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गहलोत सरकार के इस फैसले पर कटारिया ने कह दी यह बात, कि अगर ऐसा हुआ तो…..

locationउदयपुरPublished: Dec 31, 2018 01:37:19 pm

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मुकेश हिंगड़/उदयपुर . पूर्व गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने मंत्रिमंडल की पहली बैठक में किए गए निर्णयों में से दो पर कांग्रेस सरकार को कोसते हुए कहा कि अच्छे लोकतंत्र के लिए दलगत राजनीति से ऊपर उठकर निर्णय करने चाहिए। कटारिया ने एक बयान में कहा कि सरकार ने पंचायतीराज व नगरीय निकायों के चुनाव में उम्मीदवारों की अनिवार्य शैक्षणिक योग्यता को खत्म कर ठीक नहीं किया। भाजपा सरकार ने दोनों ही चुनाव में शैक्षणिक योग्यता का मापदंड इसलिए तय किया था कि लोकतंत्र में जनप्रतिनिधि का शिक्षित होना अनिवार्य है, यदि वह शिक्षित नहीं होगा तो दूसरों के कहे पर चलेगा जिससे वह सही और गलत में फर्क करने में सक्षम नहीं रहेगा। कटारिया ने कहा कि इस निर्णय को मॉडल मानते हुए कई राज्यों ने कदम उठाए लेकिन गहलोत सरकार ने इसे बदल दिया। कटारिया ने यह भी कहा कि निकायों में मुखिया को सीधे चुनने के निर्णय लागू हुए तो निकायों में ऊहापोह की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी, यदि महापौर अलग दल का और बहुमत किसी और दल का होगा तो उस निकाय का भगवान ही मालिक होगा। हमने जयपुर, कोटा आदि जगहों पर यह अनुभव किया था।
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कटारिया ने कहा कि महापौर और पार्षदों के बीच की रस्साकशी में उस निकाय की हालत लावारिस सी हो जाती है। न समितियों का गठन होता है और ना ही पार्षद अपने क्षेत्रों में कार्य करवा पाते हैं। कटारिया ने कहा कि दोनों ही विषय राजनीति के नहीं है वरन स्वस्थ लोकतंत्र में दोनों ही विषयों पर खुली बहस होनी आवश्यक है।

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