इस संबंध में गृहमंत्री कटारिया ने कहा कि मुख्यमंत्री ने उपसमिति बना रखी है जो यह प्रयास कर रही है कि आंदोलनरत पुलिसकर्मियों को कैसे राहत मिले। वेतन कटौती का जो मामला है उससे प्रभावित और भी कई तरह कर्मचारी हैं लेकिन इन पुलिसकर्मियों को लग रहा है कि तलवार केवल उन्हीं पर लटकी है। इसलिए वे मेस का बहिष्कार कर रहे हैं। गौरतलब है कि सरकार के वेतन कटौती के निर्णय के बाद पुलिसकर्मियों के आंदोलन को कई कर्मचारी संगठनों का भी समर्थन मिल रहा है। सोमवार को जवानों ने रोल कॉल का बहिष्कार किया तथा पुलिस लाइन की मुख्य सडक़ पर बैठ गए। जिनकी मेले व अन्य स्थानों पर ड्यूटी लगाई थी, वे ड्यूटी पर नहीं पहुंचे। शाम को अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बृजेश सोनी समझाइश के लिए मौके पर पहुंचे, लेकिन जवानों ने उनकी एक नहीं सुनी। इस बीच कई कर्मचारी संगठन उनके समर्थन में मैदान में कूद पड़े। मामला बिगड़ता देख हालात संभालने के लिए देर रात तक पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र प्रसाद गोयल और पुलिस के अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने मौके पर पहुंच कर समझाइश की। वे जैसे ही लौटे पुलिसकर्मी फिर विरोध में बैठ गए। इधर अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ के पदाधिकारियों ने राज्यपाल और मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपे और पुलिसकर्मियों की वाजिब मांगों को तत्काल पूरा करने की मांग की। महासंघ ने एेसा नहीं होने पर सरकार को गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दे डाली।
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समर्थन में उतरे संगठन, कलक्ट्रेट पर अनशन
उदयपुर में सेवारत चिकित्सक संघ और अखिल राजस्थान राज्य संयुक्त कर्मचारी महासंघ तथा शिवसेना भी पुलिसकर्मियों के साथ मैदान में उतर आए हैं। कर्मचारी नेता शेरसिंह बुधवार अपने साथियों के साथ
जिला कलक्ट्रेट पर एक दिन का अनशन किया।
समर्थन में उतरे संगठन, कलक्ट्रेट पर अनशन
उदयपुर में सेवारत चिकित्सक संघ और अखिल राजस्थान राज्य संयुक्त कर्मचारी महासंघ तथा शिवसेना भी पुलिसकर्मियों के साथ मैदान में उतर आए हैं। कर्मचारी नेता शेरसिंह बुधवार अपने साथियों के साथ
जिला कलक्ट्रेट पर एक दिन का अनशन किया।