गौरतलब है कि आईआईएम बिल 2017 इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट विधेयक है, जो देश में शीर्ष प्रबंधन संस्थानों को डिप्लोमा के बजाय विद्यार्थियों को डिग्री प्रदान करने की शक्ति देता है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय और सभी आईआईएम के डायरेक्टर के बीच कई बार अनौपचारिक चर्चा तो हुई, लेकिन अभी इस पर निर्णय नहीं हो पाया था। हालांकि आईआईएमयू निदेशक जनत शाह का कहना है कि तकरीबन हर आईआईएम इस बार डिप्लोमा ही देगा। आईआईएमयू अगले वर्ष से नियमानुसार विद्यार्थियों को डिग्री देना शुरू कर देगा। वर्तमान में आईआईएमयू में दो कोर्स पीजीपी (180) और पीजीपीएक्स (20) को मिलाकर 200 विद्यार्थी अध्ययनरत है।
इसलिए नहीं मिली डिग्री : वर्ष 2018 के बैच में अध्ययनरत विद्यार्थियों को इसलिए डिग्री नहीं मिली क्योंकि प्रबंधन संस्थानों के पास निर्णय से लेकर तैयारी का समय कम था। छात्रों को प्रबंधन में स्नातकोत्तर डिप्लोमा पीजीडीएम या एमबीए की डिग्री मिलनी चाहिए, इसे लेकर देश भर के आईआईएम में बहस छिड़ी हुई थी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस विधेयक को मंजूरी दे दी थी।
लोकसभा में जुलाई 2017 में और राज्यसभा की ओर से 19 दिसंबर को पारित किया गया था। आईआईएम को उनके संचालन में वैधानिक अधिकार प्रदान करता है। निदेशकों और संकाय सदस्यों की नियुक्ति भी इस एक्ट में शामिल है। इसके तहत एक संस्थान निदेशक, जो मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में कार्य करेगा, संस्थान के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की ओर से चयन समिति द्वारा सुझाए गए नामों के पैनल से चयन किए जाने पर बिल पास हुआ था।
20 आईआईएम : वर्तमान में उदयपुर सहित देश में 20 अहमदाबाद, कोलकाता, लखनऊ, बैंगलूरु, जम्मू, अमृतसर, रोहतक, सिरमोर, काशीपुर, गया, शिलांग, रांची, रायपुर , इन्दौर, नागपुर, संबंलपुर, विशाखापट्टनम, कोजिकोड, तिरुचिरापल्ली में आईआईएम संचालित हैं।
इस मसले पर सभी एकमत
हम इस वर्ष उत्तीर्ण होने वाले विद्यार्थियों को डिग्री नहीं देकर डिप्लोमा ही देंगे। बोर्ड की बैठक में भी यह निर्णय हो चुका है। साथ ही लगभग सभी आईआईएम इस बार इस मसले पर एकमत हो गए है। खैर हमारी ओर से तो अंतिम निर्णय किया है कि डिग्री हम अगले वर्ष से देंगे। 16 सदस्यीय बोर्ड ने इस निर्णय को सर्वोपरि माना है।
जनत शाह, निदेशक, आईआईएम, उदयपुर