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पानीपत फ‍िल्‍म व‍िवाद पर बोले इतिहासकार, वीर योद्धा समझौता नहीं करते, बंद हो ऐतिहासिक संस्कृति से छेड़छाड

locationउदयपुरPublished: Dec 11, 2019 02:16:23 pm

Submitted by:

madhulika singh

panipat movie controversy पानीपत फिल्म में Maharaja SurajMal महाराजा सूरजमल के व्यक्तित्व प्रदर्शन पर बोले इतिहासकार

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चंदनसिंह देवड़ा/उदयपुर. panipat movie controversy पानीपत फिल्म में Maharaja SurajMal महाराजा सूरजमल के किरदार को तोड़ मरोडकऱ पेश किया गया है। निर्माता निर्देशक आशुतोष गोवरिकर पर इतिहास के तथ्यों से छेड़छाड़ करने के आरोप लगे हैं। विवाद के बाद फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने की मांग करते हुए जाट समाज उद्वेलित है। इसी बीच मेवाड़ के इतिहासकारों से जब ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित फिल्म निर्देशन की बात की तो उनका भी आक्रोश छलक पड़ा। इतिहासकारों का मानना है कि फिल्म को रोचक बनाने के फेर में निर्माता इसमें तथ्यों से तोड़ मरोडकऱ पेश कर देते है जो घातक है।
व्यक्तित्व को धूमिल करना अनुचित
भारत राष्ट्र का इतिहास और संस्कृति विश्व में सबसे प्राचीन है। उसमे राजस्थान(राजपुताना) का इतिहास तथ्यात्मक वीर गाथा है। फिल्म इंडस्ट्री लगातार राजस्थान के इतिहास व तथ्यों के साथ खिलवाड़ करती रही है। यह एक प्रवृत्ति के रूप में लगातार जारी है, इसकी घोर निंदा करता हूं। महाराजा सूरजमल एक वीर कूटनीतिक व्यक्तित्व के धनी थे। उन्होंने मराठों की सहायता की थी। किसी तरह का कोई समझौता नहीं किया। सच्चा वीर कभी सौदे बाजी नहीं करता फिल्म में मसाला डालने के लिए उनके व्यक्तित्व को धूमिल करना अनुचित है। सेंसर बोर्ड संज्ञान लें।
प्रो चंद्रशेखर शर्मा, इतिहासकार


व्यक्तित्व के धनी थे

महाराजा सूरजमल नेक मिजाज और सादे चालचलन के व्यक्ति थे। उनमें राजनीतिक योग्यता, सूक्ष्मदृष्टि और निश्चल बुद्धिमता विद्यमान थी। जोश, साहस, चतुराई के दम पर अटूट दृढ़ता और नहीं दबने वाला व्यक्तित्व के धनी थे। अब्दाली के आक्रमण के समय उन्होंने मराठा शक्ति का साथ दिया, लेकिन फिल्म में उन्हें जिस तरह से दर्शाया गया वह शर्मनाक है।
डॉ. गिरीशनाथ माथुर, इतिहासकार

तथ्यात्मक विवाद न हो
-ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर फिल्म बनाते समय फिल्मकार एक हद तक रचनात्मक स्वतंत्रता का उपयोग कर सकते हैं किन्तु किसी प्रकार का तथ्यात्मक विवाद न होना चाहिए। इसके लिए फिल्म निर्माण से पहले विशेषज्ञों, इतिहासकारों के मार्गदर्शन में गहन शोध और पड़ताल बहुत जरूरी है। लोक-दृष्टि और जन-भावना का ध्यान रखा जाना चाहिए। इस तरह की फिल्म के प्रदर्शन से भावी पीढ़ी के मन मस्तिष्क पर गलत प्रभाव पड़ता है।
प्रतिभा पाण्डेय,आचार्य,इतिहास विभाग, सुविवि

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