कभी ब्रिटिश रेजीडेंट्स की कोठी थी उदयपुर की रेजीडेंसी, यहां रूकते थे अंग्रेज रेजीडेंट्स
30 साल पुरानी विरासत ‘रेजीडेंसी’ अब वैसी ही खूबसूरत दिखेगी, स्मार्ट सिटी के तहत पिछले 5 माह से चल रहा रिनोवेशन का कार्य

उदयपुर. आज से 130 साल पहले वर्ष 1890 में रेजीडेंसी स्कूल में स्कूल नहीं चलता था, ये तत्कालीन मेवाड़ रियासत में ब्रिटिश रेजीडेंट की कोठी या बंग्ला हुआ करता था और इसे रेजीडेंट साहब बहादुर की कोठी कहा जाता था। ये उदयपुर में रह रहे यूरोपीय और अंग्रेजी लोगों का ठिकाना था। लार्ड कर्जन से लेकर प्रिंस ऑफ वेल्स तक अंग्रेजी मेहमानों के शाही शामियाने रेजीडेंसी के गार्डन में ही लगाए जाते थे। धीरे-धीरे अंग्रेजों का राज गया और फिर रजवाड़ों का भी गया तो इस रेजीडेंसी इमारत को स्कूल में तब्दील कर दिया गया। सौ साल पुरानी इमारत होने से ये शहर की विरासत हो गई लेकिन इसका मूल स्वरूप खो-सा गया। अब वर्ष 2020 में उदयपुर की इस अमूल्य विरासत को स्मार्ट सिटी के तहत लेकर इसका रिनोवशन कराया जा रहा है। ये इमारत अब फिर से वैसी ही नजर आएगी जैसी 130 सालों पहले की रेजीडेंसी नजर आती थी।
स्कूल से जुड़े हैं जज्बात
रेजीडेंसी स्कूल की प्राचार्य व अन्य कुछ लोगों ने अपनी आंखों के सामने इस विरासत को जवान से बूढ़ा होते देखा है, कोई इस स्कूल के छात्र रहे हुए हैं तो किसी के जज्बात लंबे समय से इससे जुड़े हैं। बात करने पर उन्होंने बताया कि इन दिनों स्कूल में स्मार्ट सिटी के तहत रिनोवेशन का कार्य जोर-शोर से चल रहा है। ये कार्य सितंबर 2020 में शुरू हुआ था और इसके पूरा होने में अभी 6 से 7 माह का समय और लगेगा। प्राचार्य ने बताया कि इसका पुरातन स्वरूप में लौटाने के लिए इसके पुराने फोटो और नक्शे देखे गए। यदि कोई निर्माण बाद में कराया गया है तो उसे तोडकऱ इसे फिर से उसी स्वरूप में ढाला जा रहा है जैसी ये 1890 में दिखती थी।

1934 में रेजीडेंसी परिसर में शुरू हुआ स्कूल
रेजीडेंसी चूूंकि अंग्रेज रेजीडेंट्स का निवास स्थान था इसलिए विद्यालय के नाम के साथ रेजीडेंसी जुड़ा हुआ है। स्वतंत्रता प्राप्ति से 13 साल पूर्व वर्ष 1934 में रेजीडेंसी परिसर में कन्या विद्यालय की स्थापना हुई थी। ये महाराणा गल्र्स हाई स्कूल के नाम से प्रसिद्ध हुआ। वर्ष 1988 में राजस्थान सरकार द्वारा विद्यालयों में 10+2 योजना लागू की गई तब से यह विद्यालय राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय, रेजीडेंसी के नाम से जाना जाने लगा।
विद्यालय स्थापना, क्रमोन्नति और वर्ष --
- कन्या विद्यालय- 1924
- हायर सैकंडरी- 1955-57
- 10+2 रा.बा.उ.मा.वि. रेजीडेंसी - 1988
इनका कहना है.
इस स्कूल व इमारत से केवल मन ही नहीं बल्कि यहां काम करने वालों के जज्बात जुड़े हुए हैं। मैं इस स्कूल की छात्रा रह चुकी हूं तो इसके बारे में अच्छे से जानती हूं। अभी यहां इमारत का रेनोवेशन का काम स्मार्ट सिटी के तहत चल रहा है और इसे इसके पुराने व मूल स्वरूप में लौटाया जा रहा है। इस बात से हम और सभी कर्मचारी उत्साहित हैं।
रंजना मिश्रा, प्राचार्य व पूर्व छात्रा रेजीडेंसी
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