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”बच्चों को कुछ भी खिलाना-पिलाना ठीक नहीं” क्यों, पढ़िए पूरी खबर ….

locationउदयपुरPublished: Nov 19, 2018 04:49:05 pm

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”बच्चों को कुछ भी खिलाना-पिलाना ठीक नहीं” क्यों, पढ़िए पूरी खबर ….

भुवनेश पण्ड्या/उदयपुर . माता-पिता बच्चों को मोटा-ताजा बनाने के फेर में इतना कुछ खिलाना-पिलाना शुरू कर देते हैं कि कम उम्र में ही नसों में कॉलेस्ट्रॉल जमना शुरू हो जाता है। बच्चों का एक्टिविटी लेवल काफी ज्यादा होता है, जिससे कोई भी चीज सीमा से ज्यादा होने पर उनके लिए नुकसानदायक साबित होती है। यह कहना था महात्मा गांधी हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. दीपेश अग्रवाल का। वे रविवार को हार्ट एंड रिद्म सोसायटी, उदयपुर की ओर से एपीआई चेप्टर, उदयपुर और जीबीएच अमेरिकन हॉस्पिटल, उदयपुर की एकेडमिक पार्टनरशिप में हुई दो दिवसीय द फस्र्ट कार्डियेक कॉन्फ्रेंस-2018 में समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे।दूसरे दिन के सत्र की शुरुआत सोसायटी चेयरमैन डॉ. अमित खंडेलवाल के स्वागत भाषण से हुई। मुंबई से आए इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. निमित शाह ने आईवीयूएस व रोटा एब्लेशन तकनीक से एंजियोप्लास्टी के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि आईवीयूएस से हार्ट की धमनी में ब्लॉकेज, धमनी की मोटाई और ब्लॉकेज की स्थिति, उसमें लगने वाले स्टंट व बैलून का साइज का पता चलता है जिसका पता अल्ट्रासाउंड से लगाया जाता है। रोटा एब्लेशन ब्लॉकेज में जमा कैल्शियम को तोडऩे का काम करती है।
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समापन सत्र में वडोदरा के डॉ. शोमू बोहरा ने ईसीजी के बारे में क्विज के जरिए दिल की बीमारियों की बारीकियों को समझाया। इस रोचक सत्र में देशभर से आए डॉक्टर्स ने बढ़-चढक़र हिस्सा लिया। उन्होंने बताया कि ईसीजी इमरजेंसी में फस्र्ट पाइंट टेस्ट है। यह सबसे पहली और सबसे सस्ती जांच होती है, जिससे आधी जानकारी का पता चल जाता है। उससे ही आगे का ट्रीटमेंट शुरू होता है। ईसीजी और इको नार्मल आ जाए तो काफी हद तक मरीज और उसके परिजनों का तनाव दूर हो जाता है। उन्होंने बताया कि हार्ट बीट कम होने की स्थिति में पेसमेकर डाला जाता है। आमतौर पर इसकी जरूरत पचास साल बाद के रोगी में होती है, लेकिन कम उम्र के बच्चों में धडक़न कम होने पर भी इसका उपयोग होने लगा है। पैर के रास्ते डाला गया पेसमेकर भी कारगर साबित होता है।
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कांफ्रेंस में एम्स जोधपुर के डॉ. सुरेंद्र देवड़ा एवं डॉ. साकेत गोयल ने हाई ब्लड प्रेशर के कारणों एवं उनके उपचार के बारे में समझाया। मैक्स हॉस्पिटल, नई दिल्ली के डॉ. मोहन भार्गव एवं बेंगलूरु के डॉ. नवीन चंद्र ने पैर की धमनियों में खून के थक्के (डीवीटी) जमने के कारणों एवं उसके उपचार के बारे में बताया। उन्होंने उससे होने वाली जानलेवा बीमारी पल्मोनरी एंबोलिज्म के बारे में भी काफी जानकारी दी। कांफ्रेंस के चेयरमैन एवं जीबीएच अमेरिकन हॉस्पिटल के वरिष्ठ इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अमित खंडेलवाल, मेदांता हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ. प्रवीण चंद्रा, जीबीएच अमेरिकन हॉस्पिटल के वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. एस.के. कौशिक ने हार्ट अटैक के प्रमुख कारणों एवं उनके अत्याधुनिक तकनीक से उपचार व लंबे समय तक स्वस्थ हृदय के बारे में बताया। डॉ. नगेंद्र एस चौहान ने एंजियोप्लास्टी की आधुनिक तकनीक ओसीटी एवं एफएफआर के बारे में प्रजेंटेशन से जानकारी दी। समापन सत्र में मुख्य अतिथि डॉ. एचके बैदी थे। अंत में देशभर से आए डॉक्टर्स का चेयरमैन डॉ. अमित खंडेलवाल, संरक्षक डॉ. एसके कौशिक, डॉ. कपिल भार्गव और डॉ. मुके श शर्मा ने सोसायटी का स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया।

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