
nivritti kumari mewar
अक्सर ये आम लोगों की धारणा होती है कि राजपरिवारों के लोग लेविश लाइफ जीना पसंद करते हैं। सोने की थाली में खाना खाते हैं तो चांदी की प्याली में चाय की चुस्कियां लेते हैं। एक शाम इंडिया में बीतती है तो सुबह किसी ओर देश में होती है। कई घंटे सजने-संवारने में निकाल देते हैं तो ब्रांड्स के अलावा कुछ पहनना पसंद नहीं करते। हर बात में उनका एटीट्यूड झलकता है जिससे उनकी महंगी लाइफस्टाइल की झलक मिल जाती है। इस बात में कितनी हकीकत है और राजपरिवारों के लोग आम लोगों जैसी जिंदगी भी जीते हैं या नहीं, इन सभी बातों पर राजस्थान पत्रिका ने पूर्व राजघराने की निवृत्ति कुमारी सिंह मेवाड़ का डिफरेंट एंगल इंटरव्यू किया गया, जहां उनसे उनकी लाइफ स्टाइल पर चर्चा हुई और उन्होंने अपने दिल की बात खुल कर कही -
उत्तर : हम बहुत ब्लेस्ड हैं कि ऐसे परिवार में मेरा जन्म हुआ और शादी भी ऐसे परिवार में हुई जो मेरा सौभाग्य है। लेकिन, प्रिवलिजेज (विशेषाधिकारों) के साथ बहुत सारी जिम्मेदारियां भी हमें मिलती हैं। ये बात जैसे-जैसे बड़े होते जाते हैं, वैसे-वैसे समझ आती है और जिम्मेदारी का अहसास भी होता जाता है। फिर जिंदगी सबसे बड़ी टीचर है तो बहुत कुछ सिखाती है। धीरे-धीरे पता चलता है कि सिर्फ अपने या अपने लोगों के प्रति ही हमारी जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि लोगों के प्रति भी हमारी जिम्मेदारी है। लोगों की बहुत उम्मीदें रहती हैं और उसे पूरा करना और सम्मान देना हमारे लिए जरूरी हो जाता है।
उत्तर. मैं एक होममेकर हूं। मेरे लिए गृहस्थी-परिवार सर्वप्रथम है। मेरे दिन की शुरुआत बच्चों के साथ ही होती है और रात भी उनके साथ ही खत्म होती है। बच्चे खुद समय निकलवा लेते हैं। मेरी दुनिया उनके इर्द-गिर्द ही घूमती है। ऐसे में उनके हिसाब से मुझे अपना समय तय करना पड़ता है।
उत्तर. पढ़ना मुझे बहुत पसंद है लेकिन बच्चों के कारण वो अब पिछले कुछ समय से नियमित नहीं कर पा रही हूं। इसके अलावा मुझे म्यूजिक सुनना पसंद है, गाड़ी चलाने का बहुत शौक है। दिल्ली से मनाली तक सबको लेकर मैंने ड्राइव की और कई बार निकल पड़ती हूं। साथ ही हैरिटेज के बारे में और जिस जगह आई हूं मेवाड़ में वहां के बारे में पढ़ना अच्छा लगता है।
उत्तर. खुद को फिट रखने के लिए मैं योग करती हूं और वॉक पर जाती हूं। फिर मैं एक आम मां की तरह ही बच्चों के पीछे दौड़भाग करती हूं। तो बच्चों के पीछे दौड़कर हर मां की तरह मेरी एक्सरसाइज भी हो जाती है। लेकिन, सभी को अपना ख्याल रखना चाहिए। ये बेहद जरूरी है।
उत्तर. वे मेरा सबसे बड़ा सपोर्ट हैं। उन्हें कुछ बताने की जरूरत नहीं पड़ती है, वे पहले से ही मेरे मन की सभी बातें समझ जाते हैं। उनका और परिवार का पूरा सपोर्ट मिलता है। वे बच्चों के साथ भी बहुत केयरिंग हैं। वे उनके गेम टाइम में उनके साथ होते हैं, वे उनके डायपर भी चेंज करते थे। उनकी हर प्रॉब्लम सुनते हैं, उन्हें समझाते हैं। बच्चे उनके लिए सबसे पहले हैं।
उत्तर . हमारी जब शादी हुई तो दोनों के राजपुरोहितों को बैठाकर चर्चा की गई। हमें बताया कि हम पूर्व और पश्चिम से भले ही हैं लेकिन हमारी सनातन संस्कृति एक ही है। कई बातें समान हैं। केवल रहन-सहन का फर्क है, जैसे यहां पोशाक पहनी जाती है तो वहां साड़ी पहनते हैं। साथ ही जगन्नाथ प्रभु की शरण से भगवान जगदीश की शरण में आई हूं। बस, बाकी ऐसा कुछ लगा नहीं कि मैं कहीं अलग जगह से आई हूं। इसका श्रेय काफी हद तक परिवार को जाता है।
उत्तर. ये एक बहुत गंभीर विषय है। एक मां होने और एक महिला होने के नाते मुझे ये सोचकर भी दु:ख होता है कि जिन बेटियों के साथ ये गुजरी है उनकी मां पर क्या बीती होगी। इसके लिए बेशक कानून को और सख्त करने की जरूरत है। इसमें सरकार पूरी तरह से सक्षम है। कई कानून आ भी चुके हैं महिलाओं की सुरक्षा को लेकर और कुछ दूसरे देशों से भी जहां कानून बहुत सख्त है, उनसे भी सीखना होगा।
उत्तर. सोशल मीडिया और मेंटल हैल्थ को जोड़कर देखा जाए तो ये बहुत जरूरी हो चुका है कि बच्चों को व युवाओं को इस बारे में जागरूक किया जाए। उन्हें ये समझाना चाहिए कि खुशी के लिए वे किसी और पर निर्भर नहीं हैं। पेरेंट्स की भूमिका इसमें सबसे अहम है कि उनके बच्चे के साथ वे ऐसा रिश्ता रखें कि वे कोई बात उनसे छुपाए नहीं, अपने दिल की बात उनसे कह सकें। अगर गलती की भी है तो पेरेंट्स उसे सही कर देंगे, उन्हें इतना विश्वास दिलाना जरूरी है।
उत्तर. सबसे पहले तो मैं बताना चाहूंगी कि मेरे पिता-माता मेरे परिवार से तीसरी पीढ़ी हैं जो राजनीति में है। मेरे परदादोसा राजेंद्र नारायण सिंह सीएम थे, दादोसा राजसिंह देव एमपी थे, मेरे पिता कनकवर्धनसिंह देव डिप्टी सीएम हैं और मेरी मां संगीता कुमारी सिंह देव भी एमपी हैं और मेरे परिवार से कई लोग राजनीति से जुड़े हुए हैं। उन्होंने जनसेवा करते हुए अपना जीवन बिता दिया। वे जनप्रतिनिधि बने ही जनसेवा के लिए तो राजनीति कभी अपने स्वार्थ के लिए नहीं होती बल्कि इसके लिए बहुत त्याग करना पड़ता है। वहीं, जहां तक बात राजनीति में आने की है तो ये आप तय नहीं करते हैं, ये लोग तय करते हैं कि वे आपको जनप्रतिनिधि बनाना चाहते हैं या नहीं।
उत्तर. सबसे पहले तो मैं सभी को नवरात्र की शुभकामनाएं देना चाहती हूं और सभी देवी-देवताओं से ये कामना करती हूं कि हमेशा सच की जीत हो। आप सभी के घरों में सुख-शांति व समृदि्ध बनी रहे।
Updated on:
06 Oct 2024 11:09 pm
Published on:
06 Oct 2024 08:01 pm
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