ये है स्थिति
उदयपुर में फिलहाल करीब 100 मामले म्यूकोरमायकोसिस के से सामने आए हैं। ब्लैक फंगस को लेकर मरीजों की जांच व रिपोर्ट का काम देख रही डॉ. नीरा सामर ने बताया कि अभी तक क्लिनिकली टेस्ट सहित अन्य जांचों, जिसमें एमआरआई, केओएच माउंट, जिसमें पोटेशियम हाइड्रोक्साइड से जांच कर ये पुष्टि की जा रही है कि ये ब्लैक फंगस ही है। अब तक आठ मरीजों में इसकी पुष्टि हो चुकी है। कई मरीज निजी चिकित्सालय में भी भर्ती है। अब प्रत्येक निजी हॉस्पिटल को भी इसकी जानकारी चिकित्सा विभाग को देनी होगी।
उदयपुर में फिलहाल करीब 100 मामले म्यूकोरमायकोसिस के से सामने आए हैं। ब्लैक फंगस को लेकर मरीजों की जांच व रिपोर्ट का काम देख रही डॉ. नीरा सामर ने बताया कि अभी तक क्लिनिकली टेस्ट सहित अन्य जांचों, जिसमें एमआरआई, केओएच माउंट, जिसमें पोटेशियम हाइड्रोक्साइड से जांच कर ये पुष्टि की जा रही है कि ये ब्लैक फंगस ही है। अब तक आठ मरीजों में इसकी पुष्टि हो चुकी है। कई मरीज निजी चिकित्सालय में भी भर्ती है। अब प्रत्येक निजी हॉस्पिटल को भी इसकी जानकारी चिकित्सा विभाग को देनी होगी।
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ये है सबसे बड़ी समस्या: कई मरीज वेंटिलेटर व बायपेप ब्लैक फंगस की पुष्टि सीटी स्केन से भी हो सकती है, लेकिन सबसे बड़ी समस्या है, इसके गंभीर मरीज बायपेप व वेंटिलेटर पर हैं। ऐसे में उन्हें सीटी स्केन में नहीं ले जाया जा सकता।
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ये है सबसे बड़ी समस्या: कई मरीज वेंटिलेटर व बायपेप ब्लैक फंगस की पुष्टि सीटी स्केन से भी हो सकती है, लेकिन सबसे बड़ी समस्या है, इसके गंभीर मरीज बायपेप व वेंटिलेटर पर हैं। ऐसे में उन्हें सीटी स्केन में नहीं ले जाया जा सकता।
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ऑक्सीजन सिलेंडर से जुड़ी बोतल में डाल रहे स्टरलाइज पानी
मेडिसीन विभाग के वरिष्ठ विशेषज्ञ डॉ. महेश दवे ने बताया कि ऑक्सीजन लाइन या सिलेंडर, जिससे बोतल जुड़ी हुई होती है उसमें फंगस का खतरा अधिक रहता है। खास तौर पर ऐसी बारिश या नमी वाली स्थिति के कारण। इसमें ये समस्या नहीं हो, इसके लिए इस बोतल में अब स्टरलाइज या डिस्टिल वाटर डाला जा रहा है। ऑक्सीजन जैसे ही निकलती है तो ह्यूमिडिपाइड ऑक्सीजन के लिए उसे पानी के बीच से निकाला जाता है। यदि पानी खराब हो तो ये फंगस लगने का खतरा रहता है, जो केनुला के माध्यम से शरीर में चला जाता है। इससे आंख व नाक में संक्रमण हो जाता है। डॉ. दवे ने बातया कि मधुमेह व दवाओं में स्टेराइड का उपयोग भी इसका कारण है।
मेडिसीन विभाग के वरिष्ठ विशेषज्ञ डॉ. महेश दवे ने बताया कि ऑक्सीजन लाइन या सिलेंडर, जिससे बोतल जुड़ी हुई होती है उसमें फंगस का खतरा अधिक रहता है। खास तौर पर ऐसी बारिश या नमी वाली स्थिति के कारण। इसमें ये समस्या नहीं हो, इसके लिए इस बोतल में अब स्टरलाइज या डिस्टिल वाटर डाला जा रहा है। ऑक्सीजन जैसे ही निकलती है तो ह्यूमिडिपाइड ऑक्सीजन के लिए उसे पानी के बीच से निकाला जाता है। यदि पानी खराब हो तो ये फंगस लगने का खतरा रहता है, जो केनुला के माध्यम से शरीर में चला जाता है। इससे आंख व नाक में संक्रमण हो जाता है। डॉ. दवे ने बातया कि मधुमेह व दवाओं में स्टेराइड का उपयोग भी इसका कारण है।
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ये है ब्लैक फंगस की दवाइयां, बाजार से गायब एम्फोटेरेसिन बी- लाइफोसोमल इंजेक्शन – करीब 6 से 8 हजार
पोसाकोनाजोल टेबलेट- 4000 की दस गोली एम्फोटेरेसिन प्लेन इंजेक्शन – 300 रुपए
—— महामारी घोषित
प्रदेश में कोविड.19 संक्रमण के प्रभाव के कारण म्यूकोरमायकोसिस को महामारी घोषित किया गया है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख शासन सचिव अखिल अरोड़ा ने मरीजों की संख्या में निरन्तर वृद्धि और कोरोना के साइड इफेक्ट के रूप में सामने आने तथा ब्लैक फ ंगस एवं कोविड का एकीकृत व समन्वित रूप से उपचार करने के चलते इसे महामारी तथा नोटिफ ाएबल बीमारी घोषित कर दी है।
ये है ब्लैक फंगस की दवाइयां, बाजार से गायब एम्फोटेरेसिन बी- लाइफोसोमल इंजेक्शन – करीब 6 से 8 हजार
पोसाकोनाजोल टेबलेट- 4000 की दस गोली एम्फोटेरेसिन प्लेन इंजेक्शन – 300 रुपए
—— महामारी घोषित
प्रदेश में कोविड.19 संक्रमण के प्रभाव के कारण म्यूकोरमायकोसिस को महामारी घोषित किया गया है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख शासन सचिव अखिल अरोड़ा ने मरीजों की संख्या में निरन्तर वृद्धि और कोरोना के साइड इफेक्ट के रूप में सामने आने तथा ब्लैक फ ंगस एवं कोविड का एकीकृत व समन्वित रूप से उपचार करने के चलते इसे महामारी तथा नोटिफ ाएबल बीमारी घोषित कर दी है।
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जयपुर से फिलहाल सप्लाई नहीं हमारे पास एम्फोटेरेसिन बी- लाइफोसोमल के बेहद गिने-चुने इंजेक्शन हैं, जो स्थानीय स्तर पर खरीदे गए हैं। जयपुर से इसकी सप्लाई फिलहाल नहीं आ रही। एम्फोटेरेसिन प्लेन इंजेक्शन कुछ हैं, लेकिन जितनी जरूरत हैं उतने वह भी नहीं।
डॉ. दीपक सेठी, नोडल ऑफिसर, मेडिकल औषधि भंडार, एमबी हॉस्पिटल, उदयपुर
जयपुर से फिलहाल सप्लाई नहीं हमारे पास एम्फोटेरेसिन बी- लाइफोसोमल के बेहद गिने-चुने इंजेक्शन हैं, जो स्थानीय स्तर पर खरीदे गए हैं। जयपुर से इसकी सप्लाई फिलहाल नहीं आ रही। एम्फोटेरेसिन प्लेन इंजेक्शन कुछ हैं, लेकिन जितनी जरूरत हैं उतने वह भी नहीं।
डॉ. दीपक सेठी, नोडल ऑफिसर, मेडिकल औषधि भंडार, एमबी हॉस्पिटल, उदयपुर
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पहले से ही कम उपलब्ध दवाएं बाजार में इसकी दवाएं पहले से ही कम उपलब्ध हैं। कुछ स्टॉकिस्ट जरूर इस पर काम कर रहे हैं ताकि जल्द से जल्द दवाइयां मिल जाए। पहले इतने मामले नहीं थे, अब अचानक बढऩे से परेशानी हो रही है।
ललित अजारिया, असिस्टेंट ड्रग कन्ट्रोलर, उदयपुर
पहले से ही कम उपलब्ध दवाएं बाजार में इसकी दवाएं पहले से ही कम उपलब्ध हैं। कुछ स्टॉकिस्ट जरूर इस पर काम कर रहे हैं ताकि जल्द से जल्द दवाइयां मिल जाए। पहले इतने मामले नहीं थे, अब अचानक बढऩे से परेशानी हो रही है।
ललित अजारिया, असिस्टेंट ड्रग कन्ट्रोलर, उदयपुर