पानरवा से कोल्यारी के बीच डोलरिया के पास एंबुलेेंस का टायर एकाएक फट गया। हालांकि चालक ने सूझ-बूझ से हादसा नहीं होने दिया। टायर बदलने के लिए उसने स्टेपनी निकाली, लेकिन इसकी हालत भी इतनी खराब थी कि इसके भरोसे एंबुलेंस चलाना जानलेवा हो सकता था। इस बीच करीब पौन घंटे महिला दर्द से कराहती रही। मजबूरी में परिजन उसे मोटरसाइकिल पर लेकर झाड़ोल सीएचसी के लिए रवाना हो गए। उधर, विभाग का कहना है कि एंबुलेंस खराब होने का पता चलते ही फलासिया से दूसरी एंबुलेंस रवाना करवा दी थी।
आखिर क्यों चलाई जा रही है खस्ताहाल एंबुलेंस? घटनाक्रम के दौरान कई ग्रामीण भी मौके पर आ जुटे थे। उन्होंने आक्रोश जताया कि जब एंबुलेंस की हालत इतनी खराब है तो विभाग इसे दुरुस्त करवाए बिना सडक़ों पर दौड़ाकर गर्भवती-प्रसूताओं की जिंदगी से क्यों खेल रहा है। आक्रोश इस आशंका से भी था कि आमलेटा के सर्पिल घाटे में घटना होती तो एंबुलेंस में सवार सबकी जान पर बन आती। बता दें कि शुक्रवार को ओगणा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में प्रसव के बाद 104 एंबुलेंस ने प्रसूता को उसके घर से दो किमी पहले छोड़ दिया था। महिला कालियाघाटी की रहने वाली थी। परिजन ने बुधवार रात प्रसव पीड़ा होने होने पर 104 सेवा बुलाई थी। तब भी चालक ने दो किलोमीटर दूर बुलाया था।
दूसरी एंबुलेंस के आने से पहले चले गए सुबह प्रसूता को अस्पताल लाया गया था। पहला प्रसव और हालत गंभीर होने के साथ ही गर्भवती जांच में सहयोग नहीं दे रही थी, इसलिए उसे झाड़ोल रेफर किया था। एंबुलेंस खराब होने पर फलासिया की एंबुलेंस बुलवाई थी, लेकिन उसके पहुंचने से पहले ही परिजन बाइक पर उसे लेकर रवाना हो गए थे।
डॉ. मुकेश गरासिया, प्रभारी, आदर्श पीएचसी, पानरवा
पता नहीं परिजन कहां ले गए परिजन गर्भवती को झाड़ोल सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र लेकर आए थे। चिकित्सकों ने यहां भी जांच के लिए कहा, लेकिन महिला सहयोग नहीं कर रही थी। परिजन बाद में उसे लेकर कहां गए, इसकी जानकारी नहीं है।
डॉ.
धर्मेन्द्र गरासिया, बीसीएमओ, झाड़ोल