फूटा तालाब में 2005 में सडक़ निर्माण की स्वीकृति निरस्त की थी
नगर निगम के अफसरों के पास जवाब नहीं

उदयपुर. वर्ष 2006 में फूटा तालाब में से सडक़ निकालने का फैसला कर लिया गया था लेकिन यूआईटी की उस समय की बैठक में इसे निरस्त किया गया कि तालाब पेटे में सडक़ नहीं बना सकते है। उस बैठक में तत्कालीन गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया और उदयपुर के कई अफसर व इंजीनियर थे। इसके बाद अभी करीब चार महीने पहले नगर निगम के आयुक्त ने इसी सडक़ के कार्य पर आपत्ति की थी इसके बाद भी नगर निगम के अफसरों ने तालाब में डामर कर सडक़ बनवा दी।
नगर विकास प्रन्यास की 18 जून 2005 को हुई सामान्य बैठक की कार्यवाही के बिन्दु संख्या 2 में रूपसागर, नैला तालाब व फूटा तालाब क्षेत्र के भराव क्षेत्र में स्वीकृत सडक़ निर्माण के कार्य को निरस्त करने का फैसला किया गया था। फूटा तालाब में सडक़ बनाने का प्रस्ताव ट्रस्ट के सामने आया था जिसमें डाइट से फूटा तालाब तक जिन लोगों की भूमि आ रही थी उनके संबंध में निर्णय करना था तो ट्रस्ट ने तय किया कि तालाब के भराव क्षेत्र में सडक़ नहीं बना सकते है इसलिए इस प्रस्ताव को निरस्त कर दिया गया। तत्कालीन यूआइटी चेयरमैन व जिला कलक्टर अभय कुमार की अध्यक्षता में हुई बैठक में तब तत्कालीन गृहमंत्री गुलाबंचद कटारिया, तत्कालीन ग्रामीण विधायक वंदना मीणा व तत्कालीन नगर परिषद सभापति रवीन्द्र श्रीामली सहित कई विभागों के अधिकारी व इंजीनियर उपस्थित थे।
नगर निगम ने चुप्पी साधी
इस मामले में नगर निगम के अफसरों व इंजीनियरों ने चुप्पी साध ली है। गुरुवार को नगर निगम आयुक्त हिम्मत सिंह बारहठ ने पत्रिका के पूछने पर कहा कि एसई मुकेश पुजारी से पूरी रिपोर्ट लेकर शुक्रवार को बताएंगे लेकिन कोई जानकारी नहीं दी। अफसरों को मोबाइल पर सम्पर्क भी किया लेकिन कॉल रिसीव नहीं किया।
महापौर के बयान पर सोशल मीडिया पर चर्चा
महापौर के जनता की सुविधा के लिए सडक़ बनाने का बयान सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। जनता के सवाल थे कि सुविधा के लिए सारे तालाब पाट दिए जाएंगे क्या, लोगों ने हाईकोर्ट के फैसले को जोड़ते हुए भी अपनी राय उनके बयान को जोडकऱ रखी। नगर निगम के तत्कालीन आयुक्त कमर चौधरी के इस सडक़ को बनाने के प्रस्ताव पर नोटिस देने के बाद भी इस सडक़ डामर कराने को लेकर सवाल उठे है।
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