------ ऐसे गुणवत्ता में फेल होती रही दवाएं - 16 मार्च 22 को जारी विभाग के कार्रवाई पत्र में 27 प्रकार की दवाइयों को गुणवत्ता पूर्ण नहीं माना गया। इसमें सर्वाधिक इस्तेमाल की जाने वाली पेरासिटामोल टेबलेट्स, क्लोरफेनिरामाइन मेलेट कफ सिरप, लिक्विड पेराफिन, एम्पिसिलिन सोडियम इंजेक्शन, लोपरामाइड हाइड्रोक्लोराइड टेबलेट सहित कई अन्य दवाएं गुणवत्तायुक्त नहीं मिली।- 5 अप्रेल को जारी विभाग के कार्रवाई पत्र में 44 प्रकार की दवाइयां गुणवत्ता के अनुरूप नहीं मिली। इसमें क्लोरफेनिरामाइन मेलेट कफ सिरप, एटोरवेस्टाटिन टेबलेट, ड्रोटावेरिन हाइड्रोक्लोराइड व मेफेनामिक एसीड टेबलेट, कैल्यिशम व विटामिन डी 3 टेबलेट, अल्प्राजोलम टेबलेट जैसी कई दवाइयां शामिल थी।
- 2 मई के पत्र में छह दवाइयों को इस घेरे में लिया गया, जिसमें डेक्सामेथासोन सोडियम फास्फेट इंजेक्शन, लिवोसिट्रीजन डिहाइड्रोक्लोराइड टेबलेट, क्लोपिडोग्रेल एण्ड एस्पि्रन टेबलेट, निमुस्लाइड एण्ड पेरासिटामोल टेबलेट, लिसिनोप्रिल टेबलेट शामिल थी।- 17 मई को जारी पत्र में थायरोक्नि टेबलेट, थायरोक्सिन सोडियम टेबलेट शामिल थे।
-------- विभाग की चेतावनी, लेकिन ये बड़ी समस्या फूड सैफ्टी एंड ड्रग कन्ट्रोलर कमिश्नरेट की ओर से इस तरह के दवाओं के नमूनों के फेल होने पर इसे लोगों तक नहीं पहुंचने देने व स्टॉक को तत्काल बाजार से उठा कंपनी में भेजने के लिए निर्देश दिए जाते है, लेकिन कई बार ज्यादातर स्टॉक मरीजों तक पहुंच चुका होता है, जिसे वे इस्तेमाल में ले चुके होते हैं।
------ मापदंडों पर नहीं उतरती खरीदवाइयों के अलग-अलग टेस्ट होते है, कंटेट, घुलनशील है या नहीं या कितना समय घुलने में लेती है और दवाइयों का तय रंग सही है या नहीं सहित कई टेस्ट होते हैं। ये दवाइयां मानक पर खरी नहीं उतरती है, सभी पैरामीटर देखे जाते हैं, इसमें फेल होने पर बनाने वाली कंपनी तक पुन: भेजा जाता है, ताकि वह आम व्यक्ति तक नहीं पहुंचे। जो-जो स्टॉक होता है, उसे कंपनी को तय निमायानुसार डिस्पोज करना होता है।
चैतन्य प्रकाश पंवार, असिस्टेंट ड्रग कन्ट्रोलर उदयपुर