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सामूहिक दुष्कर्म का मामला…पीडि़ता जिसे भाई मानती उसी ने किया रिश्ते को कलंकित, आरोपित को 20 साल कठोर कारावास की सजा

locationउदयपुरPublished: Dec 01, 2017 02:01:42 am

Submitted by:

Mohammed illiyas

– एक अपचारी निकला, किशोर न्याय बोर्ड में पेश हुआ चालान

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उदयपुर . सामूहिक बलात्कार के एक आरोपित को न्यायालय ने 20 वर्ष के कठोर कारावास व 25 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। मामले में साक्ष्य व दस्तावेज के साथ ही पीडि़ता के एकल साक्ष्य को न्यायालय ने गंभीरता से लिया। न्यायालय ने निर्णय में तल्ख टिप्पणी भी की है। मामले में एक अन्य अपचारी है, जिसके विरुद्ध किशोर न्याय बोर्ड में आरोप पत्र पेश हो चुका है।
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खेरोदा थाने में 27 जून 2014 को पीडि़ता ने अपने पिता के साथ जाकर भूतपुरा डबोक निवासी गणेशलाल पुत्र बाबूलाल कीर व उसके मित्र अपचारी के विरुद्ध सामूहिक बलात्कार की रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। पुलिस ने दोनों पकड़ा और अलग-अलग न्यायालय में आरोप पत्र पेश किए। सुनवाई के दौरान अपर लोक अभियेाजक प्रेमसिंह पंवार ने आवश्यक साक्ष्य व गवाह पेश किए। आरोप सिद्ध होने पर अतिरिक्त सेशन न्यायाधीश (महिला उत्पीडऩ प्रकरण) न्यायालय के पीठासीन अधिकारी डॉ.दुष्यंत दत्त ने आरोपी गणेश को धारा 376 (घ) में दोषी करार दिया।
यह की तत्ख टिप्पणी
वर्तमान में बलात्कार के मामले में दिनो-दिन वृद्धि हो रही है। ऐसे में अभियुक्त के विरुद्ध नरमी का रूख अपनाना घृणास्पद अपराध को बढ़ावा देने के समान होगा। साथ ही समाज व महिलाओं का अपमान करना होगा। पीडि़ता आरोपित को भाई मानती थी। उसने न केवल पीडि़ता के लज्जा बल्कि पवित्र रिश्ते को भी कलंकित किया है। पीडि़ता से सामूहिक बलात्कार से परिवार, समाज व पड़ोसियों के बीच उसे बदनामी का दंश झेलना पड़ा और मानसिक पीड़ा हुई। न्यायालय ने उसके पुनर्वास ओर मानसिक पीड़ा पर प्रतिकर के लिए जिला विधि सेवा प्राधिकरण को एक प्रति भिजवाई है।
परसादी के बहाने से ले गए साथ
पीडि़ता ने बयान में बताया कि गणेशलाल को वह भाई मानती थी। दोनों के बीच कभी-कभार फोन पर बात भी होती थी। 22 जून को भूतपुरा में परसादी होने पर वह अपने मित्र के साथ बाइक लेकर गांव आया। परिजनों को सूचित किए बगैर ही वह उनके साथ चली गई। रास्ते में भूतपुरा सिंघानिया कॉलेज के सामने खाली पड़े कमरे के पीछे गणेश व उसके दोस्त ने दुष्कर्म किया। घटना के बाद गणेश बाइक लेकर चला गया।
उसका मित्र घर छोडऩे के बहाने अपने घर ले गया, वहां उसने तीन बार दुष्कर्म किया। तडक़े करीब पांच बजे उठकर वह भाग निकली। घटना व मां-बाप के डर से वह बस में बैठकर कपासन चली गई। तीन दिन एक धार्मिक स्थल पर रही। बाद में घर लौठकर उसने परिजनों को आपबीती सुनाई। परिजनों ने खेरोदा थाने में इसकी रिपोर्ट दर्ज करवाई। पुलिस ने मेडिकल करवाकर मामला दर्ज किया।
एकल साक्ष्य पर दोषसिद्धी
न्यायालय ने कहा कि पीडि़ता के साक्ष्य सत्य, भरोसेमंद और उच्च कोटि के है, अन्य संपुष्टिकारक साक्ष्य के अभाव में पीडि़ता की एकल साक्ष्य के आधार पर दोष सिद्धी की जा सकती है। पीडि़ता के साक्ष्य को संदेह, अविश्वास या संशय की दृष्टि ने देखना न्यायोचित नहीं होगा।

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