ड्यूटी के बाद का समय विद्यार्थियों के नाम
शारीरिक शिक्षक देव ने बताया कि एक कांस्टेबल भर्ती परीक्षा देने वाले विद्यार्थी से संपर्क में आया, जिसे ट्रेनर की जरूरत थी लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने से वह फीस नहीं दे सकता था। ऐसे में उन्होंने ही प्रशिक्षण देने का निश्चय किया और ग्रामीण अंचल के सोशल मीडिया ग्रुप पर नि:शुल्क प्रशिक्षण देने का मैसेज पोस्ट किया। साथ ही स्कूलों से लेकर हर जगह प्रचार-प्रसार किया। ऐसे में करीब 40 बच्चे प्रशिक्षण के लिए तैयार हो गए। वे उस समय एयरपोर्ट पर ड्यूटी में थे। तब ड्यूटी पर जाने से पूर्व यानी अल सुबह और ड्यूटी के बाद शाम को प्रशिक्षण देते थे।
शारीरिक शिक्षक देव ने बताया कि एक कांस्टेबल भर्ती परीक्षा देने वाले विद्यार्थी से संपर्क में आया, जिसे ट्रेनर की जरूरत थी लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने से वह फीस नहीं दे सकता था। ऐसे में उन्होंने ही प्रशिक्षण देने का निश्चय किया और ग्रामीण अंचल के सोशल मीडिया ग्रुप पर नि:शुल्क प्रशिक्षण देने का मैसेज पोस्ट किया। साथ ही स्कूलों से लेकर हर जगह प्रचार-प्रसार किया। ऐसे में करीब 40 बच्चे प्रशिक्षण के लिए तैयार हो गए। वे उस समय एयरपोर्ट पर ड्यूटी में थे। तब ड्यूटी पर जाने से पूर्व यानी अल सुबह और ड्यूटी के बाद शाम को प्रशिक्षण देते थे।
लड़कियों में आया आत्मविश्वास देव ने बताया कि ग्रामीण अंचल की लड़कियां पहले काफी झिझकती थी, लेकिन प्रशिक्षण के दौरान ही उनमें आत्मविश्वास आने लगा। वे हर तरह की बाधा पार कर लेती थी। यही हाल लडक़ों का भी था, वे भी पहले से अधिक आत्मविश्वासी बने। वे सभी प्रशिक्षणार्थियों को पहाडिय़ों पर, जंगलों में दौड़ाते थे। गुलाबबाग में बैक रॉल, रस्सी चढ़वाना, पत्थर उठाकर दौड़ाना आदि हर तरह का शारीरिक प्रशिक्षण दिया। वहीं, सभी के परिवारों में अब तक किसी ने भी कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में ना तो हिस्सा लिया था और ना ही कुछ खास जानते थे। लेकिन, जिन परिवारों के युवा इस परीक्षा में सफल रहे, उन लोगों ने दूसरों को भी इस परीक्षा में और अन्य भर्ती परीक्षाओं की तैयारी के लिए प्रेरित किया।
इन क्षेत्रों के विद्यार्थियों को दिया प्रशिक्षण
जगत, नाई उंदरी, सीसारमा, उदयपुर शहर, फिला, मुजेला, गींगला, दांतीसर आदि।
जगत, नाई उंदरी, सीसारमा, उदयपुर शहर, फिला, मुजेला, गींगला, दांतीसर आदि।