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रोजी के लिए रोज उठा रहे यह बड़ा जोखिम, दो दशक से दे रहे हैं सेवाएं…

locationउदयपुरPublished: Jan 16, 2019 06:05:44 pm

– प्रदेश स्तर पर लगे हैं 543 संविदाकर्मी

भुवनेश पण्ड्या/उदयपुर. ये रोजाना संक्रमण के जोखिम के बीच काम कर अपनी रोजी कमा रहे हैं। ये संविदाकर्मी बेहद कम वेतन पर करीब दो दशक से काम कर रहे हैं, लेकिन इनकी कहीं सुनवाई नहीं हो रही है। हम बात कर रहे हैं एचआईवी जांच में लगे संविदाकर्मियों की। इसमें संयुक्त निदेशक से लेकर क्लीनर तक सब संविदा पर हैं। सरकार ने जोखिमपूर्ण कार्य करने वाले अधिकतर संविदाकर्मियों को नियमित करने के लिए बोनस अंक दे दिए है, लेकिन कई कार्मिक इससे भी वंचित रह गए।

इन्हें मिले बोनस अंक
सरकार ने गत वर्षों में नेशनल एड्स कन्ट्रोल सोसायटी के संविदा कार्मिकों, लैब टेक्नीशियन, स्टाफ नर्स, फार्मासिस्ट को बोनस अंक दिए हैं, जबकि संयुक्त निदेशक, सहायक निदेशक, तकनीकी अधिकारी, जिला कार्यक्रम अधिकारी, जिला सुपरवाइजर, वित्तीय सहायक, डिविजनल सहायक, लेखा सहायक, प्रोग्राम सहायक, काउंसलर, डाटा मैनेजर, चालक, कम्प्यूनिटी केयर कॉर्डिनेटर को स्थायी भर्ती प्रक्रिया में बोनस अंक नहीं मिले।
यह था सरकार का घोषणा पत्र
एनआरएचएम व एनयूएचएम संविदाकर्मियों, पैराटीचर्स, उर्दू पैरा टीचर, लोक जुम्बिशकर्मियों, आंगनबाड़ीकर्मियों, शिक्षाकर्मियों, विद्यार्थी मित्र, पंचायत सहायक का समाधान कर नियमित किया जाएगा।

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यह है पक्ष में, पर परेशानी
-मुख्यालय से अब तक जितने पत्र जारी हुए, उनमें संविदाकर्मियों का तो नाम है, लेकिन इसमें कहीं भी एड्स या एचआईवी का जिक्र नहीं।
-प्रदेश में 63 हजार एड्स रोगी हैं। इनकी नियमित जांच से लेकर काउंसलिंग व अन्य कार्य यह संविदाकर्मी कर रहे हैं।
-राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की परियोजना निदेशक प्रीति माथुर ने 11 जनवरी को सभी स्टेट नोडल अधिकारियों से इन संविदाकर्मियों की जानकारी मांगी है।
-8 जनवरी को मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक हुई, जिसकी अध्यक्षता ऊर्जा मंत्री बीडी कल्ला ने की। इसमें संविदाकर्मियों की संख्या एवं ये किस-किस स्कीम में लगे हैं, इस पर चर्चा हुई।
-संविदाकर्मियों को स्थायी पदों पर समायोजित किया जाए तो कितना वित्तीय भार पडेग़ा।
-मानदेय बढ़ाने को लेकर वित्त विभाग का मत।
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