समय रहते नहीं चेतें तो खाली रह जाएंगे जलाशय
उदयपुरPublished: Jul 06, 2020 06:04:44 pm
हाइवे किनारे व बहाव मार्ग में डाला वेस्ट मटेरियलपानी आने के मार्ग अवरुद्ध
समय रहते नहीं चेतें तो खाली रह जाएंगे जलाशय
उदयपुर. मेनार. बर्ड विलेज मेनार के जलाशयों पर एक बार फि र से संकट के बादल मंडराने लगे है। समय रहते नही चेते तो इस बार ब्रह्म सागर तालाब व भरमेला तालाब खाली रह जाएगा वही इसी तालाब के ओवरफ्लो पानी पर आश्रित धण्ड तालाब के भरने पर भी संकट पैदा हो जाएगा।
मेनार के समीपवर्ती माल क्षेत्र इलाके में चल रहे सिक्स लेन निर्मार्ण करने वाली कंपनी के ठेकेदार ने बहाव मार्ग में मनमर्जी से मलबा डाल दिया है। बारिश शुरू हो चुकी है लेकिन पानी आवक के प्राकृतिक मार्ग फिलहाल बन्द है। ब्रह्म सागर, भरमेला तालाब के प्राकृतिक नाले के बहाव क्षेत्र में ठेकेदार द्वारा फ़ॉरलेन से सिक्स लेन विस्तार के लिए तोड़ी गई पुरानी सड़क, पुलिया एवं डिवाइडर का वेस्ट मटेरियल बहाव मार्ग के बीच में डाल दिया है। वही गत वर्ष उदयपुर- चितौडग़ढ़ मार्ग पर नवानिया से लेकर मेनार तीन मुखी पुलिया तक बनाया गया कच्चा नाला भी जगह-जगह से अवरुद्ध हो चुका है । हाइवे निर्माण एजेंसी द्वारा सड़क निर्माण का कार्य तो जारी है,लेकिन बारिश के पहले एजेंसी द्वारा ना तो प्राकृतिक नालों की सुध ली गई है ना इनके बीच में डाला गया वेस्ट मटेरियल हटाया गया है। यहां तक नवानिया से लेकर मेनार तक पानी निकासी के अंडर पुलिया बॉक्स के मुहानों पर मलबा पड़ा है उनकी सफाई भी नही की गई है।
क्षेत्र में सबसे बड़ा तालाब है ब्रह्म सागर
पक्षी विहार धण्ड़ तालाब कम गहरा होने से वहां छिछला पानी रहता है जिसे पक्षी अधिक आते है। ये तालाब 192 बीघा में फैला हुआ है इसकी पाल की लंबाई 1 किलोमीटर के करीब है। वही ब्रह्म सागर तालाब 306 बीघा क्षेत्रफल में फैला हुआ है। ये अधिक गहरा है इसके ओवरफ्लो होने पर इसका पानी 2 किलोमीटर दूर हाइवे को छूता है। इन तालाबों पर करीब दस हजार की आबादी के अलावा हजारों जलीय जीव जन्तु निर्भर है। जिनके लिये पूरे वर्षभर पानी के उपयोग का यही एकमात्र स्त्रोत है । खेतों में भरा रहेगा पानी बारिश के पानी आवक के तमाम रास्तों पर सफाई कर मलबा नही हटाया गया तो माल क्षेत्र से बहकर आने वाला पानी खेतो में ही भरा रहेगा। ऐसे में सालभर में बारिश के मौसम में ली जाने वाली एकमात्र् फसल की बुवाई पर भी संकट पैदा हो जाएगा। क्योंकि माल क्षेत्र में सैंकडों बीघा पर खरीफ फसल की बुवाई होती है जो सालभर में इन खेतों में एक ही फसल ली जाती है। वही जिन किसानों ने बुवाई की है उनके सडऩे का खतरामंडरा जाएगा।