खुद कुंवारी रहकर तीन बहनों का रचाया विवाह
मृत युवती के पिता नेपाल हाल माउंटआबू निवासी अमृत बहादुर थापा ने बताया कि नीलम पांच भाई- बहनों में दूसरे नम्बर की थी। खुद कुंवारी रहते हुए उसने छोटी व बड़ी तीन बहनों के विवाह में अहम भूमिका निभाई। उसने उसकी बाइपास सर्जरी भी करवाई। माउंटआबू में ही अंडे व आमलेट का ठेला लगाकर पूरे घर का खर्च वहन कर रही थी। पिता का कहना है कि अस्पताल में करीब एक माह तक भर्ती रहने के दौरान वह बिल्कुल स्वस्थ्य हो चुकी थी। बुधवार दोपहर उसकी तबीयत बिगड़ गई और वह चल बसी। मौत के समय उसके पास पिता के अलावा छोटी बहन ज्योति व भाई दिलबहादुर ही था। आर्थिक तंगी के चलते परिवार के अन्य सदस्य यहां नहीं पहुंच पाए। पिता के पास शव उठाने व दाह संस्कार के भी पैसे नहीं होने पर महाराणा प्रताप सेना उसके परिवार का मददगार बनी। संरक्षक मोहनसिंह राठौड़ ने अपने सहयोगी प्रेमशंकर पालीवाल, रणजीतङ्क्षसह, विनोद प्रजापत, निर्मल टेलर, चन्द्रवीर, ललित घारू, नंदराज भारती, अम्बालाल, सुनील, सनी कल्याणा व विनोद डोडी के साथ मृतका का अशोकनगर श्मशान घाट पर दाह संस्कार किया।
मृत युवती के पिता नेपाल हाल माउंटआबू निवासी अमृत बहादुर थापा ने बताया कि नीलम पांच भाई- बहनों में दूसरे नम्बर की थी। खुद कुंवारी रहते हुए उसने छोटी व बड़ी तीन बहनों के विवाह में अहम भूमिका निभाई। उसने उसकी बाइपास सर्जरी भी करवाई। माउंटआबू में ही अंडे व आमलेट का ठेला लगाकर पूरे घर का खर्च वहन कर रही थी। पिता का कहना है कि अस्पताल में करीब एक माह तक भर्ती रहने के दौरान वह बिल्कुल स्वस्थ्य हो चुकी थी। बुधवार दोपहर उसकी तबीयत बिगड़ गई और वह चल बसी। मौत के समय उसके पास पिता के अलावा छोटी बहन ज्योति व भाई दिलबहादुर ही था। आर्थिक तंगी के चलते परिवार के अन्य सदस्य यहां नहीं पहुंच पाए। पिता के पास शव उठाने व दाह संस्कार के भी पैसे नहीं होने पर महाराणा प्रताप सेना उसके परिवार का मददगार बनी। संरक्षक मोहनसिंह राठौड़ ने अपने सहयोगी प्रेमशंकर पालीवाल, रणजीतङ्क्षसह, विनोद प्रजापत, निर्मल टेलर, चन्द्रवीर, ललित घारू, नंदराज भारती, अम्बालाल, सुनील, सनी कल्याणा व विनोद डोडी के साथ मृतका का अशोकनगर श्मशान घाट पर दाह संस्कार किया।
यह थी छोटी सी बात पिता ने बताया कि 11 सितम्बर को नीलम का मोबाइल बाल्टी में गिरने से भाई दिलबहादुर से मामूली झगड़ा हुआ था। विकलांग मां तुलसीदेवी ने उसे महज ‘रोज-रोज भाई से क्या लड़ती रहती है तू मर जा’ इतनी ही कहा था। नीलम को यह शब्द तीर के तरह चुभ गए और नीलम ने कमरे में जाकर स्वयं पर डीजल उड़ेलते हुए आग लगा दी। आग से उसका शरीर का काफी हिस्सा झुलस गया था।
कराया दाह संस्कार परिजनों की आर्थिक स्थिति कमजोर थी। पता चलने पर मृतका का दाह संस्कार करवाया। भामाशाहों की मदद से उनके गांव जाने के लिए किराए की भी व्यवस्था की।
मोहनसिंह राठौड़, महाराणा प्रताप सेना के संस्थापक
मोहनसिंह राठौड़, महाराणा प्रताप सेना के संस्थापक