कोई किसी के पीछे गुलाल लेकर दौड़ रहा था तो कोई पिचकारी से निकली रंगों की फुहारों से भिगोना चाहता था। किसी ने तो बाल्टी भर-भर कर एक-दूसरे को रंगों से तर-बतर किया। किसी के पास भी बचने का मौका नहीं था। यहां उम्र भी हार नहीं मान रही थी। बच्चे तो पूरे जोश में थे ही बड़े-बूढ़े भी जम कर होली खेल रहे थे।
विदेशी भी नहीं रहे पीछे
होली के इस रंगीले त्योहार का मजा लेने से विदेशी भी नहीं चूके। उन्होंने भी शहरवासियों के साथ होली खेलने का पूरा लुत्फ उठाया। कुछ लोग तो उनमें ऐसे थे जिन्होंने भारत के इ स त्योहार के बारे में सुन तो बहुत रखा था लेकिन खेले कभी नहीं थे। इस बार होली के मौके पर भारत में ही होने पर इस त्योहार का मजा उठाया। उन्होंने एक-दूसरे को रंगों में नहला दिया।
थोड़ा मीठा, थोड़ा नमकीन
होली के दिन सुबह से शाम तक लोगों के घरों में शुभकामनाएं देनेवालों का आना-जाना लगा रहा। शुभकामनाएं देने के लिए टोलियां जिस घर भी पहुंचती, वहां उनका स्वागत खूब सारी मिठाइयों से किया जाता। होली के दिन इतनी मिठाइयां खाने को मिलीं कि लोग मीठा खा-खा कर भी उकता गए। फिर तो मीठे के नाम से तौबा कर कुछ लोगों ने केवल नमकीन का ही सहारा लिया। कुछ ने थोड़ा मीठा, थोड़ा नमकीन दोनों के बीच का विकल्प निकाल लिया।