भटेवर (उदयपुर). उद्यान विभाग द्वारा संचालित योजनाओं में आवेदन करने के बाद किसानों को अब अनुदान के लिए लंबा इंतजार नहीं करना होगा। दरसल आवेदन करने के कुछ दिनों बाद ही किसानों को योजनाओं को लेकर अनुदान मिल जाएगा। उपनिदेशक उद्यान डा. लक्ष्मी कुंवर राठौड़ ने बताया की वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान विभिन्न योजनाओं में अनुदान के लिए आवेदन करने वाले किसानों का लॉटरी द्वारा चयन इसी महीने की 25 मई तक किया जाएगा। विभाग की सभी योजनाओं में किसानों के चयन के लिए इस बार एक साथ लॉटरी निकाली जाएगी। चयन प्रक्रिया में 16 जून 2022 से आवेदन करने वाले कृषकों को सम्मिलित करते हुए 15 मई 2023 तक ऑनलाइन आवेदन प्रस्तुत करने वाले कृषकों एवं पूर्व वित्तीय वर्ष 2022-23 में जिन कृषकों ने राज किसान साथी पोर्टल व ई-मित्र पोर्टल पर आवेदन किया गया था। परन्तु उनका चयन, वरीयता सूची में नाम नहीं आने के कारण लाभान्वित नहीं किया गया। उन कृषकों के आवेदन पत्र राज किसान साथी पोर्टल पर वर्ष 2023-24 के लिए कैरी फॉरवर्ड करते हुए पात्र माना जाएगा। उन्होंने बताया कि उद्यान विभाग के माध्यम से जिलेभर में ग्रीन हाउस, पॉली शेडनेट, हाउस, प्लास्टिक मल्च, लॉ टनल, कम लागत के प्याज भंडार, पैक हाउस, सामुदायिक जल स्रोत आदि योजनाओं का संचालन किया जाता है। इनमें किसानों को इकाई लागत का 50 से 95 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाता है। राजस्थान में मत्स्य विकास की चुनौतियों पर चर्चाउदयपुर. मत्स्य भवन में आयोजित हितधारक परामर्श कार्यशाला में राजस्थान में मत्स्य विकास की वर्तमान चुनौतियां और भविष्य विषय पर चर्चा हुई। यह कार्यशाला भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के केंद्रीय मात्स्यिकी शिक्षा संस्थान मुंबई व मत्स्य विभाग के संयुक्त तत्वावधान में हुई। कार्यशाला में मत्स्य विभाग की वर्तमान स्थिति एवं मत्स्य विकास के क्षेत्र में आ रही समस्याओं पर विस्तार से चर्चा हुई। इनमें मुख्य रूप से जलाशय मात्स्यिकी विकास जलाशयों की वर्तमान लीजिंग पद्धति, मत्स्य बीज उत्पादन एवं संग्रहण विभाग के प्रशासनिक ढांचे में स्वीकृत एवं रिक्त पदों की स्थिति पर चर्चा की गई। प्राप्त सुझावों पर सीआईएफई द्वारा वर्ष 2030 तक रोडमैप तैयार कर विभाग को प्रस्तुत किया जाएगा। कार्यशाला में वैज्ञानिक डॉ. पीएस अनंथम, डॉ. सुनील कुमार, डॉ. नेहा कुरैशी सहित मत्स्य विभाग के अधिकारी, फैकल्टी एवं विद्यार्थी, राजस संघ के अधिकारी, मत्स्य ठेकेदार, मत्स्य कृषक, आदिवासी मत्स्य सहकारी समितियों के सदस्यों, डॉ. एलएल शर्मा, डॉ. बी एस चावडा आदि ने भाग लिया।