scriptपढऩा चाहते हैं पर स्कूल डाल रहे बेटे-बेटियों के पैरों में ‘जंजीर’ | Government School: Student Want To Study But Teachers Not Ready | Patrika News

पढऩा चाहते हैं पर स्कूल डाल रहे बेटे-बेटियों के पैरों में ‘जंजीर’

locationउदयपुरPublished: Jul 20, 2019 02:50:46 pm

Submitted by:

madhulika singh

प्रदेश के सरकारी स्कूलों Government School में एक ओर जहां नामांकन बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है, वहीं कई संस्था प्रधानों की ओर से 16 वर्ष के छात्र-छात्राओं को 8वीं में प्रवेश देने से मनाही का मामला सामने आया है। यह सब उस आरटीई नियमों के आदेश पर हो रहा है, जिसमें पूर्व में निर्देश दिए गए कि 8वीं बोर्ड परीक्षा देने वाले अभ्यर्थी की उम्र 16 वर्ष नहीं हो।

school students

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उदयपुर. प्रदेश के सरकारी स्कूलों (Government School) में एक ओर जहां नामांकन बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है, वहीं कई संस्था प्रधानों की ओर से 16 वर्ष के छात्र-छात्राओं को 8वीं में प्रवेश देने से मनाही का मामला सामने आया है। यह सब उस आरटीई नियमों के आदेश पर हो रहा है, जिसमें पूर्व में निर्देश दिए गए कि 8वीं बोर्ड परीक्षा देने वाले अभ्यर्थी की उम्र 16 वर्ष नहीं हो। उम्र संबंधी इस नियमें से सबसे ज्यादा ‘जंजीर’ बेटियों के पैरों में पड़ रही है, जो पढऩा चाहती है लेकिन उन्हें रोका जा रहा है। संस्था प्रधान से लेकर जिले के आला शिक्षा अधिकारियों (Shiksha Adhikari) में इस नियम की पालना संबंधी विरोधाभासी बयान आ रहे हैं, जिससे साफ है कि स्पष्ट निर्देश नहीं होने का खमियाजा बच्चे और उनके अभिभावक उठा रहे हैं। जिले में करीब 1700 से ज्यादा ऐसे विद्यार्थी हैं, जिनमें बेटियां(Girls)ज्यादा है।
केस-01 राउमावि बलीचा में सुगना मीणा 5वीं में प्रवेश लेकर दो साल से नियमित पढ़ रही थी। इस बार 7वीं द्वितीय श्रेणी से उत्तीर्ण हुई, लेकिन आठवीं में उसे प्रवेश देने से इसलिए मना कर दिया गया क्योंकि उसकी उम्र 16 वर्ष हो गई। इसके अलावा सुशीला, सुनिता, ओमप्रकाश, देवेन्द्र और सुरेश को भी संस्थाप्रधान मंजू कोठारी ने प्रवेश देने से मना कर दिया। आदिवासी परिवार के ये विद्यार्थी आगे पढऩा चाहते हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। इनके अभिभावक भी चक्कर लगा रहे हैं।
2017 में आरटीई-20 नियमों के तहत 16 वर्ष की आयु वाले विद्यार्थियों को 8वीं परीक्षा में शामिल नहीं किया जा सकता है। गत वर्ष भी सैकड़ों बच्चे इस उम्र के पार थे, जिन्हें शिथिलता तो दी गई लेकिन मई, 2019 में फिर निदेशक ने आदेश जारी कर इस बार इसे सख्ती से लेने को कहा। इसमें यह स्पष्ट नहीं है। ऐसे में जो नियमित विद्यार्थी है उनकी उम्र नियमों के अनुसार ज्यादा होने पर उन्हें स्कूल में प्रवेश से मना किया जा रहा है। जिले में यही स्थिति बनी हुई है। संस्था प्रधान, सीबीईओ से लेकर जिला शिक्षा अधिकारी तक इस की व्याख्या अपने अपने हिसाब से कर रहे हैं और खमियाजा विद्यार्थी उठा रहे हैं।
स्पष्ट नहीं इसलिए इस नियम से उलझन
2017 में आरटीई-20 नियमों के तहत 16 वर्ष की आयु वाले विद्यार्थियों को 8वीं परीक्षा में शामिल नहीं किया जा सकता है। गत वर्ष भी सैकड़ों बच्चे इस उम्र के पार थे, जिन्हें शिथिलता तो दी गई लेकिन मई, 2019 में फिर निदेशक ने आदेश जारी कर इस बार इसे सख्ती से लेने को कहा। इसमें यह स्पष्ट नहीं है। ऐसे में जो नियमित विद्यार्थी है उनकी उम्र नियमों के अनुसार ज्यादा होने पर उन्हें स्कूल में प्रवेश से मना किया जा रहा है। जिले में यही स्थिति बनी हुई है। संस्था प्रधान, सीबीईओ से लेकर जिला शिक्षा अधिकारी तक इस की व्याख्या अपने अपने हिसाब से कर रहे हैं और खमियाजा विद्यार्थी उठा रहे हैं।
बीकानेर से जो आदेश है, उसमें 16 की उम्र वाले 8वी बोर्ड का फार्म नहंी भर सकते। आदेश स्पष्ट नहीं होने से 6 बच्चों को मना किया है। पढ़ाना तो चाहते हैं, लेकिन कल परेशानी हो तो अभिभावक हमें जिम्मेदार ठहराएंगे।
मंजू कोठारी, संस्था प्रधान, राउमावि बलीचा
आदेश स्पष्ट नहीं है, जो विद्यार्थी ड्रॉप आउट है वह अगर 8वीं में प्रवेश लेने आते हैं तो उनकी उम्र 16 होने पर ओपन परीक्षा के लिए प्रेरित करना है। नियमित विद्यार्थियों को प्रवेश देना ही पड़ेगा। निदेशालय पंजीयक भी स्पष्ट आदेश दे तो ठीक रहेगा।
पुष्पेन्द्र शर्मा, प्रिंसिपल, डाइट
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