उदयपुर. अवैध खनन रोकने के लिए विभागीय अधिकारियों की जमीन दौड़ से लेकर आसमान से अवैध खननकर्ताओं पर सेटेलाइट की नजर भी अवैध खनन रोकने के लिए नाकाफी साबित हो रही है। हालात ये है कि यदि अवैघ खनन पकड़ा भी जाता है तो भी धरती की छाती चीरने वालों को रोकने की बजाय विभाग उनसे तय पैनल्टी लगाने में ज्यादा रुचि लेता है, एेसे में प्रदेश में कही भी अवैध खनन पर लगाम नहीं लग रही है। इतना ही नहीं बजरी से लेकर बाजार में पत्थर तक के खनन पर भले ही रोक हो, लेकिन ये सब कुछ बाजार में बेहद सामान्य तौर पर उपलब्ध हो रहा है, विभाग कार्रवाई करने की बजाय उस ओर मुंह तक नहीं करता।
—- दो तरीके: दोनों पर सवाल – अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए जमीनी दौड़ में अधिकारी ज्यादातर एेसी जगह खनन सामग्री पकड़ते हैं जो खान क्षेत्रों से दूर होता है, एेसे में या तो चालक भाग जाते हैं या वे ये नहीं बताते कि वह सामग्री कहां से लाए हैं। इस स्थिति में केवल राजस्व वसूली होती है, जो इसका दोषी है वहां तक तो विभाग के हाथ पहुंचते ही नहीं। – भारत सरकार द्वारा सेटेलाइट इमेजरी तकनीक का उपयोग कर माइनिंग सर्विलेंस सिस्टम, एमएसएस बनाया गया है, जिसका विभाग द्वारा उपयोग तो होना बताते हैं, लेकिन इससे ज्यादा सफलता नहीं मिल पाई है। इस सिस्टम में विभाग में स्वीकृत खननपट्टों को डिजीटाईज कर उपग्रह छायाचित्रों पर सुपरइम्पोज किया जाता है, तथा खननपट्टों के बाहर अवैध खनन के ट्रिगर ऑनलाइन प्राप्त होते है। ट्रिगर में दर्शाये गये अक्षांश-देशान्तर के आधार पर विभाग के फ ील्ड अधिकारियों द्वारा मौके पर सत्यापन किया जाकर परिणाम की ऑनलाईन रिर्पोटिंग होती है। भारत सरकार द्वारा माह अक्टूबर 2016 में इस सिस्टम की शुरुआत यानी लॉन्च करने के बाद विभाग इस तकनीक का उपयोग कर रहा है। वर्तमान तक अप्रधान खनिज के 37 एवं प्रधान खनिज के 8 ट्रिगर प्राप्त हुये है, जिनमें से अप्रधान खनिज के 11 व अप्रधान खनिज के 2 ट्रिगर का सत्यापन किया गया लेकिन कोई अवैध खनन सामने नहीं आया।
—- विभाग को प्राप्त राजस्व क्रम. वर्ष राजस्व प्राप्ति 1. 2014-15 3635.462. 2015-16 3782.113. २016-17 4233.744. 2017-18 4521.525. 2018-19 5300.64(राशि करोड़ो में… ) —– अवैध खनन के कारण लगता है चूना…
– अवैध खनन होने पर विभाग को डेडरेन्ट रॉयल्टी एवं डीएमएफ टी के रूप में राजस्व की हानि होती है, वहीं दूसरी ओर विभागीय अधिकारियों, तकनीकी कर्मचारियों द्वारा अवैध खनन, निर्गमन के प्रकरणों में कार्यवाही करने पर खनिज की कीमत एवं कम्पाउण्ड राशि वसूल की जाती है। विभाग द्वारा प्रतिवर्ष अवैध खनन से राजस्व चोरी का आंकलन तक नहीं किया गया है।
— पकड़ कर दिखा दो- एेसा नहीं है कि अधिकारियेां को इसकी जानकारी नहीं कि अवैध रूप से खनन किस चीज का कहां-कहां हो रहा है, लेकिन यहां कुछ विभागीय अधिकारियों ने दबी जबान में बताया कि जब तक उनका दल किसी भी स्थान पर कार्रवाई के लिए पहुंचता है तब तक तो वहां पर पूरा काम एेसे बंद हो जाता है, कि कभी हुआ ही नहीं हो। विभागीय अधिकारी जैसे ही कार्यालय से किसी सूचना पर कार्रवाई के लिए निकलते हैं तो आगे से आगे फोन कर सूचनाएं पास की जाती है, जिससे अवैध खननकर्ता हाथ नहीं आते। इतना ही नहीं अब तो ये भी बताया जा रहा है कि विभागीय कार्मिकों में उनकी खासी घुसपैठ तक है जो सोश्यल मीडिया के माध्यम एक दूसरे को संदेशों का आदान-प्रदान कर रहे हैं।
—- अवैध खनन को लेकर वसूली गई राशि : अवैध खनन, निर्गमन पर शास्ती वसूल की गई। विभाग द्वारा गत पॉच वर्ष के हाल 2014-15 में 23.71 करोड 2015-16 में 37.49 करोड़2016-17 में 23.25 करोड़2017-18 में 50.16 करोड2018.19 में 104.33करोड़
—– आम तौर पर सामान्य उपयोग की वस्तुओं का अवैध रूप से खनन होता है, इसके लिए इसकी पोलिसी तय करना जरूरी है। यदि खनन की तय सीमा तक स्वीकृति हो तो ये स्थितियां नहीं बनेगी, साथ ही इस तरह के अधिकार पंचायतों को मिल सकते हैं तो इस पर रोक लग सकती है।
जिनेश हुमड़, खनि. अभियन्ता उदयपुर