कर्मचारी कम, वे भी मुख्यालय पर नहीं ठहरते
ओरवाडिय़ा का प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, जनता नीम हकीमों के भरोसे
उदयपुर•Sep 23, 2019 / 01:51 am•
Pankaj
कर्मचारी कम, वे भी मुख्यालय पर नहीं ठहरते
शंकर पटेल/गींगला . सरकार की ओर से नि:शुल्क दवा, नि:शुल्क जांच समेत कई तरह की चिकित्सा योजनाएं संचालित है, लेकिन ग्रामीण स्तर पर स्थिति दयनीय है। बरसात के साथ ही जल जनित मौसमी बीमारियों के प्रकोप से हर कोई आहत है, वहीं सरकारी तौर पर चिकित्सा सुविधाओं का भारी अभाव है। इसी को लेकर राजस्थान पत्रिका ने हर गांव-कस्बे तक पहुंचकर पड़ताल की है। ओरवाडिय़ा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की रिपोर्ट-
सलूम्बर ब्लॉक का ओरवाडिय़ा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र। यहां सुविधाएं आधी अधूरी है, उस पर भी प्रतिनियुक्ति की व्यवस्था ने आहत कर रखा है। जो चिकित्साकर्मी हैं, वे भी मुख्यालय पर नहीं ठहरते। लिहाजा आपात स्थिति में जनता की सेहत नीम हकीमों के हवाले हो जाती है।
ओरवाडिय़ा में दो में से एक चिकित्सक सहित दो अन्य कार्मिक अन्यत्र अस्पतालों में प्रतिनियुक्ति पर हैं। ग्रामीणों का कहना है कि ओरवाडिय़ा के नाम नियुक्त होकर वेतन ले रहे हैं, तो सेवाएं दूसरी जगह क्यों? ओरवाडिय़ा पीएचसी के तहत घाटी, चिबोड़ा, खरका तालाब स्वास्थ्य केन्द्रों सहित 10 हजार से अधिक आबादी इसी पीएचसी के भरोसे है। वर्तमान में मौसमी बीमारियों के मरीज बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं, लेकिन पर्याप्त स्टाफ के अभाव में परेशानी हो रही है।
ज्यादातर कार्मिक प्रतिनियुक्ति पर
ओरवाडिय़ा पीएचसी पर तीन जीएनम पद स्वीकृत हैं, जिनमें से दो अन्यत्र पदस्थापित हैं। एक को भुवाणा उदयपुर, जबकि दूसरा आदर्श पीएचसी जेताना में लम्बे समय से सेवारत है। सालभर पहले यहां नियुक्त एलएचवी सेवानिवृत्त होने के बाद से पद रिक्त है। यहां से एक चिकित्सक को लसाडिय़ा बीसीएमओ का चार्ज दे रखा है।
बदरंग हो चुका भवन
पीएचसी परिसर बदरंग हो चुका है। चिकित्सक कक्ष सहित पूरे परिसर में दीवारों से पतरें उखडऩे लगी है। छोटे परिसर में सभी व्यवस्थाएं की जा रही है। इसके अलावा पीएचसी तक पहुंचने वाले मार्ग पर भी कीचड़ से स्थिति विकट बनी रहती है।
सरकारी व्यवस्था ढीली तो झोलाछाप सक्रीय
गांव में एक नीम हकीम भी क्लीनिक चला रहा है। पीएचसी कर्मचारी दिन में तो उपचार दे देते हैं, लेकिन रात को मुख्यालय पर नहीं ठहरते। ऐसे में आपात स्थिति में जनता नीम हकीम के ही भरोसे हो जाती है। ऐसे में संस्थागत प्रसव की संख्या भी बहुत कम है। ग्रामीणों ने बताया कि पूर्व में भी कई बार शिकायतें की, फिर भी नीम हकीम यथावत है। लिहाजा विभागीय मिलीभगत का अंदेशा है।
जननी सुरक्षा पर सवाल
उपसरपंच हीरालाल पटेल, प्रकाश डंगीरा ने बताया कि गांव में कई प्रसूताओं को जननी सुरक्षा योजना के तहत मिलने वाली राशि का लाभ नहीं मिला है। इसकी सूची चिकित्सक से मांगी गई तो कार्मिकों ने दस्तावेज की कमी बताई है।
जैसे-तैसे व्यवस्था बना रखी है
स्टाफ की कमी के बावजूद व्यवस्थाएं संभाल रखी है। पूरे परिसर की पुताई करवाई जाएगी। झोलाछाप के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। मौसमी बीमारियों का प्रकोप तो है, लेकिन सभी को उपचार मिल रहा है। जेएसवाई के 17 केस पेडिंग थे, जिनमें से अधिकांश प्रसूताओं के दस्तावेज नहीं होने से भुगतान नहीं हो पाया।
डॉ. संजय शर्मा, प्रभारी ओरवाडिया पीएचसी
उच्चाधिकारियों को बताया है
प्रतिनियुक्त स्टाफ के लिए उच्चाधिकारियों को पूर्व में बताया गया। अब और लिखा जाएगा। क्षेत्र के झोलाछाप की सूची जिला स्तर की कमेटी और पुलिस थानों में भी उपलब्ध करवा रखी है। इन पर कार्रवाई जिला स्तरीय कमेटी की ओर से प्रस्तावित है।
डॉ. गजानंद गुप्ता, बीसीएमओ सलूम्बर
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