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जांच मशीनें खराब, ठीक करने के बजाए हटा दिया तकनीकीकर्मी को ही आदर्श प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र – खेरोदा
गांव की आबादी – करीब 8 हजार, 52 गांव के बीच एक मात्र अस्पताल
अस्पताल में प्रतिदिन करीब डेढ़ से ज्यादा मरीज आते हैं। निशुल्क दवाओं को कोटा पूरा है लेकिन मौसमी बीमारियों में मरीजों की कतारे लगने के बाजवूद यहां पिछले एक साल से एक्स-रे व इसीजी मशीन खराब पड़ी है। बीमारी के प्रारंभिक चरण की जांचों के लिए भी मरीजों को प्राथमिक उपचार के बाद सीधा उदयपुर या भीण्डर दौडऩा पड़ता है। इन जांच मशीनों को ठीक करवाने के बजाए ाराबी के चलते यहां पर लगे तकनीकी कर्मी को ही हटा दिया गया। यहां पर पन्द्रह दिन पहले ही आए चिकित्सक को अभी मशीनों के खराबी की जानकारी भी नहीं है।
जांच मशीनें खराब, ठीक करने के बजाए हटा दिया तकनीकीकर्मी को ही आदर्श प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र – खेरोदा
गांव की आबादी – करीब 8 हजार, 52 गांव के बीच एक मात्र अस्पताल
अस्पताल में प्रतिदिन करीब डेढ़ से ज्यादा मरीज आते हैं। निशुल्क दवाओं को कोटा पूरा है लेकिन मौसमी बीमारियों में मरीजों की कतारे लगने के बाजवूद यहां पिछले एक साल से एक्स-रे व इसीजी मशीन खराब पड़ी है। बीमारी के प्रारंभिक चरण की जांचों के लिए भी मरीजों को प्राथमिक उपचार के बाद सीधा उदयपुर या भीण्डर दौडऩा पड़ता है। इन जांच मशीनों को ठीक करवाने के बजाए ाराबी के चलते यहां पर लगे तकनीकी कर्मी को ही हटा दिया गया। यहां पर पन्द्रह दिन पहले ही आए चिकित्सक को अभी मशीनों के खराबी की जानकारी भी नहीं है।
— निशुल्क दवाओं को टोटा, बाहर से खरीद रहे मरीज
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र – गोगुन्दा
गांव की आबादी – करीब 10 हजार, 20 गांवों के लोग आते ही यहां इलाज करवाने अस्पताल में प्रतिदिन करीब तीन से साढ़े तीन सौ मरीज आते हैं। हाल में मौसमी बीमारियों के चलते यह आउटडोर पांच सौ के पार चल रहा है। सरकारी की निशुल्क दवाओं को यहां पर भारी मात्रा में कमी है। चिकित्सक द्वारा लिखी गई अधिकांश दवाएं मेडिकल से खरीदने पड़ रही है। चिकित्सकों का कहना है कि उन्होंने जिन दवाइयों की मांग कर रखी है वो अभी तक नहीं आई, कुछ और कम पड़ गई तो उन्होंने नई सूची भेजी भी नहीं। इस सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर मरीजों को सामान्य बीमारियों की दवाई भी बाहर से खरीदनी पड़ रही है। यहां पर जांच के लिए एक एक्स-रे मशीन है लेकिन रेडियोग्राफर नहीं होने की वजह ये मशीन तीन वर्ष से बंद कमरे में धूल फांक रही है। नर्सिंग स्टाफ की कमी से यहां पर मरीजों के दवाई व उपचार में भी काफी समय लग रहा है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र – गोगुन्दा
गांव की आबादी – करीब 10 हजार, 20 गांवों के लोग आते ही यहां इलाज करवाने अस्पताल में प्रतिदिन करीब तीन से साढ़े तीन सौ मरीज आते हैं। हाल में मौसमी बीमारियों के चलते यह आउटडोर पांच सौ के पार चल रहा है। सरकारी की निशुल्क दवाओं को यहां पर भारी मात्रा में कमी है। चिकित्सक द्वारा लिखी गई अधिकांश दवाएं मेडिकल से खरीदने पड़ रही है। चिकित्सकों का कहना है कि उन्होंने जिन दवाइयों की मांग कर रखी है वो अभी तक नहीं आई, कुछ और कम पड़ गई तो उन्होंने नई सूची भेजी भी नहीं। इस सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर मरीजों को सामान्य बीमारियों की दवाई भी बाहर से खरीदनी पड़ रही है। यहां पर जांच के लिए एक एक्स-रे मशीन है लेकिन रेडियोग्राफर नहीं होने की वजह ये मशीन तीन वर्ष से बंद कमरे में धूल फांक रही है। नर्सिंग स्टाफ की कमी से यहां पर मरीजों के दवाई व उपचार में भी काफी समय लग रहा है।