मुंबई में हुई आग की घटना के बाद राजस्थान पत्रिका ने टूरिस्ट सिटी उदयपुर का रियलटी चेक किया तो पोल सामने आ गई। सबसे खास तो यह है कि होटलों और फायर एनओसी दोनों के लाइसेंस नगर निगम देती है लेकिन दोनों के आंकड़ों में भारी अंतर है। यानी होटल तो बहुत चल रहे हैं, लेकिन फायर एनओसी गिनती के होटलों ने ले रखी है। ऐसे ज्यादातर परिसरों में फायर सेफ्टी के जो मानक हैं, वे पूरे नहीं हैं। कई होटल-रेस्टोरेंट्स में तो फायर सेफ्टी सिस्टम ही नहीं है। अन्य सुरक्षा इंतजाम भी नहीं मिले। शहर के फाइव स्टार और अन्य श्रेणियों के कुछ होटलों को छोड़ दें तो अधिकांश के पास न तो अग्निशमन यंत्र लगे हैं, न उन्होंने नगर निगम ने इसकी एनओसी ली है। सिर्फ दिखावे के लिए औपचारिकताएं पूरी जरूर कर रखी है लेकिन हकीकत में वहां प्रबंध कुछ नहीं हैं।
READ MORE: PICS: सिर्फ इंसान ही नहीं फूलों को भी लगी ठण्ड, देखें सुर्ख गुलों की ये तस्वीरें फायर व होटल लाइसेंस की एजेंसी एक उदयपुर शहर की नगर निगम सीमा में होटलों को लाइसेंस (अनुज्ञा) भी नगर निगम ही देता है, यह कार्य नगर निगम की स्वास्थ्य सेक्शन की ओर से किया जाता है। इसी प्रकार फायर सिस्टम के लिए एनओसी भी निगम देता है। निगम का अग्निशमन केन्द्र से यह एनओसी दी जाती है।
उदयपुर में कारोबार
– 270 से ज्यादा होटल पंजीकृत
– 1200 से ज्यादा रेस्टोरेंट पंजीकृत
– 270 से ज्यादा होटल पंजीकृत
– 1200 से ज्यादा रेस्टोरेंट पंजीकृत