मामला है वार्ड सात का। नगर निगम ने वर्ष 2014 में वार्ड सात में बुरहानी किराणा स्टोर वाली गली में आरसीसी शेड का निर्माण को टेंडर निकाला। तब वहां पर ‘यह जमीन नगर निगम की सम्पत्ति है’ बोर्ड लग रहा था। निगम ने वहां काम करते हुए सामुदायिक भवन के लिए ब्राउण्डी व फिलिंग का काम किया। इस मामले नया मोड तब आया, तब सामने आया कि वहां तो किसी ने कब्जा कर दिया।
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क्षेत्रवासियों ने बताया कि वहां दो मकान बना दिए और उसमें से एक तो बेच दिया। ऐसा नहीं कि शिकायत नहीं हुई। लोगों और पूर्व पार्षद ने शिकायत भी की, लेकिन निगम आंखें बंद कर बैठा है।
क्षेत्रवासियों ने बताया कि वहां दो मकान बना दिए और उसमें से एक तो बेच दिया। ऐसा नहीं कि शिकायत नहीं हुई। लोगों और पूर्व पार्षद ने शिकायत भी की, लेकिन निगम आंखें बंद कर बैठा है।
आप भी बताए ऐसे मामले
सार्वजनिक स्थान, पार्क या अन्य स्थानों पर जनप्रतिनिधि या अफसर आंखे मूंद कर कानून या हाईकोर्ट के आदेशों की अवहेलना कर रहे है तो हमे जरूर पूरी जानकारी, फोटो व आपके नंबर के साथ ष्द्बह्ल4स्रद्गह्यद्मह्म्श्चञ्चद्दद्वड्डद्बद्य.ष्शद्व पर ई-मेल करें।
पार्क उजाड़ भूमिगत पार्किंग बनाई, ऊपर नहीं बना पार्क उदयपुर. शहर के बीचों बीच टाउन हॉल स्थित नगर निगम परिसर में कभी हाथीवाला पार्क था जिसे तोडकऱ नगर निगम ने एक वर्ष पूर्व करीब साढ़े चौदह करोड़ खर्च कर भूमिगत पार्किंग बना दी। जब इस पार्क को बनाने की बात तत्कालीन मेयर रजनी डांगी के कार्यकाल में शुरू हुई, तब इस पर जोर दिया गया था कि भूमिगत पार्किंग होगी और पुन: पार्क बनाया जाएगा। स्थिति यह है कि आज वहां पार्क नहीं बनाया और बेसमेंट के ऊपर सीमेंटड ऐसी जगह बना दी जहां भी वाहनों की पार्किंग की जा सकेगी। अब इस पार्किंग वाली जगह के सटे दीवार के सहारे-सहारे रोड के सामने से केबिन हटाकर लगाने की तैयारी की जा रही है जिसका भी विरोध शुरू हो गया है।
उक्त जमीन पर सामुदायिक भवन बनाने के लिए हमने ही प्रयास किए। बाद में राशि स्वीकृत होकर काम भी हुआ लेकिन उस पर कब्जा हो गया। मैंने नगर निगम को इसकी पूरी रिपोर्ट दे रखी है कि निगम की जमीन से कब्जा मुक्त करवा कर उसे सार्वजनिक उपयोग में लिया जाए।
– कमलेश जावरिया, पूर्व पार्षद
टेंडर की जो तारीख बता रहे हैं। उससे तो ये मेरे कार्यकाल का नहीं है, पहले का मामला है। आप बता रहे हैं तो पूरे मामले की जांच करवाता हूं, जो भी दोषी है उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। अगर नगर निगम ने राशि खर्च की है और फिर कब्जा हो गया तो हम उसे हटाकर पुन: अपना कब्जा ले लेंगे। इस तरह की मेरी पास कोई शिकायत नहीं आई है।
– चन्द्रसिंह कोठारी, महापौर