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गॉल ब्लैडर का कैंसर भयावह

locationउदयपुरPublished: Feb 13, 2020 11:26:43 am

Submitted by:

bhuvanesh pandya

लास्ट स्टेज तक पहुंच रहे मरीज- बढ़ रहा मौत का खतरा

गॉल ब्लैडर का कैंसर भयावह

गॉल ब्लैडर का कैंसर भयावह

भुवनेश पंड्या

उदयपुर. यहां गॉल ब्लैडर के कैंसर के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। जो मरीज हॉस्पिटल पहुंच रहे हैं, उन्हें खुद को भी लास्ट स्टेज पर समस्या का पता चल रहा है। एेसे में खतरा बढ़ रहा है। जब तक इस बीमारी का मरीज यहां पहुंचता है तब तक इसके अन्य अंग भी प्रभावित हो जाते हैंं। आरएनटी मेडिकल कॉलेज पहुंचने वाले मरीजों की बात की जाए तो पांच से अधिक मरीज प्रति सप्ताह उपचार की आस में आ रहे हैं। यहां संख्या के लिहाज से देखा जाए तो महिलाओं की अपेक्षाकृत पुरुषों में ये बीमारी ज्यादा सामने आ रही है।
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गॉल ब्लैडर कैंसर को पित्त की थैली का कैंसर कहा जाता है। इसके होने के ये कारण है।

– बढ़ती आयु
– पित्त की थैली के कैंसर का पारिवारिक इतिहास

– पित्त की पथरी और सूजन
– प्राइमरी स्केलेरोसिंग कोलिन्जाइटिस
– धूम्रपान
– मोटापा

– अग्न्याशय और पित्त वाहिका की असामान्य
– शुगर

– संक्रमण
– शराब का सेवन

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हर वर्ष जुटते हैं २५ हजार मरीज
देश में इस बीमारी के प्रतिवर्ष २५ हजार मरीज नए जुड़ जाते हैं। गत वर्ष २५९९९ नए मरीज जुड़े तो १३५६७ मरीजों की मौत हुई।
– उदयपुर में प्रतिवर्ष १२५ से १५० मरीज
उदयपुर आरएनटी मेडिकल कॉलेज तक प्रतिवर्ष करीब १५० मरीज इस बीमारी के सामने आ रहे हैं तो इनमें से लास्ट स्टेज पर आने वाले मरीजों की मौत भी हो रही है। हालांकि कॉलेज में एेसे मरीजों को किमोथैरेपी के जरिए बड़ी संख्या में बचाया जा रहा है।
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यह है रोग उपचार

गॉल ब्लैडर का उपचार सर्जरी से होता है। इसके बाद किमोथैरेपी की जाती है। इस बीमारी का पता देरी से इसलिए चलता है क्योंकि इस बीमारी के शुरुआती लक्षण बेहद सामान्य व आम बीमारियों से मिलते-जुलते हैं। इसमें पहले पथरी जैसी गांठ नजर आती है। बाद में दूरबीन से ऑपरेशन करवाने के बाद पता चलता है कि ये पथरी नहीं कुछ और है। एेसे में कई बार दूसरा ऑपरेशन करना पड़ता है। आम तौर पर पथरी का ऑपरेशन करवाने से पहले सोनोग्राफी, एमआरआई करवाकर यह स्पष्ट कर लेना चाहिए कि वाकई पथरी है या कुछ और। डॉक्टरों की मानें तो गॉल ब्लैडर की आेपन सर्जरी करवानी चाहिए। एक चीरे से दूरबीन का ऑपरेशन करवाया जाता है, वहीं फिर से गांठ बन जाती है। एेसे में इसका दुबारा ऑपरेशन करवाना होता है।
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ये है बीमारी के लक्षण
लम्बी पथरी और दर्द ठीक नहीं होना।

तेजी से वजन कम होना।
भूख नहीं लगना। खाने की खुशबू से मरीज दूरी बनाने लगता है।

शुरुआत में लगती सामान्य बीमारी
शुरुआत में ये बीमारी सामान्य लगती है, लेकिन बाद में ये परेशानी पैदा करती है। खास बात ये है कि लास्ट स्टेज पर ज्यादा मरीज आते हैं, उस समय पहले उनकी किमोथैरेपी करने के बाद सर्जरी की जाती है।
डॉ. नरेन्द्रसिंह राठौड़, वरिष्ठ कैंसर रोग विशेषज्ञ, आरएनटी मेडिकल कॉलेज, उदयपुर

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