फीकी हुई सिवइयों की मिठास
कोरोना ने कई लोगों को आर्थिक रूप से बेरोजगार कर दिया है तो कइयों ने अपनों को खोया है। ऐसे में इस साल भी ईद का उत्साह कहीं नजर नहीं आ रहा। शहर के कुछ मुस्लिम मोहल्लों में सिवइयां बनाई जाती थी और लोग इनकी खूब खरीद करते थे। लेकिन, पूरे रमजान माह में सिवइयों की मिठास फीकी रही। लोगों ने कपड़े व सामान खरीदने व खाने से ज्यादा रोजे, नमाज व इबादत कर दुआएं मांगी। ईद से पहले सूखा मेवा व खजूर, जिसकी मांग हमेशा रमजान में खूब रहती है, उसकी मांग इस बार भी कम रही।
कोरोना ने कई लोगों को आर्थिक रूप से बेरोजगार कर दिया है तो कइयों ने अपनों को खोया है। ऐसे में इस साल भी ईद का उत्साह कहीं नजर नहीं आ रहा। शहर के कुछ मुस्लिम मोहल्लों में सिवइयां बनाई जाती थी और लोग इनकी खूब खरीद करते थे। लेकिन, पूरे रमजान माह में सिवइयों की मिठास फीकी रही। लोगों ने कपड़े व सामान खरीदने व खाने से ज्यादा रोजे, नमाज व इबादत कर दुआएं मांगी। ईद से पहले सूखा मेवा व खजूर, जिसकी मांग हमेशा रमजान में खूब रहती है, उसकी मांग इस बार भी कम रही।
ना साजो-शृंगार, ना सजीं टोपियां ईद नजदीक आते ही शहर के प्रमुख मालदास स्ट्रीट, हाथीपोल आदि में चहल-पहल शुरू हो जाती है। महिलाएं जहां साजो-शृंगार का सामान खरीदते नजर आती हैं, वहीं ईद के मौके पर पहने जाने वाली खास टोपियां भी दुकानों पर सज जाती हैं। लेकिन, लॉकडाउन के कारण ये बाजार ही बंद हैं। वहीं, झब्बा-पायजामा सिलवाने के लिए जो ऑडर्स दुकानदारों को मिलते थे, वे भी अब नहीं मिल रहे। लोग कोरोना के दौर में खरीदारी करने से बच रहे हैं। दुकानदारों के अनुसार ईद का बाजार पूरी तरह से ठप है।