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उदयपुर

नदी नालों के आसपास की पहाडिय़ां नो कंस्ट्रक्शन जोन

देर आए पर दुरस्त आए नदी नालों के आसपास की पहाडिय़ां नो कंस्ट्रक्शन जोन

उदयपुरJan 28, 2024 / 09:26 pm

Mohammed illiyas

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अरावली श्रृंखला में पहाडिय़ों पर अब नए होटल व रिसोर्ट के लिए भू-रूपांतरण नहीं हो, इसके लिए ग्राम पंचायतों को प्रतिबंधित करने के प्रस्ताव राजस्व विभाग को भेजे जाएंगे। वहीं झीलों में गिरने वाले नदी-नालों के आसपास की पहाडिय़ों को भी Òनो कंस्ट्रक्शन जोनÓ घोषित किया जाएगा।
यह निर्णय शनिवार को यूडीए अध्यक्ष राजेन्द्र भट्ट की अध्यक्षता में हिल पॉलिसी ड्राफ्ट समिति की बैठक में लिए गए। गौरतलब है कि राजस्थान पत्रिका ने खत्म होती अरावली की पहाडिय़ों को लेकर सिलसिलेवार खबरें प्रकाशित की थी। जिसके बाद हरकत में आए यूडीए प्रशासन ने कई निर्णय लिए। इनमें पहाडिय़ों पर नए निर्माण पर रोक लगाई तो बिना भू-रूपातंरण कृषि भूमि प्लानिंग पर सख्त कदम उठाया। भट्ट ने कहा कि अरावली पर्वत श्रृंखला में पहाडिय़ों पर होटल एवं रिसोर्ट बनाने का चलन बढ़ा है। जिससे पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंच रहा है। क्षेत्र का पारिस्थितिक संतुलन बिगडऩे का खतरा पैदा होने लगा है। नई हिल पॉलिसी में इस बात को गंभीरता से शामिल करते हुए अरावली क्षेत्र में पहाडिय़ों पर होटल रिसोर्ट के लिए भूमि रूपांतरण प्रतिबंधित करने की आवश्यकता है। उन्होंने निर्देश दिए कि यूडीए की ओर से राजस्व विभाग को पत्र लिखा जाए, जिसमें अरावली क्षेत्र में आने वाली ग्राम पंचायत क्षेत्रों की पहाडिय़ों पर होटल, रिसोर्ट के लिए भू-रूपांतरण प्रतिबंधित करने का आग्रह किया जाए। इससे पहाडिय़ां कटने से बचेगी और पर्यावरण का संरक्षण हो सकेगा।

सिंचाई विभाग से जीटी शीट प्राप्त कर नदी नालों को करेंगे चिह्नित

झीलें उदयपुर की लाइफलाइन है। पहाडिय़ों की लगातार कटाई से झीलों का कैचमेंट एरिया प्रभावित हो रहा है, साथ ही झीलों में गिरने वाले छोटे-मोटे नदी-नाले विलुप्त होने के कगार पर है। बैठक में निर्णय लिया कि झीलों में पानी की आवक बनाए रखना अति आवश्यक है। इसके लिए सिंचाई विभाग से जीटी शीट प्राप्त कर ऐसे नदी नालों को चिह्नित कर उन्हें पुनर्जीवित किया जाएगा। इन नदी नालों से जुड़ी पहाडिय़ां को Òनो कंस्ट्रक्शन जोनÓ में रखा जाए ताकि पहाडिय़ां को बचाया जा सके और झीलों में पानी की आवक बनी रहे।
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30 किमी दायरे में आने वाली पहाडिय़ों का होगा सर्वे

सज्जनगढ़ को केन्द्र मानकर 20 किलोमीटर एरिया में आने वाली पहाडिय़ों का सर्वे दायरा बढ़ाते हुए 30 किमी परिधि में आने वाली पहाडिय़ों का सर्वे किया जाएगा। उत्तर में देलवाड़ा, दक्षिण में टीडी डेम, पूर्व में डबोक से आगे, पश्चिम में झाड़ोल तक की पहाडिय़ां इस दायरे में आने से उनके संरक्षण की दिशा में प्रयास किए जा सकेंगे। भट्ट ने अधिकारियों से कहा कि इस परिधि में वन विभाग के अधीन पहाडिय़ों को छोडकऱ अन्य पहाडिय़ों की इमेज सेंसिंग कर कन्टूर मेंपिंग की जाए। ताकि उनकी ऊंचाई और ढलान के अनुसार वर्गीकृत किया जा सके।
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