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उदयपुर

आरएनटी: 58 साल में सबकुछ बदला, नहीं बदली तो 150 सीट

सरकारी साठ साल पर प्राइवेट का दशक भारी

उदयपुरApr 12, 2019 / 11:44 am

Bhuvnesh

सरकारी साठ साल पर प्राइवेट का दशक भारी

सरकारी साठ साल पर प्राइवेट का दशक भारी

भुवनेश पण्ड्या

उदयपुर. उदयपुर के रवींद्र नाथ टैगोर मेडिकल कॉलेज खुले अब 24 माह बाद पूरे 60 साल हो जाएंगे, लेकिन इस बड़े काल खंड में इस मेडिकल कॉलेज को केवल 150 डॉक्टरी की सीटों तक सीमित रखा गया है। ये चर्चा इसलिए कि 150 सीटों के लिए ही फिर से इसी सप्ताह एमसीआई का निरीक्षण होना है। कॉलेज की शुरुआत में 58 साल पहले भी इसमें डॉक्टरी की 150 सीट ही थी और अब भी 150।
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हम रह गए पीछे

कई निजी मेडिकल कॉलेज खुले हुए एक या अधिकतम दो दशक हुए हैं, वे भी 150 सीटों से आगे निकल 250 तक आ पहुंचे हैं। कुछ ऐसे मेडिकल कॉलेज हैं, जिन्हें इससे कम समय हुआ है और वे 150 सीटों पर सिक्का जमाए बैठे हैं। आधारभूत सुविधाओं से लेकर मरीजों की संख्या व अन्य सभी मापदण्डों की कसौटी पर यदि सभी मेडिकल कॉलेजों के साथ आरएनटी को नापा जाए तो ये कॉलेज किसी से कम नहीं हैं। फिलहाल यहां आधार 250 सीटों का है, यहीं नहीं इस कॉलेज में सीट बढ़ाने का हर आधार पारदर्शिता के साथ हर आमोखास को नजर आ रहा है।
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1961 में शुरू हुआ था कॉलेज आरएनटी की स्थापना वर्ष 1961 में हुई थी, जो 57 एकड़ से अधिक क्षेत्र में फैला है। शहर के बीचों बीच स्थित है। 1966 में कॉलेज को मेडिकल काउंसिल से मान्यता मिली थी। खास बात ये कि कॉलेज शुरू होने के करीब चार साल में ही 150 सीटें आवंटित कर दी गई थी, तो बीच में कम कर फिर इसे 150 किया गया। वर्तमान में आरएनटी के अन्तर्गत महाराणा भूपाल हॉस्पिटल 1500 बिस्तर, जनाना में 550 बिस्तर, टीबी में 250, हिरण मगरी स्थित सैटेलाइट में 90 और चांदपोल स्थित 60 बिस्तर हैं। ऐसे में आरएनटी के अन्तर्गत 2450 कुल मरीजों के लिए बिस्तर उपलब्ध हैं। प्रतिदिन यहां सभी में मिलाकर ओपीड़ी औसतन छह हजार है।
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इसलिए निरीक्षण आरएनटी मेडिकल कॉलेज में वर्ष 2013-14 में 100 से 150 सीट हुई थी। इसके बाद नियमानुसार प्रत्येक पांच वर्ष में 150 सीटों का नवीनीकरण करवाना होता है। ऐसे में अब वर्ष 2019 में इसका नवीनीकरण करवाया जा रहा है, जबकि इससे पहले नवीनीकरण के लिए दो बार एमसीआई से टीमें आ चुकी है, जिसमें कुछ ना कुछ कमी को बताते हुए इसे आगे नहीं बढ़ाया गया, अब ये निरीक्षण तीसरी बार हो रहा है।
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ये है स्थिति – महाराणा भूपाल हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ लाखन पोसवाल ने बताया कि किसी भी मेडिकल कॉलेज में 150 सीटों के लिए मेडिसिन, सर्जरी और गायनिक विभाग में छह-छह यूनिट होनी जरूरी हैं। जबकि शिशु विभाग, अस्थि रोग विभाग में तीन-तीन यूनिट और अन्य में जैसे इएनटी, ऑक्टो, स्कीन, साइक्रेट्रिक, टीबी में एक-एक यूनिट होनी चाहिए। प्रत्येक यूनिट में 30 मरीज और तीन फैकल्टी जरूरी है। इसके साथ ही 150 सीटों के लिए न्यूनतम 1200 मरीज प्रतिदिन होने जरूरी हैं। जबकि अपने सभी चिकित्सालयों में मिलाकर 5500 से छह हजार मरीजों की ओपीड़ी है, ये संख्या करीब 250 सीटों के लिए भी काफी है।
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एमसीआई निरीक्षण के मापदण्डों के आधार पर सीटों का आवंटन किया जाता है। निरीक्षण के आधार पर कुछ कमी के कारण सीटे बढऩे से रह जाती है। एमसीआई के नियमों में जो फैकल्टी चाहिए वह नहीं होने का ये असर है। डॉ ललित रेगर, अतिरिक्त प्रधानाचार्य आरएनटी
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हमने 150 सीटों पर मुहर लगने के तुरन्त बाद 250 सीटों के आवेदन की तैयारी कर ली है। इसे लेकर हम 250 सीटों के लिए हैल्थ मिनिस्ट्री को पत्र लिख चुके हैं। पूरी उम्मीद है कि 150 सीटे कन्फर्म होने के बाद इस बार 250 सीटों पर भी जल्द मुहर लग जाएगी।
डॉ डीपी सिंह, प्रधानाचार्य आरएनटी

आरएनटी कॉलेज की शुरुआत के बाद 1966 में हम पांचवें बैच में थे, उस समय हमारे साथ 146 विद्यार्थी डॉक्टरी कर रहे थे, उस समय सीट 150 थी, लेकिन बाद में इसे कम कर 100 कर दिया था। डॉ एचएल खमेसरा, वरिष्ठ सर्जन, प्रथम यूरोलॉजिस्ट, उदयपुर
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ये जरूरी है कि आधारभूत सुविधाओं के साथ-साथ हर मेडिकल कॉलेज का फैकल्टी का हिस्सा मजबूत होना चाहिए, सरकार को चाहिए कि निरीक्षण से पूर्व इस पर पूरा फोकस किया जा सके। यदि सीट बढेग़ी तो इसका सीधा लाभ आम लोगों को मिलेगा।
डॉ बी भंडारी, पूर्व प्रधानाचार्य आरएनटी

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