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Video : वह वजह जिसके कारण उदयपुर में एलिवेटेड रोड मंजूर होने के बाद भी बनती-बनती रह गई।

locationउदयपुरPublished: Dec 14, 2018 12:22:16 pm

Submitted by:

Bhagwati Teli

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मुकेश हिंगड़/उदयपुर. शहर में यातायात दबाव को कम करने और सुगम आवाजाही के लिए प्रस्तावित एलिवेटेड रोड का प्रोजेक्ट निरस्त कर दिया गया है। अब एलिवेटेड रोड नहीं बनेगी। हाइकोर्ट में याचिका पर सुनवाई में जब एनएचआई से सीआरआरआई की तकनीकी रिपोर्ट मांगी तो एनएचआई ने उस रिपोर्ट की बजाय इस टेंडर को निरस्त करने की बात कही। बड़ी बात यह है कि इन सबके बावजूद हाइकोर्ट ने एलिवेटेड रोड के भविष्य को लेकर एक शर्त और लगा दी है। याचिका पर बुधवार को जोधपुर हाइकोर्ट ने सुनवाई की। हाइकोर्ट ने पिछली सुनवाई में कहा था कि उदयपुर में एलिवेटेड रोड की जो डिजाइन बना रखी है, उसका डिजाइन सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीआरआरआई) से यह परीक्षण करवाए कि वह रोड कांग्रेस के अनुसार है या नहीं। सुनवाई में एनएचआई ने कहा कि सीआरआरआई ने इस परीक्षण के 30,24,930 रुपए के खर्च को बड़ा बताया। एनएचआई ने हाइकोर्ट को बताया कि उन्होंने इस तकनीकी बीड को वापस ले लिया है, जिसका सीधा सा मतलब है कि इस प्रोजेक्ट को निरस्त कर दिया है। हाइकोर्ट ने इसके बावजूद एक शर्त डाल दी कि आगे भविष्य में भी अगर एलिवेटेड रोड बनाई जाती है तो हाइकोर्ट के ध्यान में लाकर स्वीकृति जरूर ली जाए।
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उल्लेखनीय है कि ओमप्रकाश खत्री, जेएस दवे और उदयपुर सिटीजन सोसायटी ने जनहित याचिका दायर की थी। तब हाइकोर्ट ने पूर्व की सुनवाई में एलिवेटेड रोड के निर्माण पर अंतरिम रोक लगा दी थी। सभी ने याचिका में कहा कि एलिवेटेड रोड में रोड कांग्रेस के नियमों व प्रावधानों की अनदेखी की जा रही है। इसका डिजाइन भी तकनीकी दृष्टि से दोषपूर्ण है, जिससे आमजन की सुरक्षा को लेकर सवाल उठ खड़े हुए हैं। इस रोड के बीच तीन स्थानों मेवाड़ मोटर्स की गली, सूरजपोल स्थित उदयपुर होटल से पहले और कोर्ट चौराहा पर 90 डिग्री का कोण बन रहा है। साथ ही इसमें फुटपाथ भी नहीं है तथा सर्विस लेन के लिए भी जगह बहुत कम है।
130 करोड़ रुपए का था एलिवेटेड रोड प्रोजेक्ट
उदियापोल से कोर्ट चौराहा तक करीब 130 करोड़ रुपए की लागत से 1.650 किमी लम्बी एलिवेटेड रोड बनना प्रस्तावित था। एलिवेटेड रोड के टेंडर में कार्य पूरा होने का समय दो वर्ष और कम्पनी ने तीन वर्ष यानी 2021 का समय रखा था। एलिवेटेड रोड की कंसलटेंट एजेंसी की डीपीआर पर कई तकनीकी आपत्तियां उठाई गई। एनएचआई ने फरवरी 2017 को पेश रिपोर्ट में भी इस प्रोजेक्ट को अनुपयोगी बताया गया था।
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