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रातोंरात हुए काम से उदयपुर यूआईटी प्रशासन बेखबर, यूआईटी की जमीन पर रसूखदारों की अवैध सडक़

locationउदयपुरPublished: Aug 13, 2017 01:02:00 pm

Submitted by:

Sushil Kumar Singh

मालिकाना हक से बेखबर यूआईटी प्रशासन की जमीनों पर भू-माफिया की सक्रियता बढ़ती जा रही है।

illegal construction at udaipur
उदयपुर. मालिकाना हक से बेखबर यूआईटी प्रशासन की जमीनों पर भू-माफिया की सक्रियता बढ़ती जा रही है। सरकारी जमीन पर नाजायज कब्जे तो हो ही रहे हैं, प्रतिबंधित पहाड़ी क्षेत्र को रातोंरात काटकर डामर सडक़ बनाने से भी बाज नहीं आ रहे। सीसारमा रोड स्थित कालारोही पटवार हल्का क्षेत्र में एक पहाड़ी हिस्से को काटकर यूआईटी की जमीन से रातोंरात सडक़ बनाने का मामला भी कथित रसूखदारों के सत्ता में दखलन से जुड़ा हुआ है। इसलिए करीब १२ मीटर तक चौड़ी सडक़ को लेकर अधिकारियों ने आंखों में पट्टी बांध रखी है।
कालारोही में पहाड़ी हिस्से पर निर्माणाधीन होटल लेमन-टी से पहले पहाड़ी हिस्से के नीचे की ओर नगर विकास प्रन्यास की खातेदारी में खसरा नंबर ७५९ स्थित है। इस जमीन पर यूआईटी का मालिकाना हक वाला सूचना पट्टी भी लगा है। इसके बावजूद रसूखदारों ने निजी खर्च पर कई मीटर लंबी १२ मीटर डामर चौड़ी सडक़ बना दी। संबंधित खसरा नंबर से सटी पहाड़ी की अधिक ऊंचाई को जेसीबी और भारी भरकम मशीनों से काटते हुए समतल कर हरियाली के बीच सीधा मार्ग बनाया गया।

देखा है मौका
मौका मेरा देखा हुआ है। पहाड़ को काटकर सडक़ बनाई गई है। वहां यूआईटी की जमीन है, इसकी जानकारी कर दोषी के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।
रवींद्र श्रीमाली, चेयरमैन, यूआईटी

इसलिए है निजी निर्माण
यूआईटी की खातेदारी वाली जमीन से पहले बाउण्ड्रीवाल बनाई गई है, जबकि मवेशियों को परिसीमा में पहुंचने से रोकने के लिए यहां काऊ केचर भी लगाया गया है। सडक़ का मुहाना तो आठ मीटर ही रखा गया है। ताकि इसके भीतर से केवल चौपहिया वाहनों का ही गुजरना हो सके। सडक़ यूआईटी की ओर से निर्मित होती तो बाउण्ड्रीवाल से लेकर काऊ केचर की व्यव्स्था नहीं होती।
इसी तरह दूसरे छोर पर भी बस्ती वाले रिहायशी क्षेत्र को छोडक़र आगे की सडक़ पर निजी स्तर पर काऊ केचर लगाया गया है। दोनों रास्तों के बीच में स्थित शानदार निर्माणाधीन होटल में बागवानी के कार्य को अंजाम दिया जा रहा है। संबंधित जमीन शहर के नामी व्यापारी की बताई जा रही है। दूसरी ओर यूआईटी स्तर पर नियमों के तहत ३० डिग्री झुकाव वाले ५० मीटर ऊंचे पहाड़ को काटने की भी जहमत नहीं उठाई जाती।

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