इसके बावजूद विभाग के जिम्मेदार इन मामलों में संवेदनशील नहीं हैं। कार्यालयों के चक्कर काटने के बावजूद पीडि़ताओं को विभाग से मिलने वाले 30 हजार रुपए की सहायता भी नसीब नहीं हो रही। विशेष टिप्पणी के साथ रोके गए भुगतान को लेकर मुख्यालय टस से मस नहीं होना चाहता। पीडि़ताएं सलाह के बावजूद कानूनी प्रक्रिया और अधिवक्ताओं की फीस से बचना चाहती हैं।
सीएचसी सलूम्बर के 3 केस
सूची के अनुसार सलूम्बर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर नसबंदी शिविर में सर्वाधिक 3 केस फेल हुए हैं। एक-एक केस सीएचसी कोटड़ा, हरिओम हॉस्पिटल और पन्नाधाय महिला चिकित्सालय के हैं।
प्रमाण-पत्र जारी करने में कोताही
पीडि़ता को लाभांश राशि जारी नहीं होने की वजह चिकित्सकों की ओर से नसबंदी प्रमाण-पत्र जारी करने में बरती गई कोताही है। अधिकतर मामलों में ऑपरेशन के साथ ही चिकित्सकों ने नसबंदी प्रमाण-पत्र जारी कर दिए थे। ऐसे मामलों को विशेष टिप्पणी के साथ विभाग ने खारिज कर दिया। कायदा कहता है कि ऑपरेशन के बाद अगली महावारी आने से पहले तक विशेषज्ञों की ओर से सर्टिफिकिट जारी नहीं किया जाना चाहिए। विफल नसबंदी के मामले में एसक्यूएसी (स्टेट क्वालिटी एश्योरेंस कमेटी) जयपुर की ओर से अयोग्य भुगतान के मामलों को टिप्पणी के साथ लौटा दिया जाता है। पूर्व में ऐसे मामलों में अदालत के आदेश पर विभाग स्तर पर पीडि़ताओं को भुगतान भी मिला है।
एसक्यूएसी ने रोका भुगतान
जयपुर की कमेटी ने नियमों का हवाला देकर भुगतान रोका है। ऐसे कई पुराने मामलों में अदालती आदेश पर विभाग ने भुगतान दिए हैं।
डॉ. आर.एन. बैरवा, संयुक्त निदेशक, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग
नसबंदी फेल के बाद अटके भुगतान पीडि़ता ऑपरेशन तिथि प्रमाण-पत्र तिथि सर्जन विशेष टिप्पणी
संगीता 12 नवंबर 14 दिनांक ही नहीं डॉ. तरुण मेघवंशी पूर्व में रही गर्भवती
वाल बाई 1 दिसंबर 15 1.12.15 डॉ. रेणु जैन सेम डेट
दुर्गा 9 सितम्बर 16 9.09.16 डॉ. एसएन चौबीसा सेम डेट
हन्नु बाई 13 फरवरी 16 13.02.16 डॉ. एसएल लोहिया सेम डेट
तारा 28 दिसंबर 15 28.12.15 डॉ. बीएस राव सेम डेट
वंदना 13 अप्रैल 16 13.04.16 डॉ. संगीता सेन 10 बाद
प्रमाण जारी