—- परत दर परत जिला मुख्यालय से करीब ७० किमी दूर झाड़ोल क्षेत्र की ओड़ा पंचायत में मंगलवार को पत्रिका टीम रोडवेज के जरिए पहुंची। तो पहाड़ों के बीच दूर-दूर छितराए घरों तक पहले बाइक और बाद में पैदल की गई पड़ताल में सामने आया कि जिन लोगों के नाम प्रधानमंत्री आवास योजना में घर पंचायत ने सूची में दर्शा र ो हैं, वो झोपड़े से ाी बदतर है, इनमें भ्रटाचार हुआ है, क्योंकि एक बुजुर्ग महिला के नाम से कागजों में राशि ही उठ गई, लेकिन उसे इसकी जानकारी तक नहीं है। आज ाी ये विधवा आदिवासी महिला टूटी-फूटी झोंपड़ी में निवासरत है। एेसे ही एक अन्य भ्रटाचार को आधी राशि देकर समझा दिया गया। गांव में जिसे शौचालय कहे जा रहे हैं वहा केवल ईटों की टांटी है। जिससे ये उपयोग में नहीं आ रहे है और पंचायत ओडीएफ का तमगा लेकर बैठी है। लोगों ने बताया कि शौचालय के पैसे उन्हें नहीं मिले, ठेकेदार ढाई सौं ईंट व एक बैग सीमेंट व टॉयलेट सीट दे गया। अधूरे ढांचों में किसी ने अपना सामान र ाा हुआ है तो ज्यादातर में ना तो टॉयलेट सीट लगाई गई है और ना ही किसी का गेट बना हुआ है, यहां तक की ऊपर का हिस्सा तक ाुला है। कुछ लोगों ने घर का कबाड़ इस ढाचें में ार र ाा है, तो इसे बर्तन मांझने के काम में ले रहे हैं।
—- झाड़ोल क्षेत्र की ग्राम पंचायत ओड़ा में आठ गांव हैं जिनमें सहीवाड़ा, सरावली, मेलाना ाुर्द, मेलाना कला, कालीगार, कुरावी ाुर्द, गोदावतों का पाड़ा और बिलावास गांव शामिल हैं। ओड़ा को छोड़ स ाी गांव में अशिक्षित आदिवासी लोगों के साथ आवास व शौचालय के नाम पर बड़ा गड़बड़झाला हुआ है।
—-केस : १/ पूरा घर ही डकार गए वर्ष २०१४-१५ में सहीवाड़ा गांव की निवासी विधवा देवीबाई पति स्व. हरका का चयन प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए हुआ था। इसे लेकर उनकी मकान निर्माण की किश्त ३५ हजार की राशि ओड़ा सहकारी मिनी बैंक लि. में जारी हो गई, लेकिन ये राशि ना तो उस तक पहुंची और ना ही बैंक डायरी में दर्ज हुई। बैंक जाने पर उसे टरकाकर ोज दिया जाता है। ये आदिवासी महिला आज ाी पक्के छप्पर की आस में टूटे झोंपड़े में गुजर-बसर कर रही है।
—-केस: २/ दीवार पर भ्रटाचार की इबारत सहीवाड़ा के प्रधानमंत्री आवास योजना के ला ाार्थी लाला/मंगला (आईडी न बर-१७३१४एच) को २०१६-१७ में मकान बनाने के लिए एक ला ा २० हजार रुपए जारी किए गए थे, लेकिन उसके हाथ केवल ८० हजार रुपए ही आए। इस बात को वह ाुद स्वीकार कर रहा है, जबकि उसके झोपड़े की दीवार पर भ्रटाचार की कहानी लि ाी गई, जिस पर उसे १ ला ा २० हजार रुपए स्वीकृत होना बताया है। हालांकि इस पक्के झोपडे़ के हाल इसकी तस्वीर ाुद बयां कर रही है। मेवाड़ आंचलिक ग्रामीण बैंक की डायरी में आधी प्रविष्टियां कई गड़बड़झाले का इशारा करती है।
—— हमने नियमों से काम किया है, जिसके कागज में नाम दि ाा र ो हैं, उनके वहां शौचालय बने हुए हैं, जिनका नाम घरों के लिए लि ाा गया है, उनके घर बनाए गए हैं, बकायदा उन्हें राशि दी गई है। १२ हजार रुपए शौचालय के और १ ला ा २० हजार और १७ हजार रुपए आवास के लिए अतिरिक्त रुपए दे रहे है।
खातुलाल परमार, सरपंच ओड़ा —– २०१६-१७ में पांच मकान पूर्ण होना बाकी है। राशि पूरी दे दी है। जबकि २०१४ में ८० शौचालय की राशि का ाुगतान एलडीसी जमनालाल गोदारा के द्वारा किया गया था। बीडीओ आरसी मीणा ने फोन किया था शौचालय निर्माण की यूसी नहीं दी गई तो तत्काल जमा करवाई थी, रोहिमाला पंचायत में कलेक्टर के शिविर लगे थे, उस समय वहां उपयोगिता प्रमाण पत्र दि ााने थे। अ ाी के तो स ाी सरपंच और एलडीसी ने जारी किए है।
अशोक अहारी, पूर्व सचिव