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उल्लेखनीय है कि ओमप्रकाश खत्री, जेएस दवे और उदयपुर सिटीजन सोसायटी ने जनहित याचिका दायर की थी। तब हाइकोर्ट ने पूर्व की सुनवाई में एलिवेटेड रोड के निर्माण पर अंतरिम रोक लगा दी थी। सभी ने याचिका में कहा कि एलिवेटेड रोड में रोड कांग्रेस के नियमों व प्रावधानों की अनदेखी की जा रही है। इसका डिजाइन भी तकनीकी दृष्टि से दोषपूर्ण है, जिससे आमजन की सुरक्षा को लेकर सवाल उठ खड़े हुए हैं। इस रोड के बीच तीन स्थानों मेवाड़ मोटर्स की गली, सूरजपोल स्थित उदयपुर होटल से पहले और कोर्ट चौराहा पर 90 डिग्री का कोण बन रहा है। साथ ही इसमें फुटपाथ भी नहीं है तथा सर्विस लेन के लिए भी जगह बहुत कम है।
उल्लेखनीय है कि ओमप्रकाश खत्री, जेएस दवे और उदयपुर सिटीजन सोसायटी ने जनहित याचिका दायर की थी। तब हाइकोर्ट ने पूर्व की सुनवाई में एलिवेटेड रोड के निर्माण पर अंतरिम रोक लगा दी थी। सभी ने याचिका में कहा कि एलिवेटेड रोड में रोड कांग्रेस के नियमों व प्रावधानों की अनदेखी की जा रही है। इसका डिजाइन भी तकनीकी दृष्टि से दोषपूर्ण है, जिससे आमजन की सुरक्षा को लेकर सवाल उठ खड़े हुए हैं। इस रोड के बीच तीन स्थानों मेवाड़ मोटर्स की गली, सूरजपोल स्थित उदयपुर होटल से पहले और कोर्ट चौराहा पर 90 डिग्री का कोण बन रहा है। साथ ही इसमें फुटपाथ भी नहीं है तथा सर्विस लेन के लिए भी जगह बहुत कम है।
130 करोड़ रुपए का था एलिवेटेड रोड प्रोजेक्ट
उदियापोल से कोर्ट चौराहा तक करीब 130 करोड़ रुपए की लागत से 1.650 किमी लम्बी एलिवेटेड रोड बनना प्रस्तावित था। एलिवेटेड रोड के टेंडर में कार्य पूरा होने का समय दो वर्ष और कम्पनी ने तीन वर्ष यानी 2021 का समय रखा था। एलिवेटेड रोड की कंसलटेंट एजेंसी की डीपीआर पर कई तकनीकी आपत्तियां उठाई गई। एनएचआई ने फरवरी 2017 को पेश रिपोर्ट में भी इस प्रोजेक्ट को अनुपयोगी बताया गया था।
उदियापोल से कोर्ट चौराहा तक करीब 130 करोड़ रुपए की लागत से 1.650 किमी लम्बी एलिवेटेड रोड बनना प्रस्तावित था। एलिवेटेड रोड के टेंडर में कार्य पूरा होने का समय दो वर्ष और कम्पनी ने तीन वर्ष यानी 2021 का समय रखा था। एलिवेटेड रोड की कंसलटेंट एजेंसी की डीपीआर पर कई तकनीकी आपत्तियां उठाई गई। एनएचआई ने फरवरी 2017 को पेश रिपोर्ट में भी इस प्रोजेक्ट को अनुपयोगी बताया गया था।