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आध्यात्म में ऐसी डूबी कि शिक्षा से हो गई दूर, अपनों के पास जाने से भी इनकार

locationउदयपुरPublished: Jul 12, 2018 04:24:24 pm

Submitted by:

madhulika singh

राजसमंद में आध्यात्मिक शिक्षा केन्द्र से बरामद 67 बालिकाओं का मामला….उदयपुर पहुंची 25 बालिकाएंं

hostel case in udaipur

आध्यात्म में ऐसी डूबी कि शिक्षा से हो गई दूर, अपनों के पास जाने से भी इनकार

उदयपुर. राजसमंद जिले में एक होटल से सटे भवन में संचालित आध्यात्मिक शिक्षा केन्द्र से बरामद 67 बालिकाओं को गुरुकुल ने आध्यात्म से ऐसा जोड़ा कि मूल शिक्षा से ही दूर हो गई। उदयपुर पहुंची 25 बालिकाओं में से महज एक ने दसवीं कक्षा की परीक्षा दी बाकि सभी पहली से पांचवीं कक्षा तक ही स्कूली शिक्षा ले पाई है। आध्यात्मिक ज्ञान की राह पर चल पड़ी गरीब एवं अशिक्षित परिवारों की इन बालिकाओं के पास बालिग होने के बाद अपने पैरों पर खड़ा होने का भी कोई रास्ता नहीं है। ये अब भी अपने परिजनों के साथ जाने के बजाय गुरुकुल में ही जाने की जिद कर रही है।
उदयपुर पहुंची 25 बालिकाओं से मंगलवार को बाल अधिकारिता विभाग की सहायक निदेशका मीना शर्मा, बाल कल्याण समिति के सदस्य राजकुमारी भार्गव, बी.के. गुप्ता व सुशील दशोरा ने अलग-अलग बात कर रिपोर्ट बनाई। बालिकाओं को कहना था कि उनका आश्रम महज होटल के पास होने से लोगों ने उन्हें संदिग्ध मान लिया। इसी कारण धरपकड़ कर उन्हें लाया गया है। हम सभी अपने अभिभावकों की सहमति से आश्रम में है। इनका कहना है कि राजसमंद में रखी गई 42 बालिकाओं को भी उनके साथ गुरुकुल ही भिजवाया जाए।
गौरतलब है कि बरामद बालिकाओं में 9 नेपाल की तथा अन्य आठ राज्यों की है। इनमें राजस्थान की महज दो है। बालिकाओं की सुरक्षा के लिए टीम ने एएसपी मुख्यालय से वार्ता कर वहां सादे वस्त्रों में दो महिला कांस्टेबलों की तैनातगी करवाई।
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बालिका गृह का पूरा रूटिन बदल ये बालिका किसी अन्य के हाथ का बना खाना नहीं खाती है। चटाई पर सोती है। उदयपुर पहुंची सभी बालिका सभी महिला मंडल के मीरा निराश्रित बालिका गृह में है। सीडब्ल्यूसी व बाल अधिकारिता विभाग ने उन्हें बालिका के अनुसार उनके शिड्यूल तय करने का आदेश दिया। इसके बाद से बालिका गृह का पूरा रूटिन बदल गया। इससे पहले राजसमंद में भी इन्हें रखने के दौरान भारी परेशानियां झेलनी पड़ी।
&किशोर न्याय का मूल सिद्धांत कहता है कि बच्चे का बेहतर पुनर्वास उसके परिवार में ही संभव है, लेकिन ये बच्चियां न तो अपनों के पास जाना चाहती है और न ही शिक्षा से जुड़ी है।

आश्रम की यह है दिनचर्या
4 बजे- उठने का समय
5 बजे तक – मेडिटेशन
7 बजे- मंूग व खीरे का ब्रेक फास्ट
9.30 बजे- दाल, चावल व चपाती का खाना
9.30 से 12 बजे तक- आध्यात्मिक स्कूल क्लास
12 से 1 बजे- सोने का समय
1 बजे सूखा नाश्ता- सत्तू व फ्रूट
2 से 2.30 बजे- टीवी व इंडोर गेम का समय
2.30 से 5 बजे-आध्यात्मिक की विशेष क्लास
5 से 6 बजे-पढ़ाई व खेल
6.30 बजे- खाना मंूग की खिचड़ी
7 से 8 बजे के बीच मेडिटेशन व उसके बाद सोना।
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