लोक अभियोजक ने बताया कि 2006 में बांसवाड़ा एसीबी की टीम ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग (सीएमएचओ )कार्यालय में कार्यरत प्रकाश चंद्र पुत्र अमृतलाल शर्मा निवासी भागाकोट बांसवाड़ा और श्रीराम कॉलोनी निवासी एएओ सुखमाल सालगिया पुत्र दाड़मचंद जैन को 20 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा था। परिवादी महेश चौधरी ने ब्यूरो में 12 दिसम्बर 2006 में शिकायत दी कि उसकी फर्म मैसर्स सुप्रीम इंजीनियर्स को तीन सामुदायिक केन्द्रों पर डीजी सेट लगाने की अनुमति मिली। इस पर करीब 5 लाख 22 हजार रुपए की लागत से ये सेट लगा दिए लेकिन इनके इंस्टालेशन की रिपोर्ट देने की एवज में रिश्वत की मांग की गई। प्रकाशचंद्र को तो फर्म के एक प्रतिनिधि ने पूर्व में भी दीपावली पर कुछ राशि रिश्वत की दी थी। इस शिकायत की पुष्टि के बाद बांसवाड़ा एसीबी टीम ने दोनों कार्मिकों को पकड़ा। 12 साल तक चले इस मामले में शुक्रवार को निर्णय सुनाया गया।