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शिक्षित युवाओं से तगारी-फावड़े नहीं छुड़ा पाई सरकारें

locationउदयपुरPublished: Dec 13, 2019 11:21:49 am

Submitted by:

bhuvanesh pandya

– तमाम रोजगार योजनाओं पर करोड़ों खर्च बेनतीजा- अब भी युवाओं के नसीब में हाड़ तोड़ मजदूरी

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भुवनेश पण्ड्या

उदयपुर. काश इन शिक्षित युवाओं के लिए भी दो जून रोटी का सही जुगाड़ हो पाता। ये भी किसी दफ्तर में बैठे शिक्षा और योग्यता का सही इस्तेमाल कर पाते। ये भी ज्ञान से जीवन की खुशियां बटोर पाते। कहानी उन युवाओं की है, जो शहर में उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद भी हाड़ तोड़ मजदूरी की तकदीर लिखवा कर आए हैं। भले ही सरकार की कई रोजगारोन्मुखी योजनाएं हैं, लेकिन ये धरातल पर खोखली साबित होती है। करोड़ों खर्च कर चंद युवाओं को रोजगार की राह चढ़ाने के बाद योजनाओं की इतिश्री हो जाती है।
यहां लगती मजदूर मण्डियां
मल्लातलाई, हाथीपोल, फतहपुरा, पहाड़ा, प्रतापनगर, हिरणमगरी, गोवद्र्धन विलास, पारस तिराहा, बेकनी पुलिया क्षेत्र में मजदूरों की मंडियां लगती है। खास बात ये कि इन मंडियों में आठवीं, दसवीं पास युवाओं की तो बड़ी फौज है, लेकिन बीए, एमए या अन्य कई डिग्रियां लिए युवा भी मजदूरी की तलाश में पहुंचते हैं। ना केवल उदयपुर बल्कि डूंगरपुर, सलूम्बर, खेरवाड़ा, सराड़ा सहित कई दूर गांव के युवा मजदूरी के लिए पहुंचते हैं।
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ये है पहली सीढ़ी

– राजस्थान कौशल एवं आजीविका विकास निगम की ओर से युवाओं को रोजगारोन्मुखी बनाने के लिए लद्यु अवधि कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जाते हैं। निगम की तीन योजनाएं- रोजगारपरक कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम, पंडित दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना है। इनके तहत क्रियान्वित कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों में युवाओं का प्रशिक्षण समाप्ति से पहले तृतीय पक्ष मूल्यांकन किया जाता है। संबंधित सेक्टर स्किल काउंसिल की ओर से सफ ल युवाओं को प्रमाणपत्र दिया जाता है। निगम के नियमित कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम आरएसटीपी योजना में मूल्यांकन एवं प्रमाणीकरण आंतरिक होता है।
– राजस्थान कौशल एवं आजीविका विकास निगम की ओर से संचालित योजनाओं के प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों में 100 घण्टे का सॉफ्ट स्किल, जिसमें कम्प्यूटर साक्षरता, भाषा और सेक्टर ट्रेन्ड से संगत कार्यस्थल अंत:वैयक्तिक कौशल शामिल है।
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मजदूरी करने वाले ज्यादातर युवाओं नहीं पाते भत्ता

प्रदेश में 1 जुलाई 2012 से राजस्थान बेरोजगारी भत्ता योजना (अक्षत योजना) शुरू हुई, निर्धारित पात्रता एवं शर्तें पूरी करने वाले स्नातक एवं स्नातकोत्तर बेरोजगारों को भत्ता दिया जा रहा था। वर्तमान में अक्षत योजना के स्थान पर 1 फ रवरी 2019 से मुख्यमंत्री युवा सम्बल योजना लागू की गई है। जिसमें पात्र स्नातक महिला तथा विशेष योग्यजन पंंजीकृत बेरोजगार आशार्थी को 3500 रुपए प्रतिमाह एवं स्नातक पुरुष आशार्थी को 3000 रुपए प्रतिमाह भुगतान किया जा रहा है। योजना के तहत जनवरी 2014 से दिसम्बर 2018 तक कुल 1,53,657 आशार्थियों को 122.43 करोड़ राशि भत्ते के रूप में वितरित किए गए। जनवरी 2019 से मई 2019 तक कुल 40,118 आशार्थियों को 58.27 करोड़ रुपए बांटे गए।
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रोजगार योजनाएं
क्रम – योजना का नाम – वित्तीय सहयोग

1- रोजगार पर कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम – राज्य पोषित
2- नियमित कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम- राज्य पोषित

3- दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना- केन्द्र व राज्य पोषित
4- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना- केन्द्र पोषित
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उपलब्धि के आंकड़े: 466.37 करोड़ खर्च

निगम की योजनाओं में अब तक कुल 3,70,570 युवाओं को प्रशिक्षित किया जा चुका है। प्रशिक्षण पर कुल 466.37 करोड़ खर्च किए गए। इसमें प्रशिक्षित युवाओं में से कुल 1,38,844 प्रशिक्षणार्थियों को रोजगार व स्वरोजगार के अवसर दिए गए।
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इतने युवाओं का प्रशिक्षण
वर्ष … डीडीयू जीकेवाय … इएलएसटीपी … आरएसटीपी … पीएमकेवीवाय … कुल योग

2014-15 … 2779 … 33171… 0… 0… 35950
2015-16 … 24760 … 33361 … 4858 … 0 … 62979
2016-17 … 4829 … 60749 … 9925 … 0 … 75503
2017-18 … 4125 … 33996 … 4585 … 0 … 42706

2018-19 … 12139 … 47143 … 20111 … 7529 … 86922
2019-20 … 3502 … 10477 … 3587 … 7757 … 25323
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आंकड़ों में इतनों को मिला रोजगार

वर्ष 2014-15 से 2018-19 तक
डीडीयूजीकेवाय- 16801

ईएलएसटीपी- 90458
आरएसटीपी- 9774

कुल- 117033
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उदयपुर जिले के हाल
उदयपुर जिले में 5 जुलाई 2019 तक 11,555 युवाओं को प्रशिक्षण दिया गया, जबकि सभी योजनाओं को मिलाकर 4,855 को रोजगार मिलना बताया गया।
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शिक्षित युवाओं की जुबानी

– वोवस से मजदूरी के लिए शहर आए कालूराम ने बताया कि उनके बेटे एमए और बीए कर चुके हैं, लेकिन वे मजदूरी कर पेट पालते हैं। पारस तिराहा के पास रोजाना कालूराम काम की तलाश में पहुंचते हैं।
– श्रमिकों के साथ खड़े डूंगरलाल ने बताया कि एक भी चौराहा ऐसा नहीं है, जहां उच्च शिक्षित रोजगार की तलाश में नहीं आते हो। बेरोजगारी बड़ी समस्या है। यहां कई ऐसे श्रमिक हैं, जो 12वीं पास है।
– चुंगी नाके पर आए कैलाश और शंकरलाल ने बताया कि उन्होंने सालों पहले स्नातक की पढ़ाई की, लेकिन रोजगार नहीं मिलने से वे यहां रोजगार तलाशते हैं।
(मजदूरों के बदले हुए नाम)

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