READ MORE : #sehatsudharosarkar: ब्लड बैंक पर स्थापना के बाद से ही ताले, गर्भवती महिलाएं जांच के लिए ये जोखिम उठाने को मजबूर इधर, देवास टनल में आ रहे आकोदड़ा बांध का पानी रोकने के बाद अब पिछोला झील में मादड़ी बांध का पानी लाया जा रहा है। फतहसागर में बड़ी की पहाडि़यों से आवक बनी हुई है। बड़ी तालाब में कुल भराव क्षमता 32 फीट के मुकाबले 31 फीट पानी आ चुका है। फतहसागर लबालब होने से चिकलवास फीडर से मदार नहर में पानी की आवक रोक दी गई है। मदार के दोनों तालाब का पानी अब आयड़ नदी में होते हुए उदयसागर पहुंच रहा है। जल संसाधन विभाग के अनुसार सुबह आठ बजे समाप्त 24 घंटों में सर्वाधिक बारिश सलूम्बर में 21 मिमी दर्ज की गई। जयसमंद व केजड़ में 15-15मिमी बारिश हुई।
सरजणा बांध पर आधा फीट चादर, बहाव क्षेत्र में अलर्ट भटेवर. वल्लभनगर उपखंड क्षेत्र में सबसे बड़े सरजणा बांध पर रविवार सुबह आधा फीट की चादर चल पड़ी। बांध शनिवार देर रात छलक गया था। अगले ही दिन छुट्टी का मौका देख कई लोग सैर को आ पहुंचे।
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जल संसाधन विभाग के सहायक अभियन्ता दिलीप सिंह देवड़ा ने बताया कि उदयसागर के सभी गेट खोलने से सरजणा बांध में आवक बनी हुई है। शाम तक रपट पर लगभग आधा फीट की चादर चली। बांध की पाल व रपट पर चौकीदार लगाए हैं। ओवर फ्लो बहाव मार्ग पर आमजन को चेतावनी जारी की गई है। ग्रामीणों से अपील की गई है कि वे पुलिया से बहता पानी पार न करें। बता दें कि वल्लभनगर कस्बे में पीने के पानी की आपूर्ति इसी बांध से की जाती है। इसके अलावा उपखंड क्षेत्र के कई गांवों में इसका पानी नहरों के जरिए सिंचाई के लिए पहुंचता है। इसके ओवर फ्लो का पता लगते ही वल्लभनगर, भटेवर, तारावट, धारता, धमानिया, करणपुर, रणछोडपुरा, नवानिया, ढावा सहित कई गांव-कस्बों से ग्रामीण दिनभर पाल पर डटे रहे।
जल संसाधन विभाग के सहायक अभियन्ता दिलीप सिंह देवड़ा ने बताया कि उदयसागर के सभी गेट खोलने से सरजणा बांध में आवक बनी हुई है। शाम तक रपट पर लगभग आधा फीट की चादर चली। बांध की पाल व रपट पर चौकीदार लगाए हैं। ओवर फ्लो बहाव मार्ग पर आमजन को चेतावनी जारी की गई है। ग्रामीणों से अपील की गई है कि वे पुलिया से बहता पानी पार न करें। बता दें कि वल्लभनगर कस्बे में पीने के पानी की आपूर्ति इसी बांध से की जाती है। इसके अलावा उपखंड क्षेत्र के कई गांवों में इसका पानी नहरों के जरिए सिंचाई के लिए पहुंचता है। इसके ओवर फ्लो का पता लगते ही वल्लभनगर, भटेवर, तारावट, धारता, धमानिया, करणपुर, रणछोडपुरा, नवानिया, ढावा सहित कई गांव-कस्बों से ग्रामीण दिनभर पाल पर डटे रहे।