गुजरात-महाराष्ट्र की तर्ज पर राजस्थान में यह एक्ट होता तो निवेशकों के बच जाते करोड़ों
सोसायटी ने डूबाया 20 लाख लोगों का 6 हजार करोड़
आदर्श सोसायटी की सम्पत्तियां नीलामी में ‘कानून’ का रोडा
सरकार स्तर पर कानून बनाने पर चल रहा मंथन
आदर्श क्रेडिट सोसायटी adarsh credit society के प्रबंधकों की गिरफ्तारी के बाद राज्य प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ED ने सोसायटी की सम्पत्तियां एवं खरीदी गई जमीनों पर शिकंजा कसा हो लेकिन राज्य में गुजरात व महाराष्ट्र की तरह ‘राजस्थान इनवेस्टर प्रोटेक्शन एक्ट नहीं होने से सरकार निवेशकों को उनका धन नहीं दिला पा रही है। गिरफ्तार प्रबंधकों के न्यायालय से दोषसिद्ध होने पर ही सरकार उनकी सम्पत्ति को नीलाम कर पाएगी। सोसायटी ने राजस्थान, गुजरात व महाराष्ट्र के निवेशकों की पूंजी को आरडी/एफडी में उलझा रखा है।

उदयपुर . आदर्श क्रेडिट सोसायटी के प्रबंधकों की गिरफ्तारी के बाद राज्य प्रवर्तन निदेशालय (इडी) enforcement directorate ने सोसायटी की सम्पत्तियां एवं खरीदी गई जमीनों पर शिकंजा कसा हो लेकिन राज्य में गुजरात व महाराष्ट्र की तरह ‘राजस्थान इनवेस्टर प्रोटेक्शन एक्ट नहीं होने से सरकार निवेशकों को उनका धन नहीं दिला पा रही है। गिरफ्तार प्रबंधकों के न्यायालय से दोषसिद्ध होने पर ही सरकार उनकी सम्पत्ति को नीलाम कर पाएगी। सोसायटी ने राजस्थान, गुजरात व महाराष्ट्र के निवेशकों की पूंजी को आरडी/एफडी में उलझा रखा है।
उन्होंने निवेशकों को अधिक ब्याज का झांसा देकर निवेश करवाया। अधिकतर निवेशक सेवानिवृत्त कार्मिक व अधिकारी के अलावा वे लोग हैं, जिन्होंने अपने जीवन भर की गाढ़ी कमाई का सोसायटी में निवेश किया है। इडी की अब तक जांच में तीन राज्यों में करीब 20 लाख लोगों के 6 हजार करोड़ रुपए की राशि इस सोसायटी में उलझने की जानकारी आई है। लगातार शिकायत आने के बावजूद सरकार कानून नहीं होने पर सोसायटी की सम्पत्तियां को नीलाम नहीं पाई। अब सरकार स्तर पर इस पर मंथन चल रहा है। कंपनी के प्रबंधकों ने लोगों के पैसों से अलग-अलग जगह पर जमीन खरीदी। इडी की टीम ने सभी जगह से सोसायटी के संबंधित जानकारी जुटाई है। अब तक सोसायटी की सम्पत्तियों का मूल्य डीएलसी की दर से 13-14 सौ करोड़ रुपए आंका गया है, वहीं इनकी कीमत बाजार मूल्य से करीब 3 हजार करोड़ बताई जा रही है।
तीन राज्यों में 3000 करोड़ की सम्पत्तियों मौजूद
(ऐसे कई सरकारी अधिकारी व कर्मचारी है जिनका पैसा डूबा है)
10 से ज्यादा एफआईआर होने पर कुर्की
इंनवेस्टर प्रोटक्शन एक्ट में किसी भी संस्था व सोसायटी के विरुद्ध 10 से ज्यादा एफआईआर दर्ज होने पर सरकार उसकी सम्पत्ति को कुर्क कर निवेशकों को पैसा लौटा सकती है। राजस्थान में ऐसा एक्ट नहीं होने के कारण इडी ने सोसायटी की सम्पत्ति पर शिकंजा कसा लेकिन वे उसे नीलाम नहीं कर पाए। कंपनी प्रबंधकों ने अब तक राजस्थान, हरियाणा गुजरात, दिल्ली में सम्पत्ति खरीदी थी। उदयपुर में कई पोश इलाकों में कई नामचीन सम्पत्तियां शामिल है।
केस-1
पीडि़ता- कल्पना पामेचा (काल्पनिक नाम )
निवेश राशि- 18 लाख
पिता को गंभीर बीमारी होने पर पैसों की मांग की तो सोसायटी ने पैसा नहीं दिया। पीडि़ता का कहना है कि मुसीबत के समय के लिए यह पैसा इक_ा किया था लेकिन नहीं मिला।
केस-2
पीडि़ता- विधवा महिला
निवेश राशि - 10 लाख रुपए
सर्वाधिक ब्याज मिलने से चार एफडी करवा रखी है। इनके ब्याज से ही उसका गुजारा चल रहा था। सोसायटी के फरार होने पर परिजनों ने विधवा को ही घर से निकाल दिया। यह पीडि़ता अपने रिश्तेदारों के यहां रह रही है।
केस-3
पीडि़ता- सरकारी अध्यापिका
निवेश राशि- करीब 8 लाख
चार अलग-अलग एफडी करवाई। एक के परिपक्व होते ही सोसायटी ने पैसा नहीं दिया। सेवानिवृत होने के बाद इसी पैसों की आस थी।
केस-4
पीडि़त- दो सरकारी अधिकारी
निवेश- सेवानिवृत्ति के बाद करीब 40 व 50 लाख का निवेश किया
सोसायटी के बंद होने से दोनों अधिकारी सडक़ पर आ गए। वे अपना दुखड़ा किसी को नहीं बता पा रहे है।
अधिक ब्याज देने से जुड़ गए लोग
- सोसायटी में अधिकतर पैसा सरकारी कर्मचारियों एवं अधिकारियों का डूबा। ये सभी अधिक ब्याज के लालच में सोसायटी से जुड़े।
- कम्पनी ने सेवानिवृत्ति होने वाले हर कार्मिक व अधिकारियों पर नजर रखी और बार-बार सम्पर्क कर उन्होंने लुभावने प्रलोभन देकर उनका पैसा उलझा दिया।
- छोटी-छोटी बचत के नाम पर कंपनी के कार्मिकों ने पैसा जोड़ा और अधिकतर निवेश जमीनों में किया।
- कम पूंजी का निवेश करने वालों में से अधिकतर को पैसा नहीं मिला तो बड़ी पूंजी वाले सामने नहीं आ रहे हैं।
- राजस्थान के निवेशकों के लिए उचित कानून बनाना आवश्यक है अन्यथा छोटे-छोटे निवेशक ऐसे ही लुटते रहेंगे। आपराधिक कार्रवाइयों से निवेशकों को कोई राहत नहीं मिलने वाली है।
प्रवीण खंडेलवाल, वरिष्ठ अधिवक्ता
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