पत्रिका स्टिंग
मुकेश हिंगड़/मोहम्मद इलियास
उदयपुर. आधार कार्ड बनवाने की प्रक्रिया निशुल्क और सरकारी परिसर में ही रखने की व्यवस्था कर सरकार ने भले ही देश भर के उन निजी केन्द्रों को ब्लैकलिस्टेड कर दिया, जो मनमानी का शुल्क वसूलते रहे। लेकिन, उदयपुर जिले में अभी तक फर्जीवाड़े का खेल जारी है। गांव व ढाणियां तो दूर रही, यहां जिला प्रशासन की नाक के नीचे लूट के अड्डे खुले हैं। फोटोकॉपी, स्टेशनरी व ई-मित्र केन्द्रों व दुकानों पर 100 से 200 रुपए में खुलेआम आधार कार्ड बनाए जा रहे है। देहलीगेट, कोर्ट चौराहा के आसपास फोटोकॉपी की दुकानों के अलावा छोटे केबिनों में भी यह कार्य बदस्तूर जारी है। राजस्थान पत्रिका टीम ने बुधवार को इस पूरे फर्जीवाड़े का स्टिंग किया तो चौंकाने वाली जानकारियां मिली। निजी केन्द्र के ऑपरेटरों को न तो प्रशासन का डर है और ना ही पुलिस का। बेखौफ कहा- सब बिकते हैं, आपको आधार कार्ड बनवाना है क्या? ज्यादा इंक्वायरी मत करो? पत्रिका टीम के एक साथी ने कहा कि उसका पुराना कार्ड खो गया है। पूछा कि नम्बर याद है। हां, कहने की देरी रही और दस मिनट में कार्ड थमा कर 150 रुपए ऐंठ लिए। इसी तरह एक अन्य महिला का भी आधार कार्ड वहां बनाया जा रहा था। देहली गेट तो एक उदाहरण मात्र है, पूरे शहर में लूट का खेल चल रहा है।
ऐसे मिले हालात
– स्थान : देहलीगेट
– समय : 2 से 2.30 बजे के मध्य
: फोटोकॉपी के एक दुकानदार से आधार कार्ड बनाने के बारे में पूछते ही उसने तपाक अंदर भेज दिया जहां एक युवक ने पूछा कि किसका बनाना है, वहां आधार मशीन से पहले ही कुछ महिलाओं के आधार नामांकन की प्रक्रिया पूरी की जा रही थी। दुकानदार ने बताया कि सरकारी प्रांगण में तो सरकारी जैसे ही काम होता है, आप तो बताए यहां मिनटों में आधार की प्रक्रिया पूरी कर लेंगे। यहां इसी अवधि में करीब तीन से चार आधार नामांकन की प्रक्रिया पूरी कर ली गई।
स्थान – देहली गेट
समय- 2.20 मिनट
– फोटो कॉपी की एक दुकान पर लिखा था कि यहां आधार कार्ड बनाया जाता है। वहां पूछने पर कार्यरत एक युवती ने कहा कि हां, बनता तो है। जब दस्तावेजों व शुल्क की जानकारी ली तो उसने 100 रुपए का शुल्क बताया। इस दरम्यिान जब पूछा कि प्रशासन की तो बाहर रोक है फिर यहां कैसे बना रहो। इस पर उसने कहा कि हम कहां बना रहे हैं, यह तो पास की दुकान पर बन रहा है।
निजी स्थानों पर नहीं लग सकती मशीनें
यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूआईडीएआई) ने आधार नामांकन के केन्द्रों को बंद कर दिया था, ये वे केन्द्र है जो पंजीकरण के नाम से लोगों से अवैध वसूली और कुछ सेवाओं के तय शुल्क से अधिक चार्ज कर रहे थे। यूआईडीएआई ने राज्य सरकारों को साफ निर्देश दिए कि वे आधार कार्ड की मशीनें सरकारी कार्यालयों में ही लगवाएं और उसके लिए भी संबंधित विभागाध्यक्ष के निर्देशन व निगरानी में आधार कार्ड बने।
अफसरों के सामने बन रहे दुकानों पर आधार
जिला कलक्टर, अतिरिक्त कलक्टर शहर, गिर्वा उपखंड अधिकारी के कार्यालय के पास दोनों तरफ देहलीगेट व कोर्ट चौराहा पर निजी दुकानों पर आधार बन रहे है, इसी प्रकार गिर्वा तहसील कार्यालय के सामने व नजदीक में भी आधार के नामांकन का कार्य निजी दुकानों पर हो रहा है, दुकानों के बाहर आधार बनाने, अपडेट करने तक के बोर्ड लगे है। इन स्थानों से ये सभी जिम्मेदार अफसर दिन में कई बार निकलते हैं।
इनका कहना है….
इस मामले को पूरी तरह से जांच करवाते है। मै ऐसे मामलों को सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग की उप निदेशक से ऐसे स्थानों पर कार्रवाई करवाता हूं।
– बिष्णुचरण मल्लिक, जिला कलक्टर
ऐसा तो नहीं होना चाहिए क्योंकि सभी जगह निजी केन्द्रों को बंद करवा दिया था।
शीतल अग्रवाल, उपनिदेशक, सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग