READ MORE : पैदा होते ही मां ने पालने में छोड़ा तो सात समंदर पार से आए नए मां-बाप, पिढ़ए नन्नी रोहिणी की खबर बालिका गृह का पूरा रूटिन बदल ये बालिका किसी अन्य के हाथ का बना खाना नहीं खाती है। चटाई पर सोती है। उदयपुर पहुंची सभी बालिका सभी महिला मंडल के मीरा निराश्रित बालिका गृह में है। सीडब्ल्यूसी व बाल अधिकारिता विभाग ने उन्हें बालिका के अनुसार उनके शिड्यूल तय करने का आदेश दिया। इसके बाद से बालिका गृह का पूरा रूटिन बदल गया। इससे पहले राजसमंद में भी इन्हें रखने के दौरान भारी परेशानियां झेलनी पड़ी।
&किशोर न्याय का मूल सिद्धांत कहता है कि बच्चे का बेहतर पुनर्वास उसके परिवार में ही संभव है, लेकिन ये बच्चियां न तो अपनों के पास जाना चाहती है और न ही शिक्षा से जुड़ी है।
आश्रम की यह है दिनचर्या
&किशोर न्याय का मूल सिद्धांत कहता है कि बच्चे का बेहतर पुनर्वास उसके परिवार में ही संभव है, लेकिन ये बच्चियां न तो अपनों के पास जाना चाहती है और न ही शिक्षा से जुड़ी है।
आश्रम की यह है दिनचर्या
4 बजे- उठने का समय
5 बजे तक – मेडिटेशन
7 बजे- मंूग व खीरे का ब्रेक फास्ट
9.30 बजे- दाल, चावल व चपाती का खाना
9.30 से 12 बजे तक- आध्यात्मिक स्कूल क्लास
12 से 1 बजे- सोने का समय
1 बजे सूखा नाश्ता- सत्तू व फ्रूट
2 से 2.30 बजे- टीवी व इंडोर गेम का समय
2.30 से 5 बजे-आध्यात्मिक की विशेष क्लास
5 से 6 बजे-पढ़ाई व खेल
6.30 बजे- खाना मंूग की खिचड़ी
7 से 8 बजे के बीच मेडिटेशन व उसके बाद सोना।
5 बजे तक – मेडिटेशन
7 बजे- मंूग व खीरे का ब्रेक फास्ट
9.30 बजे- दाल, चावल व चपाती का खाना
9.30 से 12 बजे तक- आध्यात्मिक स्कूल क्लास
12 से 1 बजे- सोने का समय
1 बजे सूखा नाश्ता- सत्तू व फ्रूट
2 से 2.30 बजे- टीवी व इंडोर गेम का समय
2.30 से 5 बजे-आध्यात्मिक की विशेष क्लास
5 से 6 बजे-पढ़ाई व खेल
6.30 बजे- खाना मंूग की खिचड़ी
7 से 8 बजे के बीच मेडिटेशन व उसके बाद सोना।