उदयपुर

आपके सामने अचानक डायनासोर्स आ जाएं तो घबराएं नहीं, उन्‍हें छूकर देखेें इस तकनीक से, टीचर्स डे पर पढ़‍िए ये स्‍पेशल स्‍टोरी

– अब तकनीक होगी टीचर, ऑगमेंटेड रियलिटी से एजुकेशन का चेंजओवर

उदयपुरSep 05, 2019 / 03:22 pm

madhulika singh

अगर आपके सामने अचानक डायनासोर्स आ जाएं तो घबराएं नहीं, उन्‍हें छूकर देख सकते हैं इस तकनीक से, टीचर्स डे पर पढ़‍िए ये स्‍पेशल स्‍टोरी

मधुलिकासिंह/चंदनसिंह देवड़ा. उदयपुर . जरा सोचिए, आप अगर डायनासोर की उत्पत्ति और काल के बारे में पढ़ रहे हैं और आपके सामने दौड़ता हुआ डायनासोर आ जाए और आप खुद को उनके बीच महसूस करें तो कैसा लगेगा? इसी तरह आप इंजीनियरिंग की पढाई कर रहे हैं और किसी कार के इंजन के बारे में पढ़ रहे हैं तो कितना बढिय़ा होगा कि आप उस इंजन को पढऩे के साथ-साथ उसके कलपुर्जों से दो-दो हाथ भी कर सकें। यह महज दिमागी ख्याल नहीं है, यह संभव हो रहा है ऑगमेंटेड रियलिटी की मदद से जिसमें आपकी आंखों के सामने उस इंजन का आभासी 3डी मॉडल प्रस्तुत हो जाता है। कई जगह तो इस तकनीक का इस्तेमाल भी शुरू हो हो चुका है। जी हां, शिक्षा का भविष्य कुछ इतना ही आधुनिक है। डिजिटल युग में अब ऑगमेंटेड रियलिटी (एआर)जैसी तकनीक से एजुकेशन का चेंजओवर हो रहा है। टीचर्स अब एआर के जरिये स्टूडेंट्स को रियलिटी से रू-ब-रू करवाएंगे।
लुक एंड फील क्रिएट करती है एआर

शिक्षा क्षेत्र में तेजी से बदलाव आ रहे हैं। आज कल प्रोजेक्टर, स्मार्ट क्लासेज का दौर है। ऐसे में ऑगमेंटेड रियलिटी शिक्षा को और आसान बना देगी। साइबस एक्सपर्ट प्रिंस बूनलिया ने बताया कि ऑगमेंटेड रियलिटी (एआर) का उपयोग शुरू हो चुका है। हालांकि यह बड़े स्तर पर नहीं हुआ है लेकिन इसके माध्यम से शिक्षा को और सरल रूप में देखा जा सकता है। जैसे मेडिकल साइंसेस की पढ़ाई कर रहे हैं जिसमें अब तक टू-डी में पढ़ाया जाता है, लीवर कैसा होता है, हार्ट कैसा होता है, जबकि ऑगमेंटेड रियलिटी के माध्यम से आप इसकी थ्री-डी इमेज देख सकते हैं, उसे छूकर देख सकते हैं। स्कूल में बायोलॉजी में मेंढक कटवाकर डिसेक्शन करना होता था जो अब बंद करा दिया गया है, अब ऑगमेंटेड रियलिटी के माध्यम से जब आप डिवाइस लगाएंगे तो आपको मेंढक दिखेगा और आप उसकी स्किन को पकड़ोगे तो वो अपने आप खुल जाएगी। ये एआर टेक्नीक लुक एंड फील क्रिएट करेगा। इसमें आपको मेंढक़ भी नहीं मारना होगा और डिसेक्शन भी हो जाएगा। ये स्टूडेंट्स के लिए काफी मददगार है।
अगर आपके सामने अचानक डायनासोर्स आ जाएं तो घबराएं नहीं, उन्‍हें छूकर देख सकते हैं इस तकनीक से, टीचर्स डे पर पढ़‍िए ये स्‍पेशल स्‍टोरी
टीचर्स को मल्टीमीडिया से जोडऩे का मिशन
संभाग के हर क्लास रूम को सही मायने में स्मार्ट बनाने के मिशन को साकार करने में जुटे हैं मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय के वनस्पति शास्त्र विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. विनीत सोनी। डॉ. विनीत ने स्कूलों के शिक्षकों को टीचिंग की अत्याधुनिक तकनीकों में माहिर बनाने का बीड़ा उठाया। इसके लिए वे पिछले 8 वर्षों से विभिन्न शिक्षक प्रशिक्षक महाविद्यालयं में निशुल्क वर्कशॉप के जरिये प्रशिक्षु अध्यापकों को मल्टीमीडिया जैसे उन्नत शिक्षण विधियों में माहिर कर रहे हैं। अभी तक वे एक हजार से भी अधिक अध्यापकों को इसके लिए प्रशिक्षण दे चुके हैं। उनका मानना है कि स्मार्ट क्लास रूम मिशन को तब तक जमीनी स्तर पर क्रियान्वित नहीं किया जा सकता, जब तक शिक्षक अध्यापन की इन उन्नत तकनीकों में दक्ष नहीं होंगे।
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बेटियों के लिए जुटाए साढ़े 10 लाख, जोड़ा तकनीक से

शहर में कई ऐसे सरकारी शिक्षक भी हैं जो तकनीक का महत्व समझते हैं और वे बच्चों के भविष्य के लिए उनका नाता इससे जोड़ रहे हैं। शहर से सटे राजकीय बालिका माध्यमिक विद्यालय देबारी में पौने तीन सौ बालिकाएं पढ़ती हैं। जर्जर स्कूल भवन की हालत बेहद खराब थी। बारिश में एक भी कमरा ऐसा नहीं जिसमें पानी टपकता नहीं हो। ऐसे हालात पर संस्था प्रधान शंकरलाल पांचावत ने ग्रामीणों और भामाशाहों के हाथ जोड़ बेटियों को बेहतर सुविधाएं दिलाने को प्रेरित कर करीब साढ़े दस लाख रुपए खर्च कर विद्यालय की सूरत सुधार दी। अब शानदार कम्प्यूटर लेब में बच्चियां पढ़ती हैं। जरूरतमंद को जूते-मोजे, बेग तक उपलब्ध करवाए जाते हैं। पीने को आरओ वाटर, नवीन शौचालय, किचन, वाटर हार्वेस्टिंग, सेनेटरी पेड्स डिस्पोजल की सुविधाएं बेटियों को मिल रही है। दसवीं बोर्ड में यहां से एक बालिक ने 92.50 प्रतिशत अंक हासिल किए, वहीं 18 बच्चियों प्रथम श्रेणी से पास हुई।
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डीप लर्निंग और थ्री-डी अनुभव

इसी तरह उदयपुर के टेक्नो एनजेआर इंस्टीट्यूट के आदित्य माहेश्वरी भी नई-नई तकनीक से स्टूडेंट्स को रू-ब-रू करवाते हैं। इसमें आर्टिफिशियाल इंटेलिजेंस के साथ ऑगमेंटेड रियलिटी भी महत्वपूर्ण है। उनका मानना है कि अब तकनीक का ही युग है, ऐेसे में ये तकनीक शिक्षा का भविष्य और बेहतर बनाने में कारगार है। अब समय ब्लैकबोर्ड से निकलकर एआर और वीआर टेक्नोलॉजीज से जुडऩे का है। स्टूडेंट्स को डीप लर्निंग और थ्री-डी अनुभव के लिए ऑगमेंटेड रियलिटी अब शिक्षा की जरूरत है। वे भी नई तकनीकों के जरिये उनको नई-नई जानकारियां देते हैं और लॢनंग को ज्यादा क्रिएटिव भी बनाते हैं।
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