scriptयदि एक पाइन्ट मिलता तो भारत की झोली में होता तीरंदाजी का ऑलम्पिक पदक : पद्म श्री लिम्बाराम | If I had got one point, India would have won the Olympic medal in arch | Patrika News

यदि एक पाइन्ट मिलता तो भारत की झोली में होता तीरंदाजी का ऑलम्पिक पदक : पद्म श्री लिम्बाराम

locationउदयपुरPublished: Jul 25, 2021 06:49:56 am

Submitted by:

bhuvanesh pandya

– – ऑलम्पियन व पद्म श्री लिम्बाराम हैं मेवाड़ के गौरव
– पत्रिका से बातचीत में बोले पदक नहीं मिलने का मलाल जीवन भर रहेगा
– धनुष का बटन व स्प्रींग कमजोर होने से भी नुकसान हुआ

यदि एक पाइन्ट मिलता तो भारत की झोली में होता तीरंदाजी का ऑलम्पिक पदक : पद्म श्री लिम्बाराम

यदि एक पाइन्ट मिलता तो भारत की झोली में होता तीरंदाजी का ऑलम्पिक पदक : पद्म श्री लिम्बाराम

भुवनेश पंड्या
उदयपुर. मेवाड़ के गौरव पद्श्री लिम्बाराम कहते है कि ऑलम्पिक में पदक नहीं मिलने का मलाल उन्हें जीवन भर रहेगा। इसलिए कि वे केवल एक ही पाइन्ट से पीछे हो गए और पदक हाथ से निकल गया। इस बार टोक्यो में हो रहे ऑलम्पिक को लेकर पत्रिका से बातचीत में उन्होंने अपनी ऑलम्पिक यात्रा के कई यादगार लम्हे साझा किए। उदयपुर जिले के झाड़ोल क्षेत्र के सारादीट गांव के लिम्बाराम ने दुनियाभर में देश का नाम रोशन किया। उन्होंने 1992 में बार्सिलोना में हुए ऑलम्पिक की कहानी बताई और कहते-कहते भावुक हो गए। बीमारी के कारण बेहद मुश्किल से बोल पा रहे लिम्बाराम ने कहा कि यदि उनका निशाना पीले गोले के दसवें अंक वाले स्थान पर लग जाता तो आज हमारे पास ऑलम्पिक पदक होता। उन्हें दूर से ऐसा दिख रहा था जैसे वह तीर सही जगह पर लगा है, लेकिन थोड़ा सा चूकने पर निशाना नौ अंक वाली जगह ल गया।
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शुरुआत में आगे चल रहा था …तो प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी बोला ‘यू आर विन बाय टू पाइन्ट्स, बार्सिलोना में शुरुआती दौर में आगे चल रहे लिम्बाराम का परफोरमेंस देखकर ऑलम्पिक कांस्य पदक विजेता खिलाड़ी ने कहा कि यू आर विन बाय टू पाइन्ट्स। लेकिन जैसे ही अंतिम राउण्ड तक पहुंचे तो एक पाइन्ट से वह पिछड़ गए और इसके साथ ही पदक भी हाथ से फिसल गया, फिर उन्हें चौथा स्थान पर ही संतुष्ट होना पड़ा। उन्होंने बताया कि शायद पदक हाथ नहीं आना था, इसलिए कुछ ना कुछ होता रहा, और पदक पाने से वे चूक गए। उन्होंने बताया कि इस ऑलम्पिक के लिए उन्होंने भरसक अभ्यास किया था, लेकिन धुनष का बटन का स्प्रिंग कमजोर होकर ढीला हो गया। ऐसे में वह बटन अन्दर चला जाता है, तो तीर निकल जाता था। पहले लगातार दस दस दस पाइन्ट लिए लेकिन बाद में नौ मिले। पदक नहीं मिलने के पीछे ये भी एक वजह थी। इसके अलावा रूस का कोच उन्हें प्रशिक्षण दे रहा था, जो बीच में छोड़कर चला गया, ऐसे ट्यूनिंग यानी बटन को सेट करना होता है, वह बेहतर तरीके से नहीं हो पाया। उन्होंने इस बार ऑलम्पिक में जाने वाले खिलाडिय़ों को पदक लेकर लौटने की शुभकामनाएं दी।
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अर्से से न्यूरो की बीमारी का ले रहे दिल्ली में उपचार लिम्बाराम ने बताया कि वह दिल्ली एम्स में न्यूरो की बीमारी का वर्ष 2016 से उपचार ले रहे हैं। वह ना तो ठीक से चल फिर पा रहे हें, और ना ही सही तरीके से बोल पा रहे, लेकिन इस जंग को भी वे जीतने की तैयारी कर चुके हैं। वे फिलहाल जयपुर में तीरंदाजी अकादमी में बतौर प्रशिक्षक कार्यरत हैं। उन्होंने कहा कि स्पोट्र्स ऑथोरिटी ऑफ इंडिया व खिलाड़ी बीबी राव ने उन्हें खूब सपोर्ट किया। वे कई बार विदेशों में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। उन्होंने 1989 समर ऑलम्पिक सियोल, वल्र्ड ऑर्चरी चेम्पियनशिप स्वीटजरलेंड, एशियन कप, एशियन गेम्स बिजिंग, एशियन आर्चरी चेप्मियनशिप सहित सैंकड़ों प्रतियोगिता में हिस्सा लेकर व पदक जीतकर नाम रोशन किया।
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आदिवासी क्षेत्र में प्रतिभाओं की भरमार …आदिवासी क्षेत्र में कई खेल प्रतिभाओं की भरमार है, तीरंदाजी में तो एक से एक खिलाड़ी हैं हमारे पास, जरूरत है उन्हें तराशने की। खिलाडिय़ों को एकडमी के कड़े परिश्रम से गुजारना होगा, उनका गांव-गांव से चयन कर लाना होगा। इसके बाद योगा, दौड़ सहित व नियमित अभ्यास उन्हें आगे ले जाएगा।
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