड़ों मरीज ऐसे हैं, जिन्हें देखना तो दूर सुनने वाला भी कोई नहीं। विभाग के पास केवल 16 लोगों की टीम है, जो होम आइसोलेशन का काम देख रही टीम केवल 16 लोगों की टीम काम कर रही है।
केस 1 : तीतरड़ी क्षेत्र में 1 अप्रेल को संक्रमित हुए सोहन (बदला हुआ नाम) को अब तक सात दिन बाद भी किसी ने संपर्क नहीं किया है। उसने ना केवल दवाइयां अपने स्तर पर खरीदी बल्कि सोशल मीडिया से होम आइसोलेशन में कैसे रहना है उसका वीडियो देखकर खुद को आइसोलेट किया।
केस 2- सेक्टर 14 से ही 1 अप्रेल को संक्रमित हुए ज्ञानप्रकाश (बदला हुआ नाम) को भी किसी ने संपर्क नहीं किया। उसने जरूर खुद ने चिकित्सा विभाग के कन्ट्रोल रूम पर संपर्क कर जानकारी ली थी, और स्वयं अपने स्तर पर ही दवाइयों की भी व्यवस्था की।
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सख्ती गायब

– शहर से लेकर गांवों में लगातार मामले बढ़ रहे है, लेकिन दिन में कही कोई सख्ती नजर नहीं आ रही है। प्रशासनिक अधिकारियों ने कुछ दिन कार्रवाई का दिखावा तो किया लेकिन इसका कोई खास असर नजर नहीं आया। गली मोहल्लों से लेकर मुख्य सड़कों तक पूरा शहर कोरोना नियमों को बेरोकटोक तोड़ रहा है। गर्मी बढऩे के साथ ही अधिकारी फिर दफ्तरबंद हो गए हैं। हालात ये है कि अधिकांश व्यवसायियों ने तो अपने यहां सेनेटाइजर्स तक नहीं रखे हैं। कुछ ने केवल दिखावे के लिए रखे भी है तो उसके प्रतिष्ठान में बिना मास्क व सोशियल डिस्टेंसिंग के खरीदारों को आसानी से देखा जा सकता है।
– रात्रिकालीन कफ्र्य के दौरान भी शहर की मुख्य सड़कों पर लोग बेरोकटोक आते-जाते नजर आते हैं, तो उन्हें रोकने वाला कोई नहीं।

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लगातार व्यवस्थाओं पर पूरी नजर है, जहां कमी है वहां स्टाफ लगाकर व्यवस्थाएं मजबूत कर रहे हैं। संक्रमण बढऩे से व्यवस्थाएं भी उसके अनुरूप बेहतर करने का पूरा प्रयास कर रहे हैं।
डॉ दिनेश खराड़ी, सीएमएचओ उदयपुर

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