—— खुद की और औरो की जान खतरे में डालते हैं तिमारदार डॉ प्राची गोयल, जूनियर रेजिडेंट मेडिसीन मूलत: उदयपुर ड्यूटी- एसएसबी के आईसीयू में फोर्थ फ्लोर विचार- हमारा काम है लोगों की जान बचाने के लिए पूरे प्रयास करना, हम चाहते है कि यहां जो भी भर्ती हो वह जल्द से स्वस्थ होकर घर लौटे, लेकिन इसमें हमें मरीजों के साथ आने वाले तिमारदारों का पूरा सहयोग चाहिए। वे कई बार यहां मौजूद चिकित्सकों व स्टाफ को सहयोग नहीं करते हैं। वह मरीजों के साथ बैठकर खाना खाते हैं, वार्ड में कई बार स्टाफ से बहस व तनाव की स्थिति बना देते हैं। यहां से वे बाहर भी जाते हैं, लॉक डाउन के कारण पब्लिक ट्रांसपोट का उपयोग कर अन्य लोगों को भी संक्रमित करते हैं। चिकित्सकीय टीम पूरा प्रयास कर रही है, तमाम कमियों का पूरा करने के लिए जुटी हुई है, लेकिन ये उन्हें भी समझना होगा। इस बार दर्द सबसे बड़ा ये है कि युवा कोरोना के निशाने पर हैं। सभी से आग्रह है कि वे कोरोना प्रोटोकोल का पालन करें।
——- पीडि़त मानवता की सेवा जीवन का उद्देश्य नाम- डॉ विकास भारद्वाज, पीजी रेजिडेंट मेडिसीन मूलत: अलवर ड्यूटी- कोविड वार्ड आईसीयू विचार- गत 18 माह से लगातार पत्नी डॉ मंजू शर्मा एमडी एनेस्थिसिया के साथ मिलकर कोरोना मरीजों का उपचार कर रहे हैं। कोरोना की दूसरी लहर में सबसे बड़ी बात ये है कि इसमें मरीजों का सेचुरेशन तेजी से नीचे जा रहा है, इस लहर में युवा वर्ग काफी संख्या में संक्रमित हो रहा है, कई बार पूरे प्रयास के बाद भी मरीज गंभीर हो रहे हैं, अपनी आंखों के सामने इतनी मौते देख ली है कि जीवन का उद्देश्य बना लिया है कि जीवन पर्यन्त नि:स्वार्थ भाव से पीडि़त मानवता की सेवा करूंगा। लोगों को कोरोना के नियमों का पालन करना होगा, क्योंकि जितना बचाव रखा जाएगा उतने ही वे सुरक्षित रहेंगे।