‘देश में खाद्यान्न उत्पादन लगभग 283 मिलियन
हम खाद्य सुरक्षा के दृष्टि से परिपूर्ण मृदा स्वास्थ्य के साथ जैविक कृषि से बढ़ेगा उत्पादन
‘देश में खाद्यान्न उत्पादन लगभग 283 मिलियन
उदयपुर . ‘देश में खाद्यान्न उत्पादन लगभग 283 मिलियन हो गया है और हम खाद्य सुरक्षा के हिसाब से परिपूर्ण है। दरअसल, इसके पीछे मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन एवं जैविक खेती को बढ़ावा देने जैसे कारण हैं।Ó यह बात महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रोद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एनएस राठौड़ ने मृदा दिवस पर आयोजित कार्यशाला में कही।
गौरतलब है कि गुरुवार को अखिल भारतीय जैविक खेती नेटवर्क परियोजना, अनुसंधान निदेशालय व मृदा विज्ञान एवं कृषि रसायन विभाग, राजस्थान कृषि महाविद्यालय, उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में ‘विश्व मृदा दिवसÓ मनाया गया।
इस अवसर पर कुलपति ने कहा कि मिट्टी में आवश्यक पोषक तत्वों की मात्रा, नमी, ऑक्सीजन, सूक्ष्म जीव तथा जड़ों को पकड़कर रखने की क्षमता मिट्टी की गुणवत्ता निर्धारित करती है। कार्बन की मात्रा 5 ग्राम/प्रति किलो मिट्टी से कम होना एक चिन्ता का विषय है। इसके लिए केवल रासायनिक उर्वरकों पर अधिक ध्यान देने के बजाय गोबर की खाद, हरी खाद, मिश्रित खेती, जीवाणु कल्चर, जीवामृत, पंचगव्य, वर्मीकम्पोस्ट, फास्फेट रिच आर्गेनिक मेन्यूर (प्रोम) वर्मीवॉश, आदि विधियों का उपयोग अधिक से अधिक खेती में करना चहिए।
मिट्टी की जांच के बाद बोएं फसल
राजस्थान कृषि महाविद्यालय के डॉ.अरुणाभ जोशी ने बताया कि खेत की मिट्टी के अनुसार किसानों को फसल का चयन करना चाहिए। अत: मिट्टी की जांच कराकर ही फसल का चयन करें। इधर, डॉं. शान्ति कुमार शर्मा ने बताया कि सभी किसानों को खेत की मिट्टी के पीएच, कार्बन तथा ईसी की जांच के आधार पर ही जैविक खेती में फसल का चयन करना चाहिए।
इस दौरान झाड़ोल के किसानों सहित विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्षों, संकाय सदस्यों, वैज्ञानिकों, महाविद्यालय के कर्मचारियों तथा विद्यार्थियों ने भागीदारी निभाई।
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