scriptvideo: संभाग का पहला सफल किडनी ट्रांसप्लांट गीतांजली हॉस्पिटल में | First successful kidney transplant in division, in Gitanjali hospital | Patrika News

video: संभाग का पहला सफल किडनी ट्रांसप्लांट गीतांजली हॉस्पिटल में

locationउदयपुरPublished: Mar 05, 2019 08:26:58 pm

Submitted by:

Bhuvnesh

– सलूम्बर निवासी नरेन्द्र मेहता को मिला नया जीवन
– माता बसंती बाई ने दी किडनी
– अग्रवाल ने कहा जल्द हार्ट व लीवर ट्रांसप्लान्ट की सुविधा होगी शुरू
 

 सलूम्बर निवासी नरेन्द्र मेहता को मिला नया जीवन

सलूम्बर निवासी नरेन्द्र मेहता को मिला नया जीवन

भुवनेश पण्ड्या

उदयपुर. गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल के नेफ्रोलोजिस्ट डॉ गुलशन कुमार मुखिया एवं यूरोलोजिस्ट डॉ पंकज त्रिवेदी ने 33 वर्षीय युवक सलूम्बर निवासी नरेन्द्र मेहता का दक्षिणी राजस्थान में पहला सफल किडनी ट्रांसप्लांट किया गया। यूरोलोजिस्ट डॉ विश्वास बाहेती, नेफ्रोलोजिस्ट डॉ चेतन महाजन, एनेस्थेटिस्ट डॉ एसएस जैतावत, डॉ अनिल एवं डॉ उदय प्रताप, कार्डियोलोजिस्ट डॉ रमेश पटेल, इंफेक्शन कंट्रोलर डॉ उपासना भुम्बला का भी योगदान रहा। लम्बे समय से उदयपुर में किडनी ट्रांसप्लांट यूनिट को ले कर प्रयास किए जा रहे थे जो अब पूरे हो चुके हैं। गीताजंली कॉलेज की ओर से अधिकारियों व चिकित्सकों ने मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत में इस ट्रांसप्लान्ट से जुड़ी पूरी जानकारी दी।
——-

मेहता 2003 में उच्च रक्तचाप एवं शरीर में सूजन की परेशानी से जूझ रहे थे, निजी हॉस्पिटल में किडनी बायोप्सी की जांच कराई जहां ग्लोमेरुला नेफ्रोलाइटिस बीमारी का पता चला। यह बीमारी ऑटो इम्यून के कारण होती है जिससे दोनों किडनियां खराब हो जाती है। करीब 2 साल तक दवाइयों पर रहने के बाद रोगी ने दवाई लेना बंद कर दिया, लेकिन गत साल 2018 में फिर से उच्च रक्तचाप की परेशानी होने लगी और दोनों किडनी फेल हो गई। गीतांजली हॉस्पिटल में परामर्श के बाद रोगी को डायलिसिस पर लिया गया। इसके बाद उन्हें किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी गई, जिसके लिए उनकी 53 वर्षीय माता बसंती बाई ने स्वैच्छिक रुप से अपनी एक किडनी बेटे को दान देने का निर्णय लिया। डॉ मुखिया ने बताया कि किडनी ट्रांसप्लांट के बाद किडनी रिजेक्शन का भी खतरा रहता है, जिसके लिए रोगी को दवाईयों से निरंतर मॉनिटर किया गया। यह रोगी कुछ समय पूर्व सप्ताह में दो बार डायलिसिस के लिए गीतांजली हॉस्पिटल आता था। डॉ मुखिया ने यह भी बताया कि किडनी ट्रांसप्लांट कराने वाले 70 प्रतिशत से ज्यादा रोगी दस वर्ष से अधिक जीते है जो डायलिसिस पर रहने वाले मरीजों की तुलना में कई अधिक है। यूरोलोजिस्ट व ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ पंकज त्रिवेदी ने बताया कि किडनी ट्रांसप्लांट एक तरह का क्रोनिक किडनी डिजीज से पीडि़त मरीजों के लिए उपचार का सर्वोत्तम विकल्प है। किडनी प्रत्यारोपण से पूर्व किडनी दाता (किडनी देने वाला व्यक्ति) का चयन एवं अन्य जांचें की गई एवं बाद में सर्जरी की गई। गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल के सीईओ श्री प्रतीम तम्बोली ने प्रेजेंटेशन के माध्यम से गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल में कैसे किडनी ट्रांसप्लांट की शुरुआत हुई को दर्शाया। उन्होंने बताया कि गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल में किडनी ट्रांसप्लांट की पूरी टीम उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त ऑर्गन ट्रांसप्लांट के लिए उत्कृष्ट श्रेणी के चिकित्सक होने के साथ ही प्रतिबद्ध टीम भी जरूरी है जो कि गीतांजली जैसे क्वार्टरनरी केयर हॉस्पिटल में उपलब्ध है। यहां सर्जरी से पहले, सर्जरी के दौरान एवं सर्जरी के बाद होने वाली सभी प्रक्रियाएं अंतरराष्ट्रीय चिकित्सा मापदण्डों के अनुसार की जाती है। उन्होंने बताया कि इसके बाद और भी रोगी किडनी ट्रांसप्लांट के लिए पंजीकृत हुए है जिनका ट्रांसप्लांट जल्द से जल्द होगा। नाटो के अनुसार हर 10 लाख लोगों पर 250-350 नए किडनी रोगी चिन्हित हो रहे है। उन्होंने आमजन से अंगदान की अपील एवं जागरुक करते हुए बताया कि अंगदान करने से हम कुल 8 जिंदगियां बचा सकते है।
—–

गीतांजली ग्रुप के कार्यकारी निदेशक अंकित अग्रवाल ने कहा कि उदयपुर शहर में किडनी ट्रांसप्लांट यूनिट शुरू होना समस्त मेवाड़ के लिए गर्व का विषय है। उन्होंने किडनी दाता रोगी की मां के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की। उन्होंने बताया कि आने वाले कुछ ही समय में जल्द ही गीतांजली हॉस्पिटल में हृदय व लिवर ट्रांसप्लांट की सुविधाएं भी शुरू होगी।
कार्यकारी निदेशक अंकित अग्रवाल ने बताया कि यदि आरएनटी में भी कोई ऐसा मरीज आता है, तो उसके लिए गीताजंली और आरएनटी के बीच ग्रीन कोरिडोर बनाया जाएगा।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो