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पूरे घर का खर्च चलाने वाली बेटी जब दुनिया से हुई व‍िदा तो शव उठाने व दाह संस्‍कार के पैसे केे भी पड़े लाले

locationउदयपुरPublished: Oct 11, 2019 12:10:35 pm

Submitted by:

madhulika singh

तीर की भांति चुभे मां के शब्द तो आवेश में आकर लगा लिया बेटी ने मौत को गले, एमबी च‍िक‍ित्‍सालय में तोड़ा दम

Dead body

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उदयपुर. भाई-बहन के बीच नोक-झोंक, मनो-विनोद और लड़ाई-झगड़ा आम बात है, लेकिन भाई की पक्षधर बनी मां के मुंह से निकले शब्द उसे तीर की तरह ऐसे चुभे कि आवेश में आकर उसने मौत को ही गले से लगा लिया। मूलत: नेपाल की रहने वाली 19 वर्षीय नीलम थापा ने एक माह पहले खुद के शरीर पर डीजल उड़ेल कर आग लगा ली। सत्तर फीसदी झुलसी हालत में उसे एमबी चिकित्सालय में भर्ती कराया गया, जहां बुधवार को उसने दम तोड़ दिया। पूरे घर का खर्च चलाने वाली नीलम ने जब दुनिया को अलविदा कहा तो परिजनों के पास उसका शव उठाने व दाह संस्कार तक के पैसे नहीं थे। बीमार पिता उसके शव के पास बैठ फूट-फूटकर खूब रोए। जानकारी मिलने पर महाराणा प्रताप सेना के कार्यकर्ताओं ने उसकी अंत्येष्टि की और भामाशाह की मदद से गांव जाने के लिए किराया जुटाया।
खुद कुंवारी रहकर तीन बहनों का रचाया विवाह
मृत युवती के पिता नेपाल हाल माउंटआबू निवासी अमृत बहादुर थापा ने बताया कि नीलम पांच भाई- बहनों में दूसरे नम्बर की थी। खुद कुंवारी रहते हुए उसने छोटी व बड़ी तीन बहनों के विवाह में अहम भूमिका निभाई। उसने उसकी बाइपास सर्जरी भी करवाई। माउंटआबू में ही अंडे व आमलेट का ठेला लगाकर पूरे घर का खर्च वहन कर रही थी। पिता का कहना है कि अस्पताल में करीब एक माह तक भर्ती रहने के दौरान वह बिल्कुल स्वस्थ्य हो चुकी थी। बुधवार दोपहर उसकी तबीयत बिगड़ गई और वह चल बसी। मौत के समय उसके पास पिता के अलावा छोटी बहन ज्योति व भाई दिलबहादुर ही था। आर्थिक तंगी के चलते परिवार के अन्य सदस्य यहां नहीं पहुंच पाए। पिता के पास शव उठाने व दाह संस्कार के भी पैसे नहीं होने पर महाराणा प्रताप सेना उसके परिवार का मददगार बनी। संरक्षक मोहनसिंह राठौड़ ने अपने सहयोगी प्रेमशंकर पालीवाल, रणजीतङ्क्षसह, विनोद प्रजापत, निर्मल टेलर, चन्द्रवीर, ललित घारू, नंदराज भारती, अम्बालाल, सुनील, सनी कल्याणा व विनोद डोडी के साथ मृतका का अशोकनगर श्मशान घाट पर दाह संस्कार किया।
यह थी छोटी सी बात

पिता ने बताया कि 11 सितम्बर को नीलम का मोबाइल बाल्टी में गिरने से भाई दिलबहादुर से मामूली झगड़ा हुआ था। विकलांग मां तुलसीदेवी ने उसे महज ‘रोज-रोज भाई से क्या लड़ती रहती है तू मर जा’ इतनी ही कहा था। नीलम को यह शब्द तीर के तरह चुभ गए और नीलम ने कमरे में जाकर स्वयं पर डीजल उड़ेलते हुए आग लगा दी। आग से उसका शरीर का काफी हिस्सा झुलस गया था।

कराया दाह संस्कार

परिजनों की आर्थिक स्थिति कमजोर थी। पता चलने पर मृतका का दाह संस्कार करवाया। भामाशाहों की मदद से उनके गांव जाने के लिए किराए की भी व्यवस्था की।
मोहनसिंह राठौड़, महाराणा प्रताप सेना के संस्थापक
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